भारत से हथियार या रक्षा उपकरण खरीदने के मामले में शीर्ष तीन देशों में अमेरिका, फ्रांस और आर्मेनिया शामिल हैं। अमेरिका, फ्रांस और अर्मेनिया के अलावा कई अन्य देश भी हैं जो भारत के डिफेंस एक्सपोर्ट में खासी दिलचस्पी दिखा रहे हैं।
भारतीय नौसेना के लिए 45,0000 करोड़ रुपये की लागत से स्वदेशी रूप से 2 परमाणु अटैक पनडुब्बियों के निर्माण और 31 प्रीडेटर ड्रोन के सौदे को मंजूरी दी।
समुद्र में विभिन्न देशों की जहाज पर हुए हमलों के दौरान भारतीय नाविकों ने जिस तरह से समुद्री लुटेरों और चरमपंथियों को पस्त करके उन्हें भागने पर मजबूर किया, उस पर अमेरिका फिदा हो गया है। लिहाजा अमेरिका भारतीय नौसेना के साथ मिलकर समुद्री सुरक्षा को विस्तार देने का ऐलान किया है। वह भारत को विशेष एंटी सबमरीन भी दे रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के बाद यूक्रेन का दौरा करके एक तीर से कई निशाने साथ दिए हैं। भारत की बदलती विदेश रणनीति की ताकत और प्लानिंग देखिये कि जिस वक्त पीएम मोदी यूक्रेन यात्रा पर थे, उसी दौरान रक्षामंत्री राजनाथ सिंह अमेरिका के साथ रक्षा समझौते कर रहे थे।
भारत और अमेरिकी की रणनीतिक साझेदारी अब व्यापक वैश्विक ग्लोबल स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप में बदलने जा रही है। इसके तहत दोनों देश मिलकर मेक इन इंडिया के तहत भारत में ही बड़े पैमाने पर रक्षा उत्पादन करेंगे। भारत में बने हथियार अब पूरी दुनिया पर राज करेंगे। अमेरिका भारत का साथ पाकर चीन को काउंटर करने में भी सक्षम होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा कई मायने में अहम साबित हुई है। खासकर के भारतीय सेना को मजबूत करने की दिशा में पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई वार्ता ने हथियारों के कलपुर्जों की आपूर्ति में होने वाली देरी के बड़े मुद्दे को हल कर दिया है। रूस अब इसके लिए भारत में ही संयुक्त उद्यम लगाएगा।
रूस और उत्तर कोरिया के बीच हुए नवीन सैन्य समझौते से दक्षिण कोरिया में भूचाल आ गया है। दक्षिण कोरियान ने इस समझौते को गलत बताते हुए रूसी राजदूत को तलब कर लिया है और कहा है कि मॉस्को उत्तर कोरिया को सैन्य सहयोग का इरादा तत्काल रोक दे। मगर रूस ने इसे मानने से इनकार कर दिया है। लिहाजा ये मामला लगातार तूल पकड़ रहा है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन उत्तर कोरिया की यात्रा पर जाने वाले हैं। यहां वह अपने समकक्ष किम जोंग उन से मुलाकात करेंगे। माना जा रहा है कि इस यात्रा में दोनों देशों के बीच कोई सैन्य समझौता भी हो सकता है।
पीएम मोदी ने यूनान के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस के साथ नई दिल्ली में अहम वार्ता की है। इस दौरान व्यापार से लेकर रक्षा उत्पादन और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त लड़ाई में दोनों देशों ने बढ़चढ़कर आगे बढ़ने का संकल्प लिया है। भारत की दुनिया भर में बढ़ती दोस्ती और साख से चीन, पाकिस्तान परेशान हो रहे हैं।
दक्षिण चीन सागर में फिलिपींस और चीन के बीच तनातनी जारी है। चीन अपनी दादागिरी इस इलाके में दिखाता है। इसी बीच भारत के साथ फिलिपींस द्वारा ब्रह्मोस मिसाइल की डील करने के बाद से ही चीन के होश उड़े हुए हैं। अब फिलिपींस के साथ एक और रक्षा डील होने जा रही है।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत के साथ 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी है। इससे भारतीय सेना की ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। इस सौदे के बाद पाकिस्तान और चीन जैसे दुश्मन और अधिक खौफ खाएंगे।
चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के लिए भारतीय जवान अब सीमा पर और भी ज्यादा खतरनाक साबित होने वाले हैं। भारतीय जवानों के हाथों में अब रूस की विमान भेदी मिसाइल इग्ला-एस आने वाली है।
सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बातचीत की है। वह सिंगापुर के राष्ट्रपति षणमुगारत्नम से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने आसियान देशों के क्षेत्रीय राजदूतों के सम्मेलन की इस दौरान अध्यक्षता भी की। भारत ने सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अवसर तलाशा।
भारत और अमेरिका में रणनीतिक साझेदारी समझौता होने के बाद से दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में नई इबारत लिखने को बेताब हैं। भारत में अमेरिका के सहयोग से जल्द फाइटर प्लेन, टोही विमान, निगरानी विमान समेत अन्य रक्षा उपकरणों का उत्पादन शुरू होने वाला है। इसके लिए पेंटागन भारत सरकार के साथ सक्रियता को बढ़ा रहा है।
पाकिस्तान के साथ अमेरिका अब हर कदम फूंक-फूंक कर उठाना चाहता है। क्योंकि उसे भारत के साथ अपने संबंधों के बिगड़ने का खतरा भी सता रहा है। इस बीच पाकिस्तान की कैबिनेट ने नए सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी है। मगर अमेरिका इस पर आगे बढ़ने से पहले भारत के साथ संबंधों का आकलन कर रहा है।
भारत और फिलीपींस के बीच मजबूत रक्षा साझेदारी से चीन में चिंता छाने लगी है। दरअसल चीन अभी तक दक्षिण चीन सागर में फिलीपींस से लेकर वियतनाम, ब्रुनेई, ताईवान, मलेशिया जैसे देशों पर दादागिरी दिखाता रहा है। वियतनाम को हाल ही में भारत ने युद्धपोत गिफ्ट में दिया है। अब फिलीपींस से रक्षा गठबंधन ने चीन में खलबली मचा दी है।
अमेरिका में पीएम मोदी की विजिट का आज सबसे अहम दिन है। आज पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच बड़ी रक्षा डील पर दस्तखत हो सकते हैं। इन दो बड़ी डील पर सबकी नजर है। यह डील हो गई तो चीन और पाकिस्तान बैचेन हो जाएंगे।
जर्मनी के रक्षामंत्री बोरिस पिस्टोरियस दो दिवसीय यात्रा पर भारत में हैं। उन्होंने यहां रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रक्षा समझौता और अन्य रणनीतिक साझेदारियों पर बातचीत की है। जर्मनी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की हेकड़ी निकालने के लिए भारत के साथ और अधिक सक्रियता से काम करेगा।
पीएम मोदी के 9 वर्षों के कार्यकाल में ही भारत ने रक्षा के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया है। भारतीय सेना की ताकत पहले से कई गुना बढ़ गई है। खास बात यह है कि हिंदुस्तान अब लड़ाकू विमानों और हथियारों के लिए विदेश पर निर्भर नहीं रहा।
रूस कम से कम इस दशक के अंत तक बढ़ती सैन्य संसाधनों की वैश्विक डिमांड को पूरा करने में उतना सक्षम नहीं रहेगा। इनमें सबसे अहम खरीदार भारत है, जिसने रूस के साथ ब्रह्मोस से लेकर एस.400 मिसाइल रोधक प्रणाली तक के लिए डील कर रखी है।
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