बारिश और ओलावृष्टि की वजह से फसल बर्बाद हो जाने के कारण आप सरकार से मुआवजा ले सकते हैं। इसके लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत रजिस्ट्रेशन करें। हरियाणा के किसान मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर बर्बाद हुई फसल के लिए आवेदन कर सकते हैं।
डिजिक्लेम प्लेटफॉर्म के माध्यम से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और हरियाणा के बीमित किसानों को एक बटन क्लिक कर कुल 1,260.35 करोड़ रुपये का बीमा दावा स्थानांतरित किया
किसानों को बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Crop Insurance Scheme) एक बड़ी राहत प्रदान करती है। यह फसल के नुकसान का बीमा होता है, इसमें फसल बर्बाद होने पर नुकसान की भरपाई सरकार करती है।
पीएम फसल बीमा योजना का उद्देश्य किसानों की फसल को बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश से होने वाले नुकसान की भरपाई करना है। इसमें बेहद मामूली प्रीमियम पर किसानों को आर्थिक सुरक्षा मिलती है
सरकार ने बड़ा बदलाव करते हुए इसे किसानों के लिए वैकल्पिक बना दिया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसानों की मदद के लिए चलाई जा रही फसल बीमा योजनाओं में सुधार की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अलग-अलग फसलों के प्रीमियम निर्धारण को तर्कसंगत बनाया जाना चाहिए, ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके।
केंद्र ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के क्रियान्वयन के लिए राज्यों को अपनी बीमा कंपनियों के गठन की अनुमति दे दी है। कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यह जानकारी दी।
सरकार का जुलाई से शुरू होने वाले 2017-18 के सत्र में कुल 19.44 करोड़ हेक्टेयर बुआई क्षेत्र में से 40 प्रतिशत को बीमा योजनाओं के तहत लाने का लक्ष्य है।
सरकार ने अब चारों सार्वजनिक क्षेत्र की साधारण बीमा कंपनियां प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और यूनिफाइड पैकेज इंश्योरेंस योजना की बिक्री की अनुमति दे दी है।
प्रधानमंत्री इस हफ्ते सभी बैंकों और बीमा कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। बैठक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के कार्यान्वयन पर चर्चा होगी।
नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में नई फसल बीमा योजना को मंजूरी दे दी है। सरकार ने एक फसल बीमा योजना को मंजूरी दी जो मौजूदा योजनाओं की जगह लेगा।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि मौजूदा फसल बीमा योजना विफल हो गई है, क्योंकि इसके केवल छह राज्यों में लागू किया जा रहा है।
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