भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के बाद अब उसके हितों की चिंता करनी भी शुरू कर दी है। भारत का लक्ष्य अब ग्लोबल साउथ के देशों को नए ऋण के जाल में फंसने से बचाना है।
पाकिस्तान के दोस्त चीन ने उसे करारा झटका दिया है। दरअसल पाकिस्तान चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना सीपीईसी पर लिए ऋण और उसके ब्याज के जाल में बुरी तरह फंस गया है। इस बार ब्याज समेत कुल रकम 44 फीसदी बढ़ गई है। पाकिस्तान इसे अदा करने के लिए 8 साल का समय और मांग रहा है।
भारत से पंगा लेना मालदीव को भारी पड़ा है। चीन के कर्ज में डूबे मालदीव के राष्ट्रपति ने कर्ज का रोना जनता के सामने रोया है। साथ ही कहा कि भारी कर्ज के कारण हम विकास के काम करने में असमर्थ हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, पिछले दो वर्षों में पर्सनल लोन बढ़ रहे हैं। पिछले वर्ष 2022-23 में घरेलू वित्तीय देनदारियां काफी बढ़ गई हैं। इसका कारण होम लोन में उल्लेखनीय वृद्धि है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लोन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
पाकिस्तान, श्रीलंका, चीन, मालदीव, वर्मा, नेपाल जैसे छोटे-छोटे और निम्न आय वाले देशों को चीन ने षड्यंत्रपूर्वक अपना आर्थिक गुलाम बना लिया है। पहले उन्हें ऋण जाल के दुष्चक्र में फंसाया, फिर उनकी संपत्तियों पर अपना कब्जा जमाने लगा। इस पर संयुक्त राष्ट्र भी खामोश है, मगर भारत ने यूएन में चीन की इस मुद्दे पर हवा निकाल दी।
आरबीआई ने कहा कि जून 2023 के आखिर में विदेशी ऋण और सकल घरेलू उत्पाद का अनुपात घटकर 18.6 प्रतिशत हो गया, जो मार्च 2023 के आखिर में 18.8 प्रतिशत था।
श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देश तो कंगाल हैं ही, लेकिन इसके अलावा भी कई बड़े-बड़े देश कर्ज में डूबे हुए हैं। अगर उनका नाम सुनेंगे तो आप हैरत में पड़ जाएंगे। यह देश कोई और नहीं, बल्कि सुपर पॉवर अमेरिका है।
मौत से पहले प्रिंस ने बयान दिया था कि 'कर्ज देने वाला व्यक्ति उन्हें काफी परेशान कर रहा था, इस वजह से उन्होंने यह कदम उठाया।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि चौथी तिमाही में कच्चे तेल की कीमतें भी ऊंचे स्तर पर रहीं। कच्चे तेल की कीमतों के उच्चस्तर ने घरेलू बाजार में 10-साल के सरकारी प्रतिभूति प्रतिफल को प्रभावित किया।
चालू वित्त वर्ष में राज्यों की आय में 15 प्रतिशत की गिरावट आयी है। जबकि उनकी उधारी 36 प्रतिशत बढ़कर 68 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो दशक का उच्च स्तर है। राज्यों का राजस्व घाटा चालू वित्त वर्ष में छह प्रतिशत रहने का अनुमान है।
केन्द्र सरकार का राजकोषीय घाटा लॉकडाउन के कारण कमजोर राजस्व संग्रह के चलते वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों (अप्रैल- जुलाई) में ही पूरे साल के बजट अनुमान को पार कर गया है। वित्त वर्ष 2020- 21 के बजट में राजकोषीय घाटे के 7.96 लाख करोड़ रुपये यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था।
Fitch Ratings ने कहा है कि सरकार की कमजोर वित्तीय स्थिति ने भारत की सॉवरेन रेटिंग में सुधार में रुकावट डाला है। सरकार के ऊपर जीडीपी के करीब 68 प्रतिशत के बराबर ऋण का बोझ है और यदि राज्यों को शामिल किया जाए तो राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.5 प्रतिशत है।
केंद्र सरकार का सार्वजनिक ऋण जुलाई-सितंबर तिमाही में इससे पिछली तिमाही के मुकाबले 2.53 प्रतिशत बढ़कर 65.65 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया।
अनिल अंबानी की अगुवाई वाली RCOM ने दूरसंचार क्षेत्र के वित्तीय संकट के लिए मुकेश अंबानी द्वारा संचालित रिलायंस जियो के फ्री ऑफर को जिम्मेदार ठहराया है।
एयर इंडिया के सूत्रों का कहना है कि कंपनी की मूर्त व अमूर्त आस्तियां कंपनी के ऊपर 52,000 करोड़ रुपए से अधिक कर्ज को चुकाने के लिए पर्याप्त हैं।
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