देश की सीपीआई आधारित महंगाई दर 2017 में करीब 5.3 प्रतिशत रहेगी जो 2016 में 5.1 प्रतिशत थी। रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।
खुदरा महंगाई दर को लेकर राहत भरी खबर है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर यानी CPI 3.63 फीसदी के स्तर पर रही। यह रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गई है।
रिटेल महंगाई दर अक्टूबर में घटकर 4.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है और इसके बाद नवंबर-दिसंबर में इसके चार प्रतिशत से भी नीचे आने की उम्मीद है।
सब्जी और खाने-पीने की चीजों की कीमतों में आई कमी से रिटेल महंगाई दर अगस्त में घटकर पांच महीने के न्यूनतम स्तर 5.05 फीसदी पर आ गई। जुलाई में यह 6.07 फीसदी थी
विशेषज्ञों का मानना है कि छुट्टियों के कारण कम कारोबारी सत्र वाले चालू सप्ताह के आईआईपी और महंगाई दर जैसे बड़े आंकड़े शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे।
मंडियों में आवक कम होने से सब्जियों के दाम पिछले तीन-चार महीने में 100 प्रतिशत तक चढ़ गए हैं। थोक और खुदरा बाजार में भारी अंतर हैं।
महंगाई दर के ऊपर जाने का जोखिम कायम है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंस कीमतों में बढ़ोतरी तथा 7वें वेतन आयोग के क्रियान्वयन की वजह से मुद्रास्फीति ऊपर जाएगी।
ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी एचएसबीसी ने अपनी एक रिपोर्ट में रिटेल महंगाई दर अगले दो महीने में छह फीसदी से अधिक रहने का अनुमान लगाया है।
देश में महंगाई की आग और भड़कने लगी है। जून में थोक वस्तुओं की महंगाई दर में जोदार इजाफा हुआ है। यह पिछले महीने 1.62 फीसदी पहुंच गई।
खाने पीने की वस्तुओं के आसमान छूते दाम के बीच मई में थोक महंगाई दर में जोरदार इजाफा हुआ है। मई में थोक महंगाई की दर बढ़कर 0.79 फीसदी पर पहुंच गई।
सब्जी और कुछ अन्य फूड आइटम के दाम बढ़ने से रिटेल महंगाई दर मई महीने में बढ़कर 5.76 फीसदी पहुंच गई। यह लगातार दूसरा महीना है जब महंगाई दर बढ़ी है।
शेयर बाजार की दिशा महंगाई दर के आंकड़े, मानसून की चाल और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक सहित प्रमुख वैश्विक घटनाक्रम इस हफ्ते निर्धारित करेंगे।
चालू वित्त वर्ष में दलहन और धान के मएसपी में बढ़ोतरी का महंगाई दर और सब्सिडी पर नाममात्र प्रभाव होगा। सीपीआई में 0.4 से 0.45 प्रतिशत तक का योगदान होगा।
अप्रैल में थोक अधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) (-)0.85 फीसदी से बढ़कर 0.34 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पहले रिटेल महंगाई में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
महंगाई आंकड़ों के सरकार की चिंता बढ़ा दी है। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 5.39 फीसदी हो गई है। जबकि मार्च में महंगाई दर 4.83 फीसदी थी।
शेयर बाजार विशेषज्ञों ने कहा कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और मुद्रास्फीति जैसे बड़े आर्थिक आंकड़े आगामी सप्ताह में शेयर बाजार की दिशा को निर्धारित करेंगे।
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में रिटेल महंगाई दर 5% के आसपास रहने का अनुमान लगाया है। वहीं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने से महंगाई बढ़ेगी।
खाने-पीने की चीजों के दाम में बढ़ोतरी की रफ्तार कम होने से रिटेल महंगाई दर घटी है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित रिटेल महंगाई फरवरी में 5.18 फीसदी रही।
अक्टूबर के मुकाबले नवंबर में थोक महंगाई बढ़ गई है। दाल, सब्जी, फ्यूल और नॉन-फूड आर्टिकल्स के दाम बढ़ने के कारण नवंबर में महंगाई -1.99 फीसदी दर्ज की गई।
आरबीआई स्पौंसर्ड प्रोफेशनल एनालिस्ट के एक सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में रिटेल महंगाई दर (सीपीआई) बढ़कर 5.5 फीसदी पर पहुंच सकती है।
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