भारत की कच्चे तेल की मांग 2023 में 54 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) से बढ़कर 2030 तक 67 लाख बीपीडी हो जाने का अनुमान है। यह 3.2 प्रतिशत या 13 लाख बीपीडी की वृद्धि है।
क्रूड ऑयल (कच्चा तेल) दो तरह का होता है। जिसमें एक होता है ब्रेंट क्रूड जो कि लंदन में ट्रेड होता है। दूसरा होता है WTI, जो कि अमेरिका में ट्रेड होता है। भारत जिस कच्चे तेल का आयात किया जाता है, वह ब्रेंट क्रूड है।
क्रूड ऑयल में भारत की घरेलू खपत अभी करीब 50 लाख बैरल प्रति दिन है। आईईए के निदेशक (ऊर्जा बाजार एवं सुरक्षा) किसुके सदामोरी ने कहा, ‘‘त्वरित हरित ऊर्जा कदमों के बावजूद 2030 तक भारत की तेल मांग तीव्र गति से बढ़ेगी। भारत की वृद्धि दर 2027 में चीन से आगे निकल जाएगी।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार चीन के बाद भारत का सबसे ज्यादा व्यापार घाटा रूस के साथ है। भारत की कोशिश रही है कि व्यापार के लिए रुपये-रूबल मैकेनिजम का ही इस्तेमाल हो। इस मैकेनिज्म में भारत रूस को भारतीय मुद्रा में भुगतान करेगा और रूस भारत को रुबल में भुगतान करेगा।
भारत की तरह ही पाकिस्तान रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना चाहता है और इसके लिए वह उतावला हुआ जा रहा है। जानिए पूरी खबर-
Crude oil from Russia: भारत आए दिन तेल खरीदने के मामले में एक नया रिकॉर्ड बनाता जा रहा है। हालांकि इसके पीछे का एक इतिहास भी है। आइए जानते हैं कि दिसंबर और जनवरी महीने में ही हमेंशा तेल का आयात इतना अधिक क्यों बढ़ जाता है?
दिसंबर में उसने भारत को प्रतिदिन 11.9 लाख बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति की। इससे पहले नवंबर में रूस से भारत का आयात 9,09,403 बैरल प्रतिदिन था। अक्टूबर, 2022 में यह 9,35,556 बैरल प्रतिदिन था।
सरकार ने अमेरिका के नेतृत्व वाले जी7 समूह की उस योजना में शामिल होने की कोई इच्छा प्रकट नहीं की है जिसमें रूस के राजस्व को सीमित करने के मकसद से उससे खरीदे गये तेल के दाम की सीमा तय करने का प्रस्ताव रखा गया है।
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की परिस्थितियों में कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी का प्रभाव दुनियाभर में देखा जा रहा है। भारत भी इसके प्रभाव से अछूता नहीं है। जानिए क्या और कैसे पड़ता है इसका प्रभाव।
पिछले साल की तुलना में इस वर्ष के पहले सात महीनों में श्रीलंका का तेल बिल 41.5 प्रतिशत बढ़कर दो अरब डॉलर हो गया है।
अमेरिका के प्रतिबंधों से मिली छूट की अवधि इस महीने की शुरुआत में समाप्त होने के बाद भारत ने ईरान से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया है। अमेरिका में भारत के राजदूत ने यह जानकारी दी।
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि दो तेल कंपनियों ने नवंबर में ईरान से तेल खरीदने का आर्डर दिया है
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में फिर आई तेजी से सोमवार को घरेलू वायदा बाजार में तेल के दाम में जोरदार उछाल आया।
भारत उन देशों में से एक है जिसे भारत-अमेरिका संबंधों की सामरिक प्रकृति, चाबहार बंदरगाह की सामरिक महत्ता और उसकी तेजी से बढ़ती ऊर्जा जरुरतों के कारण कुछ छूट मिल सकती है।
पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी महंगाई की आग कुछ शांत होने की उम्मीद बढ़ी है, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से भाव घटने की संभावना जताई जा रही है। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी कच्चे तेल की कीमतों में 5 प्रतिशत से ज्यादा और ब्रेंट क्रूड की कीमतों में 6 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘ईरान भारत को कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। प्रधानमंत्री और पेट्रोलियम मंत्री देश को बताएं कि क्या वे ईरान से तेल आयात नहीं करने की अमेरिका की बात मानेंगे और पेट्रोल की कीमतों एवं राष्ट्रीय हितों पर इसका क्या असर होने वाला है?’’
अमेरिका ने दुनिया के सभी देशों से कहा है कि वह ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों को देखते हुए वहां से तेल आयात न करें, इन देशों में भारत और चीन भी शामिल हैं। अमेरिका के विदेश विभाग के अधिकारी ने बताया है कि अमेरिका और चीन सहित दुनिया के सभी देशों की तेल कंपनियों को ईरान से तेल आयात नहीं करने को कहा गया है। अमेरिका की तरफ से दुनिया के अन्य देशों से इस साल 4 नवंबर तक ईरान से तेल आयात खत्म करने के लिए कहा गया है
एशियाई बाजारों में कमजोर रुख के बीच वायदा बाजार में आज कच्चा तेल 0.22 प्रतिशत घटकर 4,507 रुपये प्रति बैरल पहुंच गया।
ट्रोल-डीजल की मार्केट के जानकारों के मुताबिक हाल के दिनों में कच्चे तेल की कीमतों में जिस तरह से गिरावट आई है और रुपए में जो रिकवरी देखने को मिल रही है, उसे देखते हुए लग रहा है कि इस हफ्ते पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 3-5 प्रतिशत तक यानि 2-3 रुपए प्रति लीटर की कटौती हो सकती है
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का चालू खाता घाटा (कैड) 10 अरब डॉलर बढ़कर 30 अरब डॉलर पहुचने की उम्मीद है।
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