चालू वित्त वर्ष में दलहन और धान के मएसपी में बढ़ोतरी का महंगाई दर और सब्सिडी पर नाममात्र प्रभाव होगा। सीपीआई में 0.4 से 0.45 प्रतिशत तक का योगदान होगा।
अप्रैल में थोक अधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) (-)0.85 फीसदी से बढ़कर 0.34 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले रिटेल महंगाई में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
महंगाई आंकड़ों के सरकार की चिंता बढ़ा दी है। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 5.39 फीसदी हो गई है। जबकि मार्च में महंगाई दर 4.83 फीसदी थी।
शेयर बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और मुद्रास्फीति जैसे बड़े आर्थिक आंकड़े आगामी सप्ताह में शेयर बाजार की दिशा को निर्धारित करेंगे।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में रिटेल महंगाई दर 5% के आसपास रहने का अनुमान लगाया है। वहीं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से महंगाई बढ़ेगी।
खाने-पीने की चीजों के दाम में बढ़ोतरी की रफ्तार कम होने से रिटेल महंगाई दर घटी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित रिटेल महंगाई फरवरी में 5.18 फीसदी रही।
अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में थोक महंगाई बढ़ गई है। दाल, सब्जी, फ्यूल और नॉन-फूड आर्टिकल्स के दाम बढ़ने के कारण नवंबर में महंगाई -1.99 फीसदी दर्ज की गई।
आरबीआई स्पौंसर्ड प्रोफेशनल एनालिस्ट के एक सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 5.5 फीसदी पर पहुंच सकती है।
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