CSE की नई स्टडी के मुताबिक भारत की 64% मिट्टी में नाइट्रोजन और 48.5% में ऑर्गेनिक कॉर्बन की कमी है। नाइट्रोजन खाद डालने के बावजूद मिट्टी की सेहत में सुधार नहीं हो रहा। यह स्थिति खेती, उत्पादकता और जलवायु परिवर्तन के लिए खतरनाक है।
जलवायु परिवर्तन के कारण छोटे द्वीप राष्ट्रों, जैसे तुवालु और मालदीव, के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। इन देशों ने अपनी पहचान बचाने के लिए डिजिटल समाधान, संधियों और इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स को अपनाया है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय कानून में इस बात को लेकर कोई स्पष्ट जवाब नहीं है कि अगर द्वीप डूब जाएं तो क्या होगा।
जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी वैश्विक चुनौतियों में से एक है। इसका प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है। पाकिस्तान की एक लोक गायिका शाम बाई जलवायु परिवर्तन को लेकर लोगों को जागरूक कर रही हैं। चलिए आपको इससे जुड़ी तस्वीरें दिखाते हैं।
संयुक्त राष्ट्र की सर्वोच्च अदालत ने कहा है यदि दुनिया के देश जलवायु परिवर्तन से ग्रह की रक्षा के लिए कदम उठाने में विफल रहते हैं, तो वो अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कर सकते हैं।
भारत को ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में जो लक्ष्य 2030 तक हासिल करना था, उसे 2025 में ही हासिल कर लिया है। न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्टर प्रल्हाद जोशी ने इस बारे में जानकारी दी है।
मौसम विभाग ने इस साल समय से पहले मॉनसून आने की संभावना जताई है। यदि यह पूर्वानुमान सही साबित होता है, तो 2009 के बाद यह पहला मौका होगा जब मॉनसून भारतीय भूमि पर समय से पहले दस्तक देगा।
कई देशों पर बर्फीली आफत मंडरा रही है। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यह ठंड इतनी खतरनाक हो सकती है कि सामान्य जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो सकता है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव जनजातीय क्षेत्रों में वन पुनर्स्थापना, जलवायु परिवर्तन और समुदाय आधारित आजीविका पर प्रशासन अकादमी में राष्ट्रीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।
अगली सदी यानी 2100 में पृथ्वी से एक तिहाई प्रजातियां विलुप्त हो सकती हैं। वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च में ये दावा किया है। जानिए इसकी वजह और ये चौंकाने वाली रिपोर्ट-
दिसंबर का महीना शुरू हो गया लेकिन इस बार अबतक कड़ाके की ठंड नहीं पड़ रही है। अगर ध्यान दें तो इस बार वसंत भी रूठा-रूठा ही रहा। मौसम क्यों ऐसा बर्ताव कर रहा, विश्व मौसम विज्ञान ने दी है चेतावनी, जानें पूरी खबर-
इरास्मस पुरस्कार’ प्रति वर्ष किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था को दिया जाता है जिसने यूरोप और उसके बाहर मानविकी, सामाजिक विज्ञान या कला के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया हो। इसमें 1,50,000 यूरो का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में विश्व मंच पर भारत ने जलवायु परिवर्तन के मामले में ग्लोबल साउथ के लिए निर्धारित किए गए केवल 300 अरब अमेरिकी डॉलर के जलवायु वित्त परिवर्तन को बहुत कम राशि बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया। दुनिया के अन्य देश भी भारत के समर्थन में आ गए।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में चल रहे कॉप-29 जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन के दौरान विशषज्ञों ने दावा किया है कि इससे युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। ऐसे में शिखर सम्मेलन में शामिल देशों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए।
अजरबैजान की राजधानी बाकू में विश्वभर के नेता जलवायु वार्ता Cop-29 के लिए जुट गए हैं। इसमें आज मंगलवार को 50 देशों के नेता अपना संबोधन देंगे।
दुनियाभर के मौसम में खासा बदलाव देखा जा रहा है। सूखे रेगिस्तान में बर्फबारी हो रही है। नवंबर के महीने में भी पहाड़ों में गर्मी पड़ रही है। बेमौसम की बारिश से कई लोगों की जान भी जा रही है।
नेपाल में इस साल सितंबर के महीने में भारी बारिश हुई थी। भारी बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति बन गई थी। इस दौरान भूस्खलन की चपेट में आने से कम से कम 244 लोगों की मौत भी हो गई थी। नेपाल में भारी बारिश क्यों हुई इसके पीछे वजह अब पता चल गई है।
पूरे उत्तर भारत में 1951-2021 की अवधि के दौरान मानसून के मौसम (जून से सितंबर) में बारिश में 8.5 प्रतिशत कमी आई। इस अवधि के दौरान इस क्षेत्र में सर्दियों के मौसम में तापमान 0.3 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।
Climate Change Impact On Mental Health | Climate Change, Global Warming की वजह से हमारे Mental Health पर बुरा असर हो रहा है। कई शोधों में ये बात सामने आई है। आपको बताते हैं कैसे Climate Change हमारे दिमाग पर बुरा असर डालता है। कई शोध तो बताते हैं कि हालात जानलेवा भी साबित हो सकते हैं।
संयुक्त राष्ट्र के जलवायु प्रमुख साइमन स्टील ने बड़ी बात कही है। स्टील ने कहा है कि ग्लोबल वॉर्मिंग से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है और सिर्फ दो साल ही बचे हैं।
पूरी दुनिया के लिए खतरे की घंटी बज रही है। ग्लोबल वार्मिंग को लेकर बड़ी बात सामने आई है। यूएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल वैश्विक गर्मी के रिकॉर्ड "टूट गए" थे, 2023 रिकॉर्ड पर सबसे गर्म दशक रहा।
संपादक की पसंद