वर्ष 2011 से भारत की नागरिकता छोड़कर विदेश बसने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 11 वर्षों में करीब 16 लाख लोग भारत की नागरिकता को त्याग कर दूसरे देशों में बस चुके हैं।
सऊदी अरब ने नागरिकत नियम में फेरबदल किया है। इसका असर भारतीयों पर भी पड़ेगा। हालांकि यह असर नकारात्मक नहीं होगा। वहीं हज के लिए भी सऊदी अरब ने हज के लिए भी भारत से हज यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी की है। पढ़िए पूरी खबर।
भारत की नागरिकता छोड़ने वालों के कुछ प्रमुख कारण हैं। जिससे लोग यहां से निकल रहे हैं। इस साल के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं।
China spying India from Nepali citizen:नेपाली नागरिक से चीन द्वारा भारत की जासूसी कराने का मामला सामने आया है। भारत आकर नेपाल का नागरिक चीन को खुफिया जानकारी मुहैया करा रहा था। वह काफी लंबे समय से भारत में अलग-अलग जगहों पर रहा और चीन के लिए भारत से अहम सूचनाएं इकट्ठा कर उसे देता रहा।
Gujarat: पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले और इस समय गुजरात के आणंद और मेहसाणा जिलों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को नागरिकता कानून 1955 के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में स्पष्ट किया था कि वह केंद्र की बात सुने बिना CAA के क्रियान्वयन पर रोक नहीं लगाएगा। याचिका दायर करने वाले अन्य महत्वपूर्ण लोगों में कांग्रेस नेता जयराम रमेश, आरजेडी नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।
नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA 11 दिसंबर 2019 को संसद से पारित हुआ था। लेकिन 3 साल होने को आए हैं मगर अभी तक इस कानून के लिए गृह मंत्रालय नियम तय कर पाया है। इसको लेकर अब मंत्रालय को अतिरिक्त समय दिया गया है।
Russia Vs America: यूक्रेन वॉर को लेकर रूस और अमेरिका के बीच कितना तनातनी चल रही है, यह बात पूरी दुनिया जानती है। दोनों ही देशों के बीच लंबे समय से तीखी जुबानी जंग भी चल रही है।
Nepal Citizenship Amendment Bill: संसद के दोनों सदनों पास हुए विधेयक पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने वाली नेपाल की राष्ट्रपति भंडारी पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की करीबी मानी जाती हैं। जिन्हें चीन का करीबी माना जाता है। ओली अपने कार्यकाल में कई बार भारत के विरुद्ध बोले थे।
Supreme Court Hearing on CAA: 200 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई को सुव्यवस्थित करने के लिए शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाओं को अलग-अलग डिब्बों में रखने की जरुरत है।
Indian Citizen Migration: संसद का मानसून सत्र चल रहा है, इस सत्र के दौरान गृह मंत्रालय ने भारत की नागरिकता छोड़ने वाले लोगों का एक आंकड़ा जारी किया है। इस आंकड़े को देखकर आप हैरान हो जाएंगे। संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि हर वर्ष औसतन डेढ़ लाख लोग भारत की नागरिकता छोड़ रहे हैं।
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) को लागू नहीं करेगी। केरल में अपनी सरकार की पहली वर्षगांठ समारोह के समापन के अवसर पर आयोजित एक समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा ‘‘नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर सरकार की स्थिति स्पष्ट है और यह जारी रहेगा।’’
नागरिकता संशोधन कानून (Citizenship Amendment Act) शुरू से ही विवादों में रहा है। मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून को 10 जनवरी 2020 को अमलीजामा पहनाया। इस कानून से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और अन्य देशों में रह रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी और यहूदी को भारतीय नागरिकता मिल सकती है।
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकान्त की पीठ ने कहा कि राज्य सरकार करोड़ों रुपये की पूरी राशि वापस करेगी।
संयुक्त अरब अमीरात में प्रवासियों में सबसे बड़ी संख्या भारतीय नागरिकों की है जो यहां की कुल जनसंख्या का 28 प्रतिशत हैं।
कैलाश विजयवर्गीय ने CAA पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने जनवरी से पूरे देश में CAA लागू करने की बात कही है। विजयवर्गीय ने कहा कि बीजेपी जो कहती है वो करती भी है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार की नागरिकता समाप्त करने की मांग को लेकर दायर याचिका को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया।
शनिवार का दिन जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से रह रहे शरणार्थियों के लिए आशा की चमक लेकर आया। दरअसल शरणार्थी के तौर पर रह रहे इन लोगों को शनिवार को सरकार की तरफ से domicile certificates बांटे गए।
संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोपियों से 1 करोड़ 41 लाख रुपए की वसूली की प्रक्रिया लॉकडाउन के कारण फिलहाल रोक दी गई है।
कोरोनोवायरस प्रकोप के बीच मद्रास उच्च न्यायालय के पास सीएए और एनआरसी के खिलाफ लोगों ने अपना विरोध जारी
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