उत्तर प्रदेश नौ करोड़ से अधिक लोगों को कोविड के टीके लगाने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है। राज्य ने जनवरी में राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण अभियान शुरू करने के बाद से अब तक कुल 9.01 करोड़ वैक्सीन खुराक दी है।
कोवैक्सीन को डब्लूएचओ की मंजूरी मिलने की खबरें पहले भी आई हैं। जुलाई में ही बताया गया था कि कोवैक्सीन को अगले कुछ हफ्तों में हरी झंडी मिलने वाली है। हालांकि, तब ऐसा नहीं हुआ।
जिस रफ्तार से देश में वैक्सीनेशन का अभियान बढ़ रहा है उसे देखते हुए लग रहा है कि महीने भर में देश के 100 करोड़ लोगों तक वैक्सीन की कम से कम एक डोज जरूर पहुंच जाएगी।
यूएई के इस फैसले से भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, वियतनाम, नामीबिया, जाम्बिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, युगांडा, सिएरा लियोन, लाइबेरिया, दक्षिण अफ्रीका, नाइजीरिया और अफगानिस्तान से आने वाले यात्रियों को राहत मिलेगी।
इस बीच सरकार ने वैक्सीनेशन के विभिन्न पहलुओं की जानकारी देने के लिए तीन मंचों के आंकड़ों का तालमेल करके एक कोविड वैक्सीन ट्रैकर विकसित किया है।
इस बीच केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि देश में अभी कोरोना की दूसरी लहर ही देखी जा रही है, जो कि यह अभी खत्म नहीं हुई है।
बता दें कि अमेरिका में कोरोना बेकाबू होता जा रहा है। यहां मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां कोरोना से बचने के लिए अब जनता को बूस्टर डोज दिया जा रहा है।
देश में पहले 10 करोड़ लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने में 85 दिन लग गए थे और उसके बाद 10 से 20 करोड़ तक पहुंचने में 45 दिन, फिर 20 से 30 करोड़ तक पहुंचने में 29 दिन, 30-40 करोड़ तक 24 दिन, 40 से 50 करोड़ तक पहुंचने में 20 दिन और 50 से 60 करोड़ तक पहुंचने में 19 दिन लगे थे।
सोमवार को देशभर में 74342 से ज्यादा जगहों पर वैक्सीन दी गई है जिनमें लगभग 71 हजार सरकारी केंद्र हैं और बाकी प्राइवेट केंद्र। सोमवार को शाम 7 बजे तक उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार में 15 लाख से ज्यादा लोगों को वैक्सीन दी गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हिमाचल प्रदेश के हेल्थ वर्कर्स और वैक्सीन लाभार्थियों से बात की। बता दें कि हिमाचल प्रदेश देश का ऐसा राज्य बन गया है जहां सभी लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी है।
केंद्र ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को असली कोरोना वैक्सीन की पहचान के लिए मापदंड भेजा है, जिसे देखकर पहचान की जा सकती है कि वैक्सीन असली है या नकली? इस मापदंड में अंतर पहचानने के लिए कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पुतनिक V तीनों वैक्सीन पर लेबल, उसके कलर, ब्रांड का नाम क्या होता है, इन सब की जानकारी साझा की गई है।
उन्होंने तेजी से बदलती दुनिया में उभरती नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने की भी वकालत की। साथ ही गोयल ने कहा कि डाटा संरक्षण और साइबर सुरक्षा की चुनौतियों का समाधान ढूंढने की जरूरत है।
बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की प्रबंध निदेशक महिमा डाटला ने कहा कि मंजूरी मिलने के बाद इसे डब्ल्यूएचओ के समक्ष दायर करने में सहयोग मिलेगा। अभी तक जायडस कैडिला के कोविड-19 टीके जायकोव-डी को देश में 12 से 18 वर्ष तक की उम्र के किशोरों को लगाने की आपातकालीन मंजूरी औषधि नियामक से मिली है।
देश में कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंका के बीच आगामी त्योहारी मौसम को देखते हुए केंद्र ने कहा कि सामूहिक समारोहों को हतोत्साहित करना होगा, यदि किसी सभा में शामिल होना जरूरी है तो पूर्ण वैक्सीनेशन एक पूर्व शर्त होनी चाहिए।
बिना टीकाकरण वाले लोगों को रेस्टॉरेंट और होटल के अंदर जाने की भी अनुमति नहीं है। ऐसे लोग न तो सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर सकते हैं और न ही शॉपिंग मॉल के भीतर प्रवेश कर सकते हैं।
स्थानीय लोगों ने दावा किया कि सैकड़ों लोग सुबह से ही वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर कतार में खड़े थे और सामाजिक दूरी बनाये रखने संबंधी नियम का भी पालन नहीं किया गया।
भारत को 10 करोड़ खुराक तक पहुंचने में 85 दिन लगे। उसे 20 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में 45 दिन एवं 30 करोड़ तक पहुंचने में और 29 दिन लगे। देश को 40 करोड़ के आंकड़े तक पहुंचने में बाद के 24 दिन तथा छह अगस्त को 50 करोड़ का आंकडा पार करने के लिए 20 और दिन लगे।
इस बीच राष्ट्रीय राजधानी में सोमवार को कोविड-19 वैक्सीन की 1.53 लाख से अधिक खुराक दी गयीं। कोविन पोर्टल से यह जानकारी सामने आई।
शुक्रवार को 90 लाख लोगों को वैक्सीन का आंकड़ा 7 बजे तक का है और ऐसी संभावना है कि अंतिम अपडेट तक यह आंकड़ा और भी ऊपर पहुंचकर एक करोड़ के करीब पहुंच सकता है।
देशभर में टीकाकरण अभियान 16 जनवरी को शुरू किया गया था, जिसमें सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) को टीका लगाया गया था और दो फरवरी से अग्रिम मोर्चे के कर्मियों (एफएलडब्ल्यू) का टीकाकरण शुरू किया गया था।
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