सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने केंद्र सरकार को कोविशील्ड वैक्सीन की दो करोड़ डोज (खुराक) मुफ्त में देने की पेशकश की है।
देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इस बीच दिल्ली सरकार ने संक्रमण के रोकथाम के लिए बड़ा फैसला लिया है। गुरुवार को दिल्ली सरकार ने बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि दिल्ली में कोरोना वैक्सीन की 'प्रिकॉशन डोज' अब सरकारी टीकाकरण केंद्रों में मुफ्त में लगाई जाएगी।
स्वास्थ्य मंत्री मंडाविया से राज्य सरकार ने 50 लाख कोविशील्ड की डोज और 40 लाख कोवैक्सीन की डोज की मांग की है।
देश में सोमवार तक कोविड वैक्सीन की 123 करोड़ से अधिक खुराकें दी जा चुकी हैं। यह जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी। मंत्रालय ने बताया कि सोमवार शाम सात बजे तक 70 लाख (70,85,126) से अधिक खुराक दी गई थीं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता नितिन एएम ने अपनी दलीलों में कहा कि क्लिनिकल ट्रायल के बगैर बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन की अनुमति देना नियमों का उल्लंघन है और कोविशील्ड तथा कोवैक्सीन वैक्सीन नुकसानदेह और गैरकानूनी है।
बयान में कहा गया कि राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों को सलाह दी गई थी कि वे उन जिलों को प्राथमिकता दें, जहां वैक्सीन कम लगे हैं और अतिरिक्त कोविड-19 वैक्सीनेशन केन्द्रों की जरूरत तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच में सुधार की आवश्यकता का पता लगाएं।
शाहिद ने शुक्रवार को यहां अपनी पहली प्रेस वार्ता में कहा, "टीकों के बारे में, यह एक बहुत ही तकनीकी प्रश्न है जो आपने मुझसे पूछा है। मुझे भारत में बना कोविशील्ड टीका लगा है, मुझे दोनों खुराकें मिल गई हैं। मुझे नहीं पता कि कितने देश कहेंगे कि कोविशील्ड स्वीकार्य है या नहीं, लेकिन दुनिया के कई देशों को कोविशील्ड मिला है।"
सरकार ने कहा कि जायडस कैडिला के स्वदेशी रूप से विकसित सुई-मुक्त कोविड-19 वैक्सीन जायकोव-डी को बहुत जल्द राष्ट्रव्यापी कोरोना वायरस वैक्सीनेशन अभियान में शामिल किया जाएगा और वर्तमान में उपयोग किए जा रहे वैक्सीन की तुलना में इसका अलग मूल्य होगा।
केंद्र सरकार ने अपनी अपील में कहा है कि अगर एकल न्यायाधीश के आदेश को रद्द नहीं किया गया तो देश में वैक्सीनेशन नीति पटरी से उतर सकती है और कोविड-19 से मुकाबला करने की रणनीति का क्रियान्वयन ठीक प्रकार से नहीं हो सकेगा।
जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी।
कंपनी ने अपनी याचिका में कहा कि वह पहले ही अपने 5,000 से अधिक कामगारों को वैक्सीन की पहली खुराक लगवा चुकी है और उसने लगभग 93 लाख रुपये की लागत से दूसरी खुराक की व्यवस्था भी की है, लेकिन मौजूदा प्रतिबंधों के कारण इसे कामगारों को लगवाने में वह असमर्थ है।
भारत को 10 करोड़ खुराक तक पहुंचने में 85 दिन लगे। उसे 20 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में 45 दिन एवं 30 करोड़ तक पहुंचने में और 29 दिन लगे। देश को 40 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में बाद के 24 दिन तथा छह अगस्त को 50 करोड़ का आंकडा पार करने के लिए 20 और दिन लगे।
शुक्रवार को 90 लाख लोगों को वैक्सीन का आंकड़ा 7 बजे तक का है और ऐसी संभावना है कि अंतिम अपडेट तक यह आंकड़ा और भी ऊपर पहुंचकर एक करोड़ के करीब पहुंच सकता है।
सूत्रों के मुताबिक, कोविशिल्ड वैक्सीन के दोनों डोज़ के बीच समय अंतराल कम हो सकता है। आने वाले दिनों में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय इस पर फ़ैसला ले सकता है।
सूत्र ने बताया कि हालांकि, राज्य को सूचित किया गया है कि ये खुराक केवल निजी अस्पतालों में ही लगाई जानी चाहिए और इन्हें कोविन पोर्टल पर दर्ज किया जाना चाहिए।
पूनावाला ने यह भी कहा कि वह कोरोना वायरस के 2 अलग-अलग वैक्सीन की खुराक देने के पक्ष में नहीं हैं।
दुनियाभर में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि कोरोना के खिलाफ जंग में बूस्टर डोज की भी जरूरत पड़ सकती है। भारत में भी बूस्टर डोज (Booster Dose) की जरूरत को लेकर विचार विमर्श किया जा रहा है।
ICMR की तरफ से कहा गया है कि देश में निर्मित 2 वैक्सीन Covishield तथा Covaxin को मिलाने पर कोरोना के खिलाफ ज्यादा असरदार रिजल्ट देखने को मिल रहे हैं।
ICMR द्वारा जानकारी दी गई है कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड की मिक्सिंग और मैचिंग स्टडी में बेहतर परिणाम देखने को मिले हैं।
वैज्ञानिकों और डॉक्टरों के एक समूह ने 'कोविशील्ड' टीके की दो खुराकों के बीच छह से आठ सप्ताह का अंतर रखने का सुझाव देते हुए शुक्रवार को सरकार से मूल कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को दोबारा लागू करने की मांग की।
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