महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे सीएए के मुद्दे पर कहा कि CAA सिर्फ एक चुनावी हथकंडा है। उन्होंने कहा कि आरोप लगाया कि भाजपा धर्मों के बीच भेदभाव पैदा करना चाहती है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र लोगों के लिए मंगलवार को एक पोर्टल ‘लॉन्च’ किया है।
उत्तर प्रदेश के डीजीपी प्रशांत कुमार ने साफ शब्दों में कहा है कि CAA के नाम पर कोई भी अगर गड़बड़ी करने की कोशिश करेगा तो उसपर कड़ी कारवाई होगी। डीजीपी प्रशांत कुमार ने कहा है कि यूपी पुलिस की सोशल मीडिया पर खास नजर है।
सीएए के विरोध में असम में कई राजनीतिक दलों सरबतमक हड़ताल का आह्वान किया है। अब इन राजनीतिक दलों को गुवाहाटी पुलिस की ओर से कानूनी नोटिस जारी किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सीएए को पूर्वोत्तर राज्यों के अधिकांश जनजातीय क्षेत्रों में लागू नहीं किया जाएगा। इनमें संविधान की छठी अनुसूची के तहत विशेष दर्जा प्राप्त क्षेत्र भी शामिल हैं।
जो काम नरेंद्र मोदी 2019 का चुनाव जीतकर करना चाहते थे और नहीं कर पाए, वो काम नरेंद्र मोदी ने 2024 का चुनाव एलान होने से 5 दिन पहले कर लिया. 2019 में क़ानून आया तो हंगामा मच गया था. दंगे हो गए थे. शाहीन बाग हो गया था. तब तो चुनाव भी नहीं था. अब चुनाव से ठीक पहले 39 पन्ने का नोटिफिकेशन आ गया, फिर भी ए
लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने CAA का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में 2014 से पहले आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलना शुरू हो जाएगी।
पूरे चुनाव की डिक्शनरी कैसे बदलती है कुछ घंटे पहले पूरा खेल बदल गया . कल तक चुनाव 400 पार के नारे के आसपास घूम रहा था अब बस तीन लेटर चल रहे हैं CAA . मोदी की पार्टी कह रही है जो कहा सो किया . 2019 में बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में जो कहा था वो वादा पूरा कर दिया. जो पार्टियां इसका विरोध कर रही हैं वो
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) की अधिसूचना जारी होने पर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सीएए विभाजनकारी है और गोडसे की सोच पर आधारित है, जो मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाना चाहता है।
देशभर में आज से नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू हो गया है। मोदी सरकार के इस फैसले को लेकर विपक्ष और सत्तापक्ष के नेताओं की प्रतिक्रिया आनी भी शुरू हो गई है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सिटीज़न अमेंडमेंट एक्ट (CAA) का नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। अब इस नियम के तहत सरकार तीन देशों से दिसंबर 2014 तक आये प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देना शुरू कर देगी।
सीएए के नए कानूनों के तहत मोदी सरकार बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर, 2014 तक आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों - हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देना शुरू कर देगी।
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को तेजी से नागरिकता देने के लिए नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (सीएए) का नोटिफिकेशन आज जारी किया जा सकता है।
CAA में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान हैं। इसे लेकर कुछ साल पहले देश में बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुए थे।
2021 में अमीना ने 17 और 14 साल की उम्र के अपने 2 बच्चों के साथ बेंगलुरु में अपनी मां के घर लौटने का फैसला किया।
वर्ष 2011 से भारत की नागरिकता छोड़कर विदेश बसने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 11 वर्षों में करीब 16 लाख लोग भारत की नागरिकता को त्याग कर दूसरे देशों में बस चुके हैं।
सऊदी अरब ने नागरिकत नियम में फेरबदल किया है। इसका असर भारतीयों पर भी पड़ेगा। हालांकि यह असर नकारात्मक नहीं होगा। वहीं हज के लिए भी सऊदी अरब ने हज के लिए भी भारत से हज यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी की है। पढ़िए पूरी खबर।
भारत की नागरिकता छोड़ने वालों के कुछ प्रमुख कारण हैं। जिससे लोग यहां से निकल रहे हैं। इस साल के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं।
Gujarat: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले और इस समय गुजरात के आणंद और मेहसाणा जिलों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को नागरिकता कानून 1955 के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में स्पष्ट किया था कि वह केंद्र की बात सुने बिना CAA के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाएगा। याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, आरजेडी नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।
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