Defence Budget 2023: पिछले 5 साल के डिफेंस बजट को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि दुश्मन देशों को धूल चटाने की प्लानिंग भारत सरकार कर रही है। इस साल भी सेना के लिए खर्च होने वाले बजट में करीब 70 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की गई है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते बदलते वैश्विक सामरिक परिवेश में तीसरे विश्वयुद्ध की आहट ने खतरे की घंटी बजा दी है। ऐसे में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से शांत पड़ा जापान सबसे अधिक सक्रिय हो गया है। इस वक्त दुनिया के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी देशों में चीन बनाम अमेरिका, रूस बनाम अमेरिका और जापान बनाम चीन की स्थिति पैदा हो गई है।
बजट को आने में कुछ ही दिन बाकी हैं, वहीं डिफेंस सेक्टर यानि रक्षा क्षेत्र को बजट- 2023 से काफी उम्मीदें है, वहीं पिछले 3 वर्षों में इस क्षेत्र की ओर सरकार ने बेहतरी के साथ ध्यान दिया है।
भारत के पूर्व रक्षा सचिव अजय कुमार ने इंडिया टीवी के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि भारतीय सेना बीते एक दशक में किस प्रकार मजबूत हुई है और कैसे भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए सेना आधुनिकीकरण की राह पर चल रही है।
भारत सरकार की तैयारी डिफेंस सेक्टर को वर्ल्ड मैप में लाने की है, जहां इसके लिये पिछले बजट में भरपूर प्रयास किये गए थें। वहीं अब आगामी बजट-2023 से रक्षा क्षेत्र को काफी उम्मीदें हैं, साथ ही देश की सुरक्षा व्यवस्था चाक- चौबंद रखना बेहद जरूरी है।
दुनिया में अपना सिक्का चलाने के लिए ये पांच देश अपनी सेनाओं पर सबसे ज्यादा पैसे खर्च करते हैं। इसमें पहले नंबर पर अमेरिका है, दूसरे नंबर पर चीन है और तीसरे नंबर पर भारत है। जबकि ब्रिटेन चौथे नंबर पर और रूस पांचवें नंबर पर है।
Indian Army strength: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आठ वर्षों के कार्यकाल में सेना कितनी अधिक ताकतवर हो चुकी है... इसका अंदाजा आपको भले ही न हो, लेकिन पाकिस्तान से लेकर चीन और अमेरिका तक को यह एहसास अच्छे से हो चुका है।
China Japan Relations: रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से ही जापान ने अपने आपको सुरक्षित करने की रणनीति बनाने की शुरुआत कर दी थी। अब चीन की कारगुजारियों के बीच जापान और ज्यादा अलर्ट हो गया है। उसने रक्षात्मक नीति छोड़कर आक्रामक रूख अपनाने की राह पकड़ ली है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए रक्षा बजट को पिछले साल के 4.78 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर 5.25 लाख करोड़ रुपये करने का मंगलवार को प्रावधान किया और इसके साथ ही सैन्य साजोसामान के निर्माण में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अगले पांच वर्षों के लिए रक्षा उत्कृष्टता नवोन्मेष (आईडेक्स)-रक्षा नवोन्मेष संगठन (डीआईओ) के लिए 498.8 करोड़ रुपये के बजट को मंजूरी दी है।’’
चीन ने 2021 के लिए छह प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य तय किया है। चीन के प्रधानमंत्री ली क्विंग ने देश की संसद ‘नेशनल पीपल्स कांग्रेस (एनपीसी) में शुक्रवार को यह घोषणा की।
भारत ने अपना डिफेंस बजट कितना बढ़ाया इसको लेकर देश में कंफ्यूजन फैलाने की कोशिश हुई। राहुल गांधी ने सवाल उठाए, बोले बॉर्डर पर तनाव है बावजूद इसके रक्षा बजट क्यों नहीं बढ़ाया लेकिन उसी डिफेंस बजट के चलते पाकिस्तानी मीडिया में दहशत फैल गई है।
केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा सोमवार को संसद में पेश किए गए आम बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए आंशिक वृद्धि करते हुए 4.78 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया
शुक्रवार को पेश हुए पाकिस्तान के वार्षिक बजट में रक्षा बजट में 12 प्रतिशत का इजाफा किया गया है।
रक्षा बजट में मामूली बढ़ोतरी करते हुए 2020-21 के लिए इसमें 3.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि इससे पिछले साल यह 3.18 लाख करोड़ रुपए था।
भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने देश के समक्ष समुद्री चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि नौसेना को अपनी क्षमता निर्माण के लिए एक सुनिश्चित बजटीय समर्थन की आवश्यकता है।
मोदी सरकार ने रक्षा पेंशन के लिए 1,12,079.57 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। कुल रक्षा आवंटन लगभग 431,010.79 करोड़ रुपये है जो आने वाले वित्त वर्ष के लिए केंद्र सरकार के कुल खर्च का 15.47% है।
ये उम्मीद की जा रही हैं कि निर्मला सीतारमण आज रक्षा बजट पर बड़ा ऐलान कर सकती है। जहां देश की पहली पूर्णकालिक रक्षामंत्री रहते हुए निर्मला सीतारमण ने अहम खरीद समझौतों को अंजाम दिया है तो वहीं उनके रक्षामंत्री रहते बालाकोट में सर्जिकल स्ट्राइक और पुलवामा का बदला लिया गया।
अपनी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए चीन आनन-फानन में एक नया निवेश कानून पारित करने वाला है।
भारत के रक्षा बजट को इस साल 6.87 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.18 लाख करोड़ रुपये करने का फैसला किया गया। हालांकि, यह आंकड़ा पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान के अपनी रक्षा क्षमताओं को लगातार बढ़ाये जाने की वजह से लगायी जा रही उम्मीदों के अनुरूप नहीं है।
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़