आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पुणे स्थित एसआईआई ने कोविशील्ड के वास्ते नियमित विपणन की अनुमति के लिए अपने आवेदन के साथ भारत से संबंधित अंतिम चरण 2/3 की चिकित्सीय अध्ययन रिपोर्ट जमा कर दी है।
बयान में कहा गया कि राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों को सलाह दी गई थी कि वे उन जिलों को प्राथमिकता दें, जहां वैक्सीन कम लगे हैं और अतिरिक्त कोविड-19 वैक्सीनेशन केन्द्रों की जरूरत तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच में सुधार की आवश्यकता का पता लगाएं।
भारत में ब्रिटेन (United Kingdom) के राजदूत एलेक्स एलिस ने गुरुवार को कहा कि भारत में कोविशील्ड की दोनों डोज ले चुके किसी भी भारतीय यात्री को 11 अक्तूबर से उनके देश में क्वारंटीन नहीं रहना होगा।
शाहिद ने शुक्रवार को यहां अपनी पहली प्रेस वार्ता में कहा, "टीकों के बारे में, यह एक बहुत ही तकनीकी प्रश्न है जो आपने मुझसे पूछा है। मुझे भारत में बना कोविशील्ड टीका लगा है, मुझे दोनों खुराकें मिल गई हैं। मुझे नहीं पता कि कितने देश कहेंगे कि कोविशील्ड स्वीकार्य है या नहीं, लेकिन दुनिया के कई देशों को कोविशील्ड मिला है।"
सरकार ने कहा कि जायडस कैडिला के स्वदेशी रूप से विकसित सुई-मुक्त कोविड-19 वैक्सीन जायकोव-डी को बहुत जल्द राष्ट्रव्यापी कोरोना वायरस वैक्सीनेशन अभियान में शामिल किया जाएगा और वर्तमान में उपयोग किए जा रहे वैक्सीन की तुलना में इसका अलग मूल्य होगा।
केंद्र सरकार ने अपनी अपील में कहा है कि अगर एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द नहीं किया गया तो देश में वैक्सीनेशन नीति पटरी से उतर सकती है और कोविड-19 से मुकाबला करने की रणनीति का क्रियान्वयन ठीक प्रकार से नहीं हो सकेगा।
बुलेटिन के अनुसार पिछले 24 घंटों में 19 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दी गई है। इसमें कहा गया है कि मृतकों की संख्या 25,085 पर बनी हुई है और संक्रमण दर 1.74 प्रतिशत है।
ब्रिटेन ने सोमवार को कहा था कि वह भारतीय प्राधिकारियों द्वारा जारी कोविड-19 रोधी टीकाकरण प्रमाणपत्र की स्वीकार्यता को विस्तार देने पर भारत के साथ चर्चा कर रहा है।
कोवैक्सीन को डब्लूएचओ की मंजूरी मिलने की खबरें पहले भी आई हैं। जुलाई में ही बताया गया था कि कोवैक्सीन को अगले कुछ हफ्तों में हरी झंडी मिलने वाली है। हालांकि, तब ऐसा नहीं हुआ।
जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी।
कंपनी ने अपनी याचिका में कहा कि वह पहले ही अपने 5,000 से अधिक कामगारों को वैक्सीन की पहली खुराक लगवा चुकी है और उसने लगभग 93 लाख रुपये की लागत से दूसरी खुराक की व्यवस्था भी की है, लेकिन मौजूदा प्रतिबंधों के कारण इसे कामगारों को लगवाने में वह असमर्थ है।
केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को असली कोरोना वैक्सीन की पहचान के लिए मापदंड भेजा है, जिसे देखकर पहचान की जा सकती है कि वैक्सीन असली है या नकली? इस मापदंड में अंतर पहचानने के लिए कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक V तीनों वैक्सीन पर लेबल, उसके कलर, ब्रांड का नाम क्या होता है, इन सब की जानकारी साझा की गई है।
भारत को 10 करोड़ खुराक तक पहुंचने में 85 दिन लगे। उसे 20 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में 45 दिन एवं 30 करोड़ तक पहुंचने में और 29 दिन लगे। देश को 40 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में बाद के 24 दिन तथा छह अगस्त को 50 करोड़ का आंकडा पार करने के लिए 20 और दिन लगे।
शुक्रवार को 90 लाख लोगों को वैक्सीन का आंकड़ा 7 बजे तक का है और ऐसी संभावना है कि अंतिम अपडेट तक यह आंकड़ा और भी ऊपर पहुंचकर एक करोड़ के करीब पहुंच सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, कोविशिल्ड वैक्सीन के दोनों डोज़ के बीच समय अंतराल कम हो सकता है। आने वाले दिनों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर फ़ैसला ले सकता है।
टीके अब भी सबसे अधिक गंभीर कोविड-19 खासकर बहुत अधिक संक्रामक डेल्टा स्वरूप के विरूद्ध कड़ी सुरक्षा देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि कोविशील्ड के नकली वर्जन की पहचान की गई है।जुलाई और अगस्त के बीच भारत और अफ्रीका में अधिकारियों ने खुराक को जब्त कर लिया है।
सूत्र ने बताया कि हालांकि, राज्य को सूचित किया गया है कि ये खुराक केवल निजी अस्पतालों में ही लगाई जानी चाहिए और इन्हें कोविन पोर्टल पर दर्ज किया जाना चाहिए।
पूनावाला ने यह भी कहा कि वह कोरोना वायरस के 2 अलग-अलग वैक्सीन की खुराक देने के पक्ष में नहीं हैं।
साइरस पूनावाला ने कहा कि हजारों प्रतिभागियों के बीच परीक्षण में इस संबंध में प्रभाव साबित नहीं हुए हैं।
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