दारुल उलूम देवबंद ने अपने फतवे में गजवा-ए-हिन्द को इस्लामिक दृष्टिकोण से वैध बताते हुए इसे महिमामंडित किया है। बता दें कि सुन्न अल नसा नाम की किताब में गजवा-ए-हिंद पर पूरा एक चैप्टर है।
दारुल उलूम ने छात्रों के लिए फरमान जारी करके इंग्लिश या कोई दूसरी भाषा सीखने पर पाबंदी लगा दी है। दारुल उलूम के शिक्षा विभाग ने ये कहा है कि अगर किसी छात्र ने ये आदेश नहीं माना तो उसे निष्कासित कर दिया जाएगा।
दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग के प्रभारी मौलाना हुसैन अहमद द्वारा जारी आदेश में आगे कहा गया है कि अगर कोई छात्र इसका उल्लंघन करता है तो उसे संस्थान से निकाल दिया जाएगा।
मौलाना हुसैन ने कहा कि छात्रों को साल के बीच में छुट्टी लेने से बचना चाहिए, क्योंकि फिर साल के आखिर में जब हाजिरी काउंट की जाती है, तो सभी छुट्टियां गैर-हाजिर रहने में शामिल होती हैं।
UP News: अरशद मदनी ने बताया कि, "आज की मीटिंग में हमने बताया कि इस्लाम में मदरसों को लेकर क्या बताया गया है, मदरसों को क्यों बनाया गया है। हमारी तरफ़ से कभी कोई विरोध नहीं किया गया। मदरसे हमारा मज़हब है।
Darul Uloom News: महासभा ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि कोर्ट इन सभी संस्थानों तथा इनके प्रमुखों व अन्य अधिकारियों के हिंसा व देश के खिलाफ साजिश रचने में शामिल होने की भी जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों से कराए।
एटीएस को सूचना मिली थी कि तलहा नाम का एक व्यक्ति दारुल उलूम देवबंद में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर रह रहा है और देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त है।
दारुल उलूम के शहर देवबंद (Darul Uloom Deoband) की स्थापना 30 जनवरी 1866 (30th Januray1866) को की गई थी. इसका उद्देश्य मुसलमानों में शिक्षा (Muslims Education) के स्तर को बेहतर करने समेत अन्य सकारात्मक सुधार लाने के लिए किया गया था. लेकिन बीते कुछ सालों में Deoband किसी ना किसी वजह से सुर्खियों में रहा है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मुसलमान वोटर्स (Muslim Voters) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) की तारीखों (Poll Dates) का एलान कर दिया गया है. इसी चुनावी समर के बीच 'इंडिया टीवी (India TV)' का खास शो 'ये पब्लिक है सब जानती है (Ye Public Hai Sab Jaanti Hai)' की टीम देवबंद के दारुल उलूम में वहां पढ़ने वाले छात्रों के बीच पहुंची. छात्रों ने दारुल उलूम समेत कई मुद्दों पर अपने विचार हमारे साथ साझा किए.
देश में कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान जारी है। फिर भी कोरोना वैक्सीन को लेकर कई सवाल बने हुए हैं। अब रमजान भी शुरू होने वाले हैं। ऐसे में कई लोग रमजान में महीने भर तक रोजा रखेंगे। अब लोगों के मन में सवाल उठ रहा है कि इस दौरान वैक्सीन लगवाने पर रोजा तो नहीं टूट जाएगा?
इंडिया टीवी के साथ एक विशेष बातचीत में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने वैज्ञानिकों द्वारा प्रमाणन से पहले कोरोना वैक्सीन को 'हराम' घोषित नहीं करने के लिए मुस्लिम संगठन से अपील की।
इस्लामी शिक्षा के प्रमुख केंद्र दारूल उलूम देवबंद ने सैनेटाइजर के इस्तेमाल को लेकर फतवा जारी किया है ।
उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के देवबंद में स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूल उलूम ने रमजान के महीने में रोजे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण की जांच कराने को जायज बताया है।
दारुल उलूम फिरंगी महली द्वारा जारी एक फतवे में कहा गया है कि कोरोनोवायरस से मरने वालों को पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ सम्मान से सुपुर्द-ए-खाक करना चाहिए और उनके शरीर को अछूत नहीं माना जाना चाहिए।
दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना अबुल कासिम नोमानी ने मुस्लिम कौम को लिखे खुले पत्र में कहा कि देश की सरकार ने कोरोना महामारी के मद्देनजर लॉकडाउन घोषित किया है। इसे मानना हर नागरिक का फर्ज है।
फतवा में कहा गया है कि इस्लाम में एक इंसान की जान बचाना कई इंसानों की जान बचाने जैसा है।
विश्वव्यापी कोरोना वायरस प्रकोप को लेकर लखनऊ में दारूल उलूम फिरंगी महल ने एक फतवा जारी कर कहा है कि कोरोनो वायरस का परीक्षण और उपचार सभी के लिए महत्वपूर्ण है और इस बीमारी को छिपाना अपराध है।
दरअसल पाकिस्तान के एक शख्स ने दारुल से सवाल पूछा था कि क्या हजरत मोहम्मद साहब के जीवनकाल में किए गए अमल (कार्यों) से यह साबित होता है कि ईद के दिन गले लगना अच्छा है?
देवबंद वो जगह है जहां से जारी हर फतवा, हर पैगाम हिन्दुस्तान के मुसलमानों के लिए पत्थर की लकीर मानी जाती है।
छात्रों को यह निर्देश भी दिया गया है कि वे ट्रेन में किसी तरह की बहस से बचने का प्रयास करें
देवबंद स्थित इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारूलउलूम ने महिलाओं को लेकर नया फतवा जारी करते हुए बारात में उनके जाने को नाजायज करार दिया है।
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