OPEC और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने कहा कि वे अगले महीने 1,00,000 बैरल प्रतिदिन उत्पादन बढ़ाएंगे जबकि जुलाई और अगस्त में यह 6,48,000 बैरल प्रतिदिन था।
Levy on Crude Oil: आधिकारिक अधिसूचना के मुताबिक, डीजल के निर्यात पर कर जहां 11 रुपये से घटाकर पांच रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है, वहीं एटीएफ पर इसे खत्म करने का फैसला लिया गया है।
सरकार के इस फैसले का फायदा रिलायंस जैसी रिफाइन ईंधन का निर्यात करने वाली कंपनियों को होगा।
India-Russia: सऊदी अरब को पीछे छोड़ते हुए रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चे तेल का आपूर्ति करने वाला देश बन गया है। वहीं अब भारत ने रूस के साथ रुपए में कारोबार करने की योजना बनाई है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक बार फिर से 122 डॉलर पार पहुंच गया है। यह तेजी यही थमने वाली नहीं है। अमेरिकी बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक और वित्तीय सेवा कंपनी गोल्डमैन सैक्स के अनुसार, अगस्त से सितंबर महीने तक कच्चा तेल का भाव 140 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकता है।
बाजार कीमतों पर मिल रही खासी छूट पर रूसी तेल का सामान्य से अधिक आयात करना तेल विपणन कंपनियों के लिए निकट अवधि की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को कम कर सकता है
फिलहाल ब्रेंट क्रूड ऑयल के मुकाबले यूराल क्रूड पर भारत को 40 डॉलर तक की छूट मिल रही है।
तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच भारत ने तेल के आयात पर 119.2 अरब डॉलर खर्च किए।
तेल कंपनी नेशनल ऑयल कॉर्प ने कहा कि लोगों के एक समूह ने शनिवार को देश के दक्षिण इलाके में स्थित अल-फील क्षेत्र में जाकर उत्पादन रोक दिया।
दरअसल इस मामले को रूसी सुरक्षा काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी मिखाइल पोपोव ने उजागर किया है। उन्होंने दावा किया है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान पिछले सप्ताह ही अमेरिका ने रूस से 43 फीसदी ज्यादा यानी करीब हर रोज एक लाख बैरल तेल की खरीद की है।
कच्चे तेल में यह तेजी अमेरिका के साथ देने के लिए यूरोपीय संघ के देशों द्वारा रूस पर लगाए तेल प्रतिबंध में शामिल होने के निर्णय के बाद आया है।
सरकारी तेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) ने रूस से 30 लाख बैरल कच्चा तेल की खरीदारी की है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की परिस्थितियों में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी का प्रभाव दुनियाभर में देखा जा रहा है। भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। जानिए क्या और कैसे पड़ता है इसका प्रभाव।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है। अब ईंधन की कीमत में बढ़ोतरी के कयास लगाए जा रहे हैं।
पांच राज्यों में चुनाव के चलते देश में 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बदलाव नहीं हुआ है। वहीं, ब्रेंट क्रूड इस दौरान 81 डॉलर प्रति बैरल से बढ़कर 130 डॉलर के पार पहुंच गया है।
कमोडिटी एक्सपर्ट और केडिया कमोडिटी के डायरेक्टर अजय केडिया ने इंडिया टीवी को बताया कि बीते 90 दिन में कच्चा तेल 90% महंगा हो गया है।
आने वाले दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 25 रुपये तक की बढ़ोतरी हो सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कच्चा तेल 1 डॉलर प्रति बैरल महंगा होने पर देश में पेट्रोल-डीजल के दाम औसतन 55-60 पैसे प्रति लीटर बढ़ जाते हैं।
पिछले साल जनवरी में भारत ने कच्चे तेल के आयात पर 7.7 अरब डॉलर खर्च किए थे। फरवरी में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गईं।
विधानसभा चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आने वाले हैं और उसके बाद घरेलू स्तर पर पेट्रोल एवं डीजल के दाम में तीव्र बढ़ोतरी देखी जा सकती है।
वैश्विक तेल बाजार में कच्चे तेल की कीमत गुरुवार को 100 डॉलर प्रति बैरल से अधिक हो गई। बाद में गिरावट बढ़कर 104 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गईं।
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