पुरी ने कहा कि इन सभी गतिविधियों से पहले, दुनिया में उत्पादित कच्चे तेल की कुल मात्रा प्रतिदिन 10.5 करोड़ बैरल के करीब थी। तेल निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगी देशों (ओपेक प्लस) ने अपनी इच्छा से करीब 50 लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की है।
ईरान द्वारा 1 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ मिसाइल हमले के बाद चिंता जताई गई कि इजरायल का रिएक्शन तेहरान के तेल बुनियादी ढांचे को टारगेट करेगी। अगर ऐसा होता है, तो तेल की कीमतें 3 से 5 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती हैं।
सरकार ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल के लिए अप्रत्याशित लाभ कर (Windfall Tax) को घटाकर शून्य प्रति टन कर दिया। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल पर अब कोई विंडफॉल टैक्स नहीं लगेगा।
भारत की कच्चे तेल की मांग 2023 में 54 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से बढ़कर 2030 तक 67 लाख बीपीडी हो जाने का अनुमान है। यह 3.2 प्रतिशत या 13 लाख बीपीडी की वृद्धि है।
क्रूड ऑयल में भारत की घरेलू खपत अभी करीब 50 लाख बैरल प्रति दिन है। आईईए के निदेशक (ऊर्जा बाजार एवं सुरक्षा) किसुके सदामोरी ने कहा, ‘‘त्वरित हरित ऊर्जा कदमों के बावजूद 2030 तक भारत की तेल मांग तीव्र गति से बढ़ेगी। भारत की वृद्धि दर 2027 में चीन से आगे निकल जाएगी।
इजरायल पर हमास की तरफ से बीते 7 अक्टूबर को हुए हमले के बाद पहली बार ब्रेंट क्रूड वायदा 84 डॉलर प्रति बैरल (Crude oil price) से नीचे।
Inflation Rate Increase: पूरी दुनिया में मंदी की आशंका के बीच महंगाई के मोर्चे पर सरकार फिर से कमजोर पड़ती नजर आ रही है। सऊदी अरब ने ऐलान किया है कि वह मई महीने से तेल उत्पादन में बड़ी गिरावट करने जा रहा है। क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन कम करने से तेल की कीमतें बढ़ेंगी और वह महंगाई को बढ़ाने का काम करेगा।
Buying Crude Oil from Russia: यूरोपीय देशों ने रूस से डीजल एवं अन्य तेल उत्पादों खरीद पर रविवार को प्रतिबंध लगाने के साथ ही यूक्रेन पर हमला करने के लिए उसकी आर्थिक रूप से घेराबंदी तेज कर दी है। रूसी डीजल पर यह पाबंदी पेट्रोलियम उत्पादों की अधिकतम सीमा के साथ लगाई गई है।
दिसंबर में उसने भारत को प्रतिदिन 11.9 लाख बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति की। इससे पहले नवंबर में रूस से भारत का आयात 9,09,403 बैरल प्रतिदिन था। अक्टूबर, 2022 में यह 9,35,556 बैरल प्रतिदिन था।
भारत में लगातार बढ़ रही तेल की कीमतों पर जल्द ही लगाम लगने वाली है। हमारा मित्र देश रूस इसके लिए मदद करने की पेशकश कर रहा है। आइए जानते हैं कि इससे आम जनता को कितना फायदा होगा।
Russia Sought Help from India Regarding Oil Prices: रूस और यूक्रेन युद्ध में इन दोनों देशों की आर्थिक हालत तो खस्ता हो ही रही है, मगर दुनिया के अन्य देशों में भी तंगी पैर पसार चुकी है। यूक्रेन पर युद्ध के चलते अमेरिका समेत पश्चिमी देशों ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं। इससे रूस तौबा करने लगा है।
Crude Oil Price: रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते मार्च में कच्चे तेल की कीमत 139 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई थी जो 2008 के बाद अब तक का उच्चतम स्तर था।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की परिस्थितियों में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी का प्रभाव दुनियाभर में देखा जा रहा है। भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। जानिए क्या और कैसे पड़ता है इसका प्रभाव।
सभी मेट्रो शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर का स्तर पार कर चुकी है। लेकिन पिछले चार दिनों से कीमत स्थिर बनी हुई है।
5 दिन तक पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हुई इस बढ़ोतरी के बाद अब दिल्ली में पेट्रोल का भाव बढ़कर 74 रुपए प्रति लीटर और डीजल का भाव 72.22 रुपए प्रति लीटर हो गया है।
सोमवार रात को नायमेक्स पर मई वायदा के लिए कच्चे तेल की कीमतों ने निगेटिव डॉलर का निचला स्तर छुआ है, आसान भाषा में इस भाव को देखें तो हर एक ड्रम (बैरल) कच्चे तेल को खरीदने के लिए पैसे देने के बजाय 35 डॉलर मिल रहे हैं
देश में 10 दिन की जरूरत पूरा करने लायक तेल के भंडार
तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक और रूस के बीच उत्पादन कटौती के करार से सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में जोरदार उछाल आया।
कोरोना वायरस महामारी के चलते पैदा हुआ संकट खत्म होता नहीं दिख रहा है, जिससे एशियाई बाजारों में कच्चे तेल की कीमतें सोमवार को 17 साल के निचले स्तर पर जा पहुंची।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में 18 साल के निचले स्तर पर पहुंचने के बाद रिकवरी आई है। वहीं शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन तेजी का सिलसिला जारी रहा।
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