सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के लिए अप्रत्याशित लाभ कर (Windfall Tax) को घटाकर शून्य प्रति टन कर दिया। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल पर अब कोई विंडफॉल टैक्स नहीं लगेगा।
लंबे इंतजार के बाद कंपनी ने केजी-डीडब्ल्यूएन-98/2 ब्लॉक में क्लस्टर-2 प्रोजेक्ट से प्रोडक्शन शुरू कर दिया है। ओएनजीसी का कहना है कि वह इस प्रोजेक्ट से धीरे-धीरे उत्पादन में बढ़ोतरी करेगी।
पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उससे संबद्ध देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में करीब एक करोड़ बैरल प्रतिदिन की कटौती को जुलाई अंत तक एक महीने के लिए और बढ़ा दिया है।
कच्चे तेल की गिरती कीमतों को थामने के लिए तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक उत्पादन में कटौती पर फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं के बयान पर गंभीरता से विचार करेगा।
अपना मार्केट बचाए रखने के लिए रूस, सऊदी अरब और अमेरिका उत्पादन बढ़ाते हैं तो इससे कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट आएगी और भारत में इससे पेट्रोल और डीजल के भाव कम हो सकते हैं
कच्चे तेल का उत्पादन जून माह में 4.5 फीसदी घट गया है। निजी क्षेत्र की कंपनियों के परिचालन वाले क्षेत्रों में उत्पादन में भारी गिरावट दर्ज की गई है।
दुनिया भर में तेल कुओं की खोज 60 साल में सबसे निचले स्तर पर आ गई है। अगर हालात ऐसे रहे तो अगले 10 वर्षों में क्रूड सप्लाई डिमांड के मुकाबले घट सकती है।
ONGC का कच्चे तेल का उत्पादन 2015-16 में लगातार दूसरे साल बढ़ा है, लेकिन प्राकृतिक गैस का उत्पादन लगातार घट रहा है।
कच्चे तेल के दामों में गिरावट के एक लंबे दौर के बीच सऊदी अरब के मंत्रिमंडल ने अगले डेढ़ दशक के लिए बहुप्रतीक्षित सुधार प्राथमिकताओं को मंजूरी दे दी है।
दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों की कतर में रविवार को हुई बैठक बेनतीजा रही। तेल उत्पादन को स्थिर करने के यह बैठक बुलाई थी। ईरान बैठक से नदारद रहा।
यूबीएस वेल्थ मैनेजमेंट ने दावा किया है कि अगले एक साल में कच्चा तेल 34 डॉलर से बढ़कर 55 डॉलर प्रति बैरल पहुंच जाएगा।
तेल की गिरती कीमतों के बीच ग्लोबल ऑयल मार्केट में बड़े बदलाव के आसार नजर आ रहे हैं। सऊदी अरब और अमेरिका के बाद दुनिया की निगाहें अब भारत पर टिकी है।
दुनिया के सबसे बड़े रिफाइनरी परिसर के मालिक मुकेश अंबानी का मानना है कि ग्लोबल स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें अभी तीन से पांच साल तक निचले स्तर पर बने रहेंगे।
वर्ल्ड बैंक ने क्रूड की कीमतों के अनुमान में कटौती कर दी है। बैंक ने 2016 के लिए अनुमान को 51 डॉलर से घटाकर 37 डॉलर प्रति बैरल कर दिया है।
क्रूड की कीमतों में गिरावट और गहराती जा रही है। बुधवार को क्रूड 2003 के बाद पहली बार 27 डॉलर के नीचे फिसल गया। इस साल कीमत 25 फीसदी से अधिक गिर चुकी है।
इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (आईईए) की चेतावनी से एशियाई बाजार में अमेरिकी क्रूड का भाव 28 डालर प्रति बैरल से नीचे आ गया। यह इसका 12 साल का नया निचला स्तर है।
जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट के मुताबिक तेल उत्पादक देश इस साल 240 अरब डॉलर (करीब 16,23,992 करोड़ रुपए) की इंटरनेशनल संपत्ति बेच सकते हैं।
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