रूस ने यूक्रेन पर फिर बहुत ही घातक प्रहार किया है। इससे यूक्रेन के दक्षिणी खेरसॉन में अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है। जबकि 5 दर्जन से अधिक इमारतों के परखच्चे उड़ गए हैं। यह हमला क्लस्टर बमों से किया गया है, जो एक बार ब्लास्ट होने के बाद कई छोटे-छोटे बमों में तब्दील हो जाते हैं।
यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में रूस द्वारा बड़े पैमाने पर क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया गया। वहीं दूसरी ओर यूक्रेन ने सीमित स्तर पर ही क्लस्टर बम का इस्तेमाल किया।
क्लस्टर बमों की गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक बमों मे है। यह जब फटते हैं तो परमाणु बमों की तर्ज पर इनमें हजारों छोटे-छोटे बम निकलते हैं, जो जहां गिरते हैं वहां तबाही का सैलाब ला देते हैं। पहले क्लस्टर बम का इस्तेमाल द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी और रूस ने किया था। अब रूस-यूक्रेन युद्ध में क्लस्टर के इस्तेमाल का खतरा है।
रूस और यूक्रेन में अब क्लस्टर बमों की जंग छिड़ने वाली है। अगर ऐसा हुआ तो भारी संख्या में आम नागरिकों की लाशें बिछ सकती हैं। दरअसल रूस को युद्ध में पिछड़ता देख अमेरिका ने कीव को क्लस्टर बमों की खेप भेज दी है। अब पुतिन ने चेताया है कि रूस के भंडार भी क्लस्टर बमों से भरे पड़े हैं।
अमेरिका ने एलान किया है कि वह रूस के साथ जंग में यूक्रेन को अकेला नहीं छोड़ेगा और उसकी मदद के लिए उसे क्लस्टर बम मुहैया कराएगा।
सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को क्लस्टर बम बनाने वाली कंपनियों में निवेश के लिए हॉल ऑफ शेम यानी बदनामों की सूची में शामिल किया गया है।
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