भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज बनने के बाद अब उसके हितों की चिंता करनी भी शुरू कर दी है। भारत का लक्ष्य अब ग्लोबल साउथ के देशों को नए ऋण के जाल में फंसने से बचाना है।
एयरलाइन ने अपनी मौजूदा समस्या के लिए फ्लीट में कमी, विमानों का ग्राउंड होना, वर्किंग कैपिटल की उच्च लागत, बढ़ती हुई निश्चित लागत, एयरपोर्ट पर निश्चित किराया और वैधानिक बकाया जैसे कारकों को जिम्मेदार ठहराया।
उत्तर प्रदेश के इटावा में एक किसान ने कर्जदारों से परेशान होकर एक ऐसा कदम उठा लिया जिसके बारे में उसके ही परिजनों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा।
पाकिस्तान के दोस्त चीन ने उसे करारा झटका दिया है। दरअसल पाकिस्तान चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना सीपीईसी पर लिए ऋण और उसके ब्याज के जाल में बुरी तरह फंस गया है। इस बार ब्याज समेत कुल रकम 44 फीसदी बढ़ गई है। पाकिस्तान इसे अदा करने के लिए 8 साल का समय और मांग रहा है।
पाकिस्तान बदहाली के रास्ते से बाहर नहीं निकल पा रहा है। अब भी पाकिस्तान महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ रखी है। आटा, दाल, दूध, चावल और चीनी खरीदने में ही पाकिस्तानियों की नानी याद आ जा रही है। ऐसे में पीएम शहबाज शरीफ ने आइएमएफ से फिर 7 अरब डॉलर का नया कर्ज लिया है।
बाहरी कर्ज किसी देश के कुल कर्ज का वह हिस्सा होता है, जो विदेशी देनदारों से लिया जाता है। इसमें कमर्शियल बैंक, सरकारें और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान शामिल होते हैं।
Global debt crisis : अनुमान है कि वैश्विक कर्ज साल 2024 में 315 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह ग्लोबल जीडीपी का 3 गुना है। वहीं, दुनियाभर में सरकारी कर्ज साल 2000 के मुकाबले 4 गुना ज्यादा हो गया है।
जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड का कुल उधार (ब्याज सहित) 29,805 करोड़ रुपये है, जिसे साल 2037 तक चुकाया जाना है। इसमें से 30 अप्रैल 2024 तक 4,616 करोड़ रुपये बकाया था।
इस पनडुब्बी के लिए चीन और पाकिस्तान दोनों देशों ने 2018 में चार बहुउद्देश्यीय युद्धपोतों के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। पहला और दूसरा जहाज पीएनएस तुगरिल और पीएनएस तैमूर 2022 में पाकिस्तानी नौसेना के बेड़े में शामिल हुए।
रिलायंस पावर पिछले कुछ महीनों में सक्रिय रूप से डीबीएस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एक्सिस बैंक सहित विभिन्न बैंकों के साथ ऋण निपटान समझौतों पर हस्ताक्षर कर रही है।
मालदीव के राष्ट्रपति मो. मुइज्जू ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा और वह चीन की गोद में खेलने लगे हैं। मगर आज भी मालदीव भारत के कर्ज और एहसान तले दबा है। मौजूदा वक्त में भी मालदीव में हनीमाधू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पुनर्विकास सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं भारत के सहयोग और कर्ज से चल रही हैं।
वोडाफोन आइडिया के शेयर में बीते एक साल में काफी तेजी आई है। यह उछाल 136 प्रतिशत का है। वोडाफोन-आइडिया इस साल अपनी 5G सर्विस लॉन्च कर सकती है।
भारत से पंगा लेना मालदीव को भारी पड़ा है। चीन के कर्ज में डूबे मालदीव के राष्ट्रपति ने कर्ज का रोना जनता के सामने रोया है। साथ ही कहा कि भारी कर्ज के कारण हम विकास के काम करने में असमर्थ हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, पिछले दो वर्षों में पर्सनल लोन बढ़ रहे हैं। पिछले वर्ष 2022-23 में घरेलू वित्तीय देनदारियां काफी बढ़ गई हैं। इसका कारण होम लोन में उल्लेखनीय वृद्धि है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के लोन में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
Karj Mukti Ke Upay: अगर आपके सिर पर कर्ज का बोझ बढ़ गया है तो आज ही वास्तु के इन उपायों को आजमाएं। इन उपायों की मदद से आप कर्ज से जल्द से जल्द छुटकारा पा सकते हैं।
लोन लेने से पहले खुद से यह सवाल जरूर करें कि क्या यह जरूरी है? क्या इसके बिना आपका काम नहीं चल सकता? लोन के बजाय दूसरे विकल्पों से अगर आपकी आर्थिक जरूरत पूरी हो सके, तो उन पर जरूर विचार करें।
अमेरिका भले ही यूक्रेन से लेकर इजरायल जैसे देशों को बड़े-बड़े रक्षा सहायता पैकेज दे रहा हो। वह भले ही पाकिस्तान जैसे आतंक के समर्थक देशों को रक्षा और रखरखाव के नाम पर अरबों डॉलर की मदद देता है, लेकिन उसकी खुद की हालत नाजुक हो चुकी है। अमेरिका पर राष्ट्रीय कर्ज अब रिकॉर्ड 34 हजार अरब डॉलर के पार पहुंच गया है।
राज्यों को जल-आपूर्ति और स्वच्छता, शहरी विकास, सड़कों एवं सिंचाई जैसे ढांचागत क्षेत्रों पर पूंजीगत व्यय 18-20 प्रतिशत होने से कुल राजस्व घाटा बढ़ेगा। इसलिए राज्यों को अधिक कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी।
पाकिस्तान, श्रीलंका, चीन, मालदीव, वर्मा, नेपाल जैसे छोटे-छोटे और निम्न आय वाले देशों को चीन ने षड्यंत्रपूर्वक अपना आर्थिक गुलाम बना लिया है। पहले उन्हें ऋण जाल के दुष्चक्र में फंसाया, फिर उनकी संपत्तियों पर अपना कब्जा जमाने लगा। इस पर संयुक्त राष्ट्र भी खामोश है, मगर भारत ने यूएन में चीन की इस मुद्दे पर हवा निकाल दी।
गंभीर आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे श्रीलंका को अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से मिले ऋण के जरिये उबरने की उम्मीद है। श्रीलंका की सरकार ने आईएमएफ की दूसरी किस्त का इस्तेमाल अपने बहुपक्षीय कर्जदाताओं का कर्ज देने में करने का फैसला किया है। श्रीलंका इससे धीरे-धीरे आर्थिक हालात को पटरी पर लाने का प्रयास करेगा।
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