आरबीआई ने कहा कि जून तिमाही में शुद्ध सेवा प्राप्तियां (Net services receipts) एक साल पहले के 35.1 अरब डॉलर से बढ़कर 39.7 अरब डॉलर हो गईं। इसके साथ ही कंप्यूटर सर्विसेज, बिजनेस सर्विसेज, ट्रैवल सर्विसेज और ट्रांसपोर्ट सर्विसेज में बढ़ोतरी देखी गई है।
अक्टूबर-दिसंबर, 2023 की तिमाही में चालू खाते में 8.7 अरब डॉलर का घाटा हुआ था, जो जीडीपी का एक प्रतिशत था। मार्च तिमाही का आंकड़ा आने के साथ ही 2023-24 के समूचे वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा 23.2 अरब डॉलर पर आ गया।
भारत के चालू खाते के घाटे में कमी आई है। यह मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कम होकर GDP का एक फीसदी यानी 8.3 अरब डॉलर रहा। वस्तुओं के व्यापार का घाटा कम होने तथा सेवा निर्यात बढ़ने से चालू खाते का घाटा कम हुआ है।
पीएनबी ने अपने ऐसे कस्टमर्स को लेकर यह नई गाइडलाइन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर भी किया है। स्पेशल कैम्पेन के तहत बैंक यह सुविधा 31 अक्टूबर 2023 तक ही दे रहा है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि औसतन वस्तु व्यापार घाटा 2023-24 की पहली तिमाही के मुकाबले जुलाई-अगस्त के दौरान अधिक रहा है। इसके साथ कच्चे तेल के दाम में तेजी से कैड चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में तिमाही आधार पर बढ़कर 19-21 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.3 प्रतिशत रह सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में प्रति बैरल 10 अमरीकी डालर की बढोतरी से व्यापार घाटा 12 अरब डालर या सकल घरेलू उत्पाद के 35 बेस प्वाइंट तक बढ़ेगा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों के लिये चालू खातों के नए नियमों को लागू करने की समयसीमा बढ़ाकर 31 अक्टूबर कर दी है।
आरबीआई के आंकड़े के अनुसार मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में चालू खाते का अधिशेष जीडीपी का 3.1 प्रतिशत रहा जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की पहली छमाही में चालू खाते का घाटा 1.6 प्रतिशत रहा था।
CEA के मुताबिक कोविड संकट अलग है, और भारत इससे बेहतर तरीके से निपट रही है। उनके मुताबिक पहली तिमाही में चालू खाते का अधिशेष 20 अरब डॉलर के आसपास रहा है वहीं उम्मीद है कि इस साल देश चालू खाते का अधिशेष दर्ज कर सकते हैं।
कर्जदारों द्वारा कई खातों के उपयोग को लेकर चिंता बढ़ने का बाद फैसला
सोने का आयात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर महीने में 6.77 प्रतिशत घटकर 23 अरब डॉलर रहा। स्वर्ण आयात का असर चालू खाते के घाटे (कैड) पर पड़ता है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में Current account deficit 2018-19 में बढ़कर 68 अरब डॉलर हो गया है।
संसद में सोमवार को पेश की गई 2018-19 की आर्थिक समीक्षा में आयात-निर्यात, विनिमय दर और चालू खाते के घाटे (कैड) जैसे बाह्य क्षेत्र के मोर्चों पर देश की अर्थव्यवस्था की मजबूत तस्वीर पेश की गयी है।
केंद्रीय बैंक के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2018-19 में मार्च तिमाही में घाटा कम होकर जीडीपी का 0.7 प्रतिशत यानी 4.6 अरब डॉलर रहने के बावजूद पूरे वित्त वर्ष का घाटा बढ़ा।
यापार विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक बाजार में सोने की नरमी सोने के आयात मूल्य में गिरावट का कारण हो सकती है।
सुबह डॉलर के मुकाबले रुपया 69.83 पर कमजोर खुला और दिन में 70.23 तक गिर गया था।
वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी तिमाही में देश का चालू खाता घाटा (सीएडी) बढ़कर 19.1 अरब डॉलर हो गया, जो कि इसकी पिछली तिमाही में 15.9 अरब डॉलर था
विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को चालू खाते के घाटे से निपटने के लिए 9 अरब डॉलर की जरूरत है। इसके लिए फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
देश का चालू खाता घाटा (CAD) चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.8 प्रतिशत पर रहेगा। एसबीआई की शोध रिपोर्ट इकोरैप में यह अनुमान लगाया गया है।
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 2.5 प्रतिशत का चालू खाते का घाटा (CAD) चिंता की बात नहीं है और सरकार के पास विदेशी कोष की निकासी की वजह से पैदा हुए असंतुलन से निपटने को जरूरी ‘उपकरण’ हैं। आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने मंगलवार को यह बात कही।
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