नियमों का अनुपालन नहीं करने वाली 2.09 लाख कंपनियों का पंजीकरण समाप्त कर दिया गया है। बैंक खातों से लेनदेन पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।
गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) के पास अब कंपनी कानून के उल्लंघन के मामलों में लोगों की गिरफ्तारी का अधिकार भी मिल गया है।
भारतीय कंपनियां चालू वित्त वर्ष में अब तक कॉरपोरेट्स बांड्स के जरिये कुल 2.2 लाख करोड़ रुपए का धन जुटा चुकी हैं।
अप्रैल से जुलाई के दौरान कुल 1.90 लाख करोड़ रुपए का डायरेक्ट टैक्स इकट्टा हुआ है जो वित्तवर्ष 2017-18 के लिए तय हुए डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन का 19.5 फीसदी है
कॉरपोरेट सेक्टर के बैड लोन को वसूलने के लिए बैंकों के प्रयासों को मजबूती देते हुए गुजरात हाईकोर्ट ने एस्सार स्टील की RBI के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी है
वैश्विक ई-कॉमर्स कंपनी Amazon ने भारतीय इकाई में 1,680 करोड़ रुपए का निवेश किया है। कंपनी यहां ई-कॉमर्स बाजार में अपना परिचालन मजबूत करना चाहती है।
Sebi के प्रमुख अजय त्यागी ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की 20 प्रतिशत कंपनियों में अभी भी एक भी महिला निदेशक नहीं है।
भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को वित्त वर्ष 2016-17 में कुल 1,80,117 करोड़ रुपए की निवेश आय हुई। एलआईसी देश की सबसे बड़ी घरेलू संस्थागत निवेश कंपनी भी है।
भारतीय कंपनियों ने पिछले वित्त वर्ष में कारोबारी जरूरतों की पूर्ति के लिए कॉरपोरेट बांड्स के निजी नियोजन के माध्यम से सात लाख करोड़ रुपए जुटाए
भारतीय अर्थव्यवस्था उत्पादक वृद्धि के दौर में प्रवेश कर रही है जिसके चलते उसकी GDP ग्रोथ दिसंबर 2017 तक बढ़कर 7.9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
बाजार नियामक SEBI ने रशिल डेकोर, कॉरपोरेट स्ट्रेटजिक अलायंस और छह अन्य पर अपने IPO दस्तावेजों में पूरी तरह खुलासा नहीं करने को लेकर जुर्माना लगाया है।
लंबे समय से निष्क्रिय लगभग 13,000 कंपनियां सरकार की नजर में आई हैं। ये कंपनियां लंबे समय से किसी कारोबारी गतिविधि में संलग्न नहीं हैं।
ट्रंप प्रशासन की बहुप्रतीक्षित टैक्स सुधार योजना के तहत कॉरपोरेट टैक्स की दर को मौजूदा अधिकतम 35 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत पर लाने का प्रस्ताव है।
टाटा, गोदरेज, अडानी और पतंजलि जैसे कई बड़े कॉरपोरेट घरानों ने सहारा समूह की 7,400 करोड़ रुपए मूल्य की 30 संपत्तियों को खरीदने में अपनी रुचि दिखाई है।
प्रधानमंत्री राहत कोष में कंपनियों का योगदान 2015-16 में 25 प्रतिशत घटकर 80.55 करोड़ रुपए रहा। हालांकि कंपनियों ने सीएसआर पर 8,185 करोड़ रुपए खर्च किए है।
वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियां अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर 85 फीसदी से अधिक आशान्वित हैं। एक सर्वे में यह निष्कर्ष निकाला गया है।
ऊंचे डूबे कर्ज और कंपनियों की कमजोर मांग से बीते वित्त वर्ष 2016-17 में ऋण की वृद्धि दर (क्रेडिट ग्रोथ) छह दशक के निचले स्तर 5.08 प्रतिशत पर आ गई।
बंबई शेयर बाजार में सूचीबद्ध 32 बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने 2015-16 में अपनी मूल वैश्विक कंपनियों को 7,100 करोड़ रुपए की रॉयल्टी भुगतान किया है।
वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा, पूंजीवादी व्यवस्था में सरकारों को कभी-कभी कंपनियों को कर्ज से उबरने में मदद करनी पड़ती है।
NPA के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के बाद एक प्रमुख संसदीय समिति ने बैंक लोन नहीं चुकाने वाले का नाम सार्वजनिक कर उन्हें शर्मिंदा किए जाने का पक्ष लिया है।
संपादक की पसंद