पत्रिका ‘एनर्जीस’ में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से उपजी परिस्थितियों के कारण आने वाले 100 सालों में 100 करोड़ लोगों की जान जा सकती है।
नासा के मुताबिक इस साल जुलाई महीने में साल 1880 के बाद सबसे ज्यादा गर्मी दर्ज की गई है। इसका मुख्य कारण कार्बन उत्सर्जन के कारण हो रहे जलवायु परिवर्तन को बताया गया है।
अंटार्कटिका की पिघलती बर्फ ने दुनिया भर के वैज्ञानिकों के होश उड़ा दिए हैं। यह महाविनाश का संकेत तो नहीं। क्या आगामी समय में धरती और अधिक गर्म होने वाली है, क्या धरती फिर से आग का गोला बनेगी। लगातार तेजी से गर्म होता तापमान वैसे भी शुभ संकेत नहीं दे रहा।
भारत और अमेरिका जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए प्रतिबद्धता से आगे बढ़ रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जॉन केरी इसके लिए 25 से 29 जुलाई तक नई दिल्ली और चेन्नई की यात्रा करेंगे। इस दौरान भारत में चलने वाली बसों को जीरो कार्बन उत्सर्जन करने पर फोकस होगा।
'पर्यावरण बचाओ' को लेकर सड़क पर कुछ लोग प्रदर्शन कर रहे थे। तभी एक ट्रक ड्राइवर को गुस्सा आया और वह अपने ट्रक से नीचे उतरकर धरना दे रहे लोगों को मारने लगा और उन पर ट्रक चढ़ाने की कोशिश करने लगा।
क्लाइमेट चेंज के कारण धरती की पर्यावरणीय स्थिति बदल रही है। जिस कारण जन-जीवन प्रभावित हो रहे हैं। साइंटिस्ट्स ने दुनिया को चेताया है कि अगर धरती का तापमान लगातार बढ़ता रहा तो इंसानी जीवन पर संकट गहरा जाएगा।
जलवायु परिवर्तन का असर दुनिया के हर हिस्से पर देखा जा रहा है। गीले इलाके ज्यादा बारिश से प्रभावित हैें तो सूखे इलाके और सूखते जा रहे हैं। क्यों बदल रही है जलवायु। जानिए इन सवालों के जवाब।
जलवायु परिवर्तन के खतरों ने पूरी दुनिया को बर्बादी के मुहाने पर ला कर खड़ा कर दिया है। ऐसा शायद ही कोई देश हो जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का दंश न झेल रहा हो। इसके समधान के लिए ब्राजील में शिखर सम्मेलन का प्लान बन रहा है।
Weather change sickness: बदलते मौसम में आप सर्द गर्म समेत एनर्जी जैसी कई मौसमी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। ऐसे में इनसे बचाव के उपाय जरूर जानें।
सिर्फ युद्ध को लेकर ही नहीं, बल्कि जलवायु संकट का समाधान खोजने के लिए भी दुनिया की निगाह और उम्मीदें भारत पर टिकी हैं। दुनिया को भरोसा है कि भारत का हर फैसला युद्ध और जलवायु संकट से निपटने में निर्णायक है। मगर आप सोच रहे होंगे कि आखिर ऐसा क्यों है...तो आपको बता दें कि अमेरिका जैसे देशों का भरोसा भारत और पीएम मोदी हैं।
भारत ने जापान के सापोरो में जलवायु, ऊर्जा और पर्यावरण के मुद्दे पर जी-7 मंत्रियों की बैठक में रविवार को कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि पर्यावरणीय कार्रवाई के साथ मिलकर समग्र रूप से जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों का समाधान किया जाये। इस दौरान भारत ने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पीएम मोदी के मिशन से भी अवगत कराया।
भारत की अध्यक्षता में जी-20 देशों की बैठक का आरंभ आज बृहस्पतिवार से बेंगलुरु से कर दिया गया है। जी-20 समूह की भारत की अध्यक्षता के तहत पर्यावरण एवं जलवायु स्थिरता कार्य समूह की पहली बैठक में खनन और वन में आग लगने से प्रभावित इलाकों के पुनरुद्धार पर ध्यान केंद्रित किए जाने का निर्णय लिया गया।
जलवायु परिवर्तन से पैदा हुए पर्यावरण के खतरे के मद्देनजर जी-20 सम्मेलन में भूमि संरक्षण और संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल भारत के लिए दो अहम मुद्दे होंगे। भूमि क्षरण, जैव विविधता की हानि, समुद्री प्रदूषण, मैंग्रोव व कोरल रीफ का संरक्षण, संसाधानों का अति उपयोग और कूड़े के निस्तारण में खामी वे अहम पर्यावरण चिंताएं हैं।
29 Species at Risk of Extinction in India: जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के कारण भारत में 29 प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा है। इससे वैज्ञानिकों में चिंता व्याप्त हो गई है। समय रहते यदि इस खतरे को नहीं रोका गया तो कई प्रजातियां इतिहास का हिस्सा बन जाएंगी।
Climate change compensation approved at COP 27:ग्लोबल वार्मिंग के चलते होने वाले जलवायु परिवर्तन पर अब प्रभावित देशों को हर्जाना दिया जाएगा। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ाने के जिम्मेदार देश यह हर्जाना मिलकर देंगे।
दिल्ली में अब ठंड बढ़ने वाले है। मौसम विभाग ने बताया कि अगले तीन से चार दिन में मौसम में तेजी से बदलाव होगा। बृहस्पतिवार को 11.3 डिग्री जबकि अधिकतम तापमान 27.5 डिग्री सेल्सियस कम रहा। मौसम विभाग ने यह जानकारी दी
मिशन लाइफ का मतलब लाइफस्टाइल फॉर एनवायर्नमेंट है। इस मिशन के मकसद की बात करें तो इसका उद्देश्य व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर माइक्रो उपायों और कार्यों को लागू करके जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना है।
India @ COP-27: मिस्र में चल रहे संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में ‘शमन कार्य कार्यक्रम’ (मिटिगेशन वर्क प्रोग्राम या एमडब्ल्यूपी) पर चर्चा के दौरान भारत विकासशील देशों के अगुवा के तौर पर अपनी भूमिका निभाई। भारत ने कार्बन उत्सर्जन के लिए विकासशील देशों को जिम्मेदार ठहराने की विकसित देशों की योजना पर पानी फेर दिया।
COP27 India China: एक देश ने भारत और चीन सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले देश बताया है। साथ ही मुआवजे की मांग भी की है। जबकि चीन ही वो देश है, जिसने जलवायु को लेकर फंड का समर्थन किया था।
Climate Change Conference & Emmanuel Macron:ग्लोबल वार्मिंग के चलते होने वाले जलवायु परिवर्तन ने पूरी दुनिया को खतरे में डाल दिया है। विश्व के सभी अग्रणी देश और दुनिया भर के वैज्ञानिक ग्लोबल वार्मिंग को रोकने का कोई ठोस उपाय अब तक नहीं खोज पाए हैं।
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