पाकिस्तान में बना चीन का आर्थिक गलियाया अब पाकिस्तान की गले की फांस बन गया है। चीन के इस आर्थिक गलियारे में बिजली संयंत्रों के लिए मिले महंगे कर्ज के चलते आईएमएफ की मदद से पाकिस्तान को हाथ धोना पड़ सकता है।
शुरुआत में कंपनी का लक्ष्य चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी परियोजनाओं में काम करने वाले चीनी लोगों को बीयर देना था। लेकिन बाद में इसे स्थानीय दुकानदारों को भी बेचा जाने लगा।
चीन की स्वतंत्र बिजली उत्पादकों के लगभग 25 प्रतिनिधियों ने चेतावनी दी है कि अगर उनका भुगतान नहीं किया जाएगा, तो वे कुछ दिन के भीतर काम करना बंद कर देंगे।
विपक्षी दलों ने संसद को भंग करने और नए चुनावों की घोषणा की वैधता पर फैसला के सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
सीपीईसी चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (बीआरआई) का हिस्सा है। बीआरआई के तहत चीन सरकार करीब 70 देशों में भारी निवेश कर रही है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और भारत द्वारा पाकिस्तान को चीन के बीआरआई से "बाहर रखने के लिए चालें चली जा रही हैं।’’
सोहनी से कुछ वक्ताओं के पहले एक पाकिस्तानी डिप्लोमैट ने BRI और CPEC के तारीफों के पुल बांधे तथा इसे क्षेत्र के लिए निर्णायक बताया। BRI का उद्देश्य चीन का प्रभाव बढ़ाना और दक्षिणपूर्ण एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी क्षेत्र, अफ्रीका और यूरोप को भूमि एवं समुद्री मार्ग के नेटवर्क से जोड़ना है।
चीन ने पाकिस्तान को 9 चीनी कर्मियों की बस विस्फोट में मौत के बाद एकबार फिर सुरक्षा को ठीक करने को कह दिया है। चीन CPEC के तहत कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। ऐसे में उसे अपने कर्मियों की सुरक्षा का खतरा महसूस हो रहा है।
पाकिस्तान में सीपीईसी प्रोजेक्ट से जुड़े चीन के इंजीनियर और अन्य कर्मचारियों को अपनी रक्षा खुद करनी पड़ रही है। यहां काम कर रहे इंजीनियर और कर्मचारी अपने साथ एक हाथ में टूलकिट और दूसरे में एके 47 जैसे हथियारों के साथ साइट पर अपनी ड्यूटी निभाते हैं।
पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान सूबे के 2 अलग-अलग इलाकों में संदिग्ध विद्रोहियों द्वारा किए गए हमलों में पाकिस्तानी सेना के कम से कम 5 सैनिक मारे गए।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में ग्वादर बंदरगाह को चीन के शिनजिआंग प्रांत से जोड़ने वाली सीपीईसी परियोजना चीन की महत्वकांक्षी अरबों डॉलर की बीआरआई पहल का हिस्सा है। भारत ने परियोजना को लेकर चिंता जतायी है क्योंकि सीपीईसी का कुछ हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरता है।
पाकिस्तान में आजकल चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) को चीज पिज्जा इकोनॉमिक कॉरिडोर कहा जा रहा है। इसके अलावा पाकिस्तानी सोशल मीडिया में इन दिनों 'बाजवा पापा जॉन पिज्जा' को लेकर खासा मजाक बन रहा है।
पाकिस्तान और चीन के बीच निकटता हर हफ्ते बढ़ती जा रही है, क्योंकि इस्लामाबाद चीन के लिए हर दरवाजा खोल रहा है, जिसमें चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) भी शामिल है।
चीन और पाकिस्तान अपने इकोनॉमिक कॉरिडोर और सड़क निर्माण के नाम पर दुनिया को धोखा दे रहे हैं। एक नए खुलासे में सामने आया है कि ये जोनों देश सीपीईसी की आड़ में जैविक हथियार बनाने का काम कर रहे हैं।
बलूचिस्तान में पहले से ही बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए), बलूचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ), बलूच रिपब्लिकन आर्मी (बीआरए) और बलूच रिपब्लिकन गार्डस (बीआरजी) हैं, जो पाकिस्तान से आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने शुक्रवार को कहा कि उनकी सरकार महत्वाकांक्षी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) को किसी भी कीमत पर पूरा करेगी।
चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC), बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का एक संग्रह है जो वर्तमान में पूरे पाकिस्तान में निर्माणाधीन है। मूल रूप से $ 46 बिलियन का मूल्य, CPEC परियोजनाओं का अनुमान $ 87 बिलियन आज के फंडिंग में है, जो आज केवल एक चौथाई पूरा हुआ
सीपीईसी चीन-पाकिस्तान की एक महत्वकांक्षी योजना है, जिसमें सड़कों, रेलवे और बिजली परियोजनाओं का योजनाबद्ध नेटवर्क खड़ा किया जाना है।
सीपीईसी चीन के झिनजियांग को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ेगा। इस पहल पर यह भी आरोप लग रहे हैं कि छोटे देश चीन के कर्ज से दबकर कमजोर पड़ रहे हैं।
चीन के वुहान से निकलकर दुनिया के कई देशों में तेजी से फैलने वाले कोरोनावायरस ने चीन और पाकिस्तान के ड्रीम प्रॉजेक्ट पर भी बड़ा असर डाला है।
अमेरिका ने ऑफर देते हुए यह भी कहा है कि वह पाकिस्तान के लिए चीन की तुलना में एक बेहतर मॉडल दे सकता है।
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