जम्मू कश्मीर की विजयपुर सीट से जीतने वाले नेता का मंत्री बनना तय हो जाता है। अब तक का इतिहास यही कहता है, लेकिन 10 साल बाद हो रहे चुनाव में सबकुछ नया है। ऐसे में इस सीट की किस्मत भी बदल सकती है।
चुनाव फ्लैशबैक: 1996 के हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने से पहले ही माना जा रहा था कि भजनलाल द्वारा अपने अंतिम कार्यकाल के दौरान जाटों को अलग-थलग करना कांग्रेस पार्टी के लिए महंगा साबित हो सकता है।
हरियाणा में अब तक हुए हर चुनाव में प्रत्याशियों के आंकड़े घटते-बढ़ते रहे हैं, लेकिन एक दिलचस्प आंकड़ा ऐसा है जो अब तक नहीं टूटा है।
25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल की घोषणा कर दी थी। इस दौरान कांग्रेस सरकार की कई नीतियों की आलोचना हुई लेकिन लोग सबसे ज्यादा नसबंदी अभियान से खफा हुए।
साल 1977 में गिरफ्तारी के बाद पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी हाथ में हथकड़ी लगवाने के लिए अड़ गई थीं। उन्हें निजी मुचलका भी देने से इनकार कर दिया था।
सोनिया गांधी ने साल 1998 में राजीतिक में एंट्री की थी जबकि इसी साल अटल जी के नेतृत्व में बीजेपी ने 13 पार्टियों का एक गठबंधन बनाया जिसका नाम एनडीए रखा गया था।
अमेठी में कांग्रेस नेता राजीव गांधी के खिलाफ मेनका गांधी और महात्मा गांधी के पोते राजमोहन गांधी चुनाव लड़ चुके हैं। यहां से बसपा संस्थापक कांशीराम भी अपनी चुनावी किस्मत अजमा चुके हैं।
चुनाव Flashback: कर्नाटक से 1978 में इंदिरा गांधी ने लोकसभा का चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में एक नारे ने चुनावी फिजा बदल दी थी। वो नारा था-एक शेरनी.. सौ लंगूर.. चिकमंगलूर-चिकमंगलूर..
1984 का लोकसभा चुनाव ऐसा था जिसमें गांधी परिवार का आपसी टकराव देश में सामने आया था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद गांधी परिवार में चल रही अंदर खाने की लड़ाई बाहर आ गई और गांधी परिवार के ही दो सदस्य एक दूसरे के आमने-सामने थे।
पश्चिम बंगाल में आज टीएमसी और बीजेपी के बीच मुकाबला देखा जा रहा है, लेकिन एक समय था जब टीएमसी के सहयोग से बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में पहली बार जीत दर्ज की थी।
मध्य प्रदेश की छिंदवाड़ा सीट हमेशा से कांग्रेस का गढ़ रही है। इस सीट से कमलनाथ 9 बार जीत चुके हैं। 2019 के चुनाव में इस सीट पर कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ चुनाव जीते थे। 2024 में नकुलनाथ का मुकाबला बीजेपी के विवेक 'बंटी' साहू से है।
सीनियर कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा का विवादों से पुराना नाता रहा है। अक्सर चुनाव के दौरान वह कुछ ऐसा बोल देते हैं जिससे की कांग्रेस मुश्किल में पड़ जाती है।
लोकसभा चुनाव 2024 का आगाज हो चुका है। इस चुनाव के लिहाज से हरियाणा की 10 सीटें भी काफी अहम हैं। हरियाणा की सभी लोकसभा सीटों पर छठे चरण में 25 मई को एक साथ ही वोटिंग होगी।
अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीतिक दुनिया में अजातशत्रु कहा जाता था। उनके विरोधी भी उनकी तारीफ करते पाए जाते थे क्योंकि उनका संवाद कौशल सभी को अपना मुरीद बना लेता था। लेकिन 1999 में एक वक्त ऐसा भी आया, जब महज एक वोट से उनकी सरकार गिर गई थी।
गिरधारी लाल के निधन के बाद 1985 में बिजनौर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ जिसमें कांग्रेस से मीरा कुमार चुनावी मैदान में उतरी और पहली बार सांसद बनीं। उन्होंने लोकदल प्रत्याशी केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को चुनाव हराया था।
लखनऊ में युवक कांग्रेस की रैली में संजय गांधी ने कहा था कि 37 वर्ष से कम आयु वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए युवक कांग्रेस के दरवाजे खुले हुए हैं। इसके लिए सिर्फ एक शर्त है कि उन्हें प्रत्येक महीने दो लोगों की नसबंदी करानी पड़ेगी।
1967 में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी को भारी नुकसान हुआ था। दिल्ली की सात में से छह सीटों पर पार्टी को हार झेलनी पड़ी थी। टिकट बंटवारे में इंदिरा गांधी की मनमर्जी कांग्रेस की हार का कारण बनी थी।
चुनाव Flashback: देश की सियासत में जुमले गढ़ने और नारेबाजी का इतिहास पुराना रहा है। कई बार नारों ने सियासी हवा का रुख भी बद दिया है।
अटल बिहारी वाजपेयी का बलरामपुर से गहरा नाता रहा है। वह 1957 के चुनाव में जनसंघ के टिकट पर यहां से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे लेकिन अगले ही चुनाव में एक अफवाह के चलते उन्हें पराजय झेलनी पड़ी थी।
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