जून के दौरान कम बरसात की मार से पिछड़ी खरीफ फसलों की खेती को लेकर अच्छी खबर है, जुलाई के दौरान हुई अच्छी बरसात से खरीफ फसलों की खेती ने रफ्तार पकड़ी है और अब खरीफ फसलों का रकबा औसत के मुकाबले आगे निकल गया है
ICAC के मुताबिक 2018-19 सीजन के दौरान वैश्विक स्तर पर कपास की खपत 274.6 लाख टन तक पहुंच सकती है जो अबतक की सबसे अधिक सालाना खपत होगी और 2017-18 के मुकाबले लगभग 11 लाख टन ज्यादा।
एक तरफ देश में कई जगहों पर भारी बरसात मुसीबत बनी हुई है तो कई जगह ऐसी भी हैं जहां बरसात का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। देश में कपास और मूंगफली की सबसे ज्यादा उपज देने वाले राज्य गुजरात में बारिश की कमी की वजह से खरीफ फसलों की खेती करीब 45 प्रतिशत पिछड़ गई है और सबसे खराब असर कपास और मूंगफली की फसल पर ही पड़ा है
केंद्र सरकार ने इस साल किसानों की कमाई बढ़ाने के लिए खरीफ फसलों का समर्थन मूल्य तो बढ़ा दिया है लेकिन मौसम की बेरुखी की वजह से कहीं किसान इसका लाभ उठाने से वंचित न रह जाएं। देशभर में अबतक औसत के मुकाबले कम बरसात दर्ज की गई है जिस वजह से खरीफ बुआई बुरी तरह प्रभावित हुई है, ऐसे में खरीफ उत्पादन प्रभावित होगा और किसानों को बढ़े हुए समर्थन मूल्य का ज्यादा लाभ नहीं मिल सकेगा
अबतक बीते मानसून सीजन के दौरान देशभर में भले ही सामान्य बरसात हुई हो लेकिन मानसून के रुकने की वजह से कुछेक राज्यों में बारिश की भारी कमी देखी जा रही है जिस वजह से उन राज्यों में खरीफ की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक अबतक बीते मानसून सीजन के दौरान गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बारिश की भारी कमी देखी जा रही है
देश में खरीफ फसलों की खेती शुरुआत में पिछड़ने के बाद अब सामान्य होने लगी है। मानसून के आगे बढ़ने के साथ खरीफ फसलों की बुआई ने भी रफ्तार पकड़ ली है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक 15 जून तक देशभर में कुल 93.01 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसलों की खेती हो चुकी है, पिछल साल इस दौरान 94.12 लाख हेक्टेयर में बुआई हो चुकी थी, सामान्य तौर पर इस दौरान औसतन 91.48 लाख हेक्टेयर में फसल लगती है
चीन सोयाबीन, कपास और चावल का सबसे बड़ा कंज्यूमर है जबकि भारत कपास का सबसे बड़ा उत्पादक और चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है, ऐसे में चीन का बाजार भारत के लिए खुल सकता है
3 साल बाद ऐसा होगा कि कपास उत्पादन इसकी खपत से अधिक होगा, इस साल खपत 252.2 लाख टन अनुमानित है जो पिछले साल से 6.6 लाख टन अधिक होगी लेकिन उत्पादन से कम
कृषि मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक खरीफ सत्र में अभी तक धान की बुवाई का रकबा 4.5 प्रतिशत बढ़कर 126 लाख हेक्टेयर हो गया है।
GST लागू होने के बाद कपड़ा उत्पाद विशेष रूप से सूती धागे और फैब्रिक वाले उत्पाद महंगे हो जाएंगे। सरकार ने GST में कपड़े को ऊंचे टैक्स स्लैब में रखा है।
कपड़ा कंपनी वेलस्पन इंडिया और उसकी अमेरिकी अनुषंगी इकाइयों की समस्या बढ़ गई है। कंपनी पर उपभोक्ताओं की तरफ से दो सामूहिक मुकदमे दायर किए गए हैं।
सरकार ने भारतीय कपास निगम के मौजूदा भंडार को मध्यम, लघु एवं सूक्ष्म कताई इकाइयों को बेचने का निर्णय किया है
किसानों के अन्य फसलों की ओर से रुख बदलने की वजह से सत्र 2015-16 में कपास का उत्पादन घटकर 338 लाख गांठ रह जाने का अनुमान है।
स्वीडन की प्रमुख फर्नीचर कंपनी आइकिया अगले साल तक भारत में अपना रिटेल ऑपरेशन शुरू करने की तैयारी कर रही है। इसके मद्देनजर वह कपड़ों के लिए कपास खरीदेगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक कम बुआई और घटती उत्पादकता के कारण चालू वर्ष में देश का कपास उत्पादन 11 फीसदी गिरकर 335 लाख गांठ (एक गांठ= 170 किलो) रहने का अनुमान है।
Whitefly नाम के कीड़ों ने दो तिहाई कपास की फसल को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। फसल खराब होने की वजह से पिछले दो माह में पंजाब में 15 किसानों ने आत्महत्या कर ली है।
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