“उम्मीद है कि जल्दी ही नतीजे उपलब्ध होंगे और उन्हें नियामक संस्थाओं को सौंपा जाएगा। सितंबर या उसके ठीक बाद हमारे पास बच्चों के लिए कोवैक्सिन टीका उपलब्ध हो सकता है।”
अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, राज्य में पृथकवास केंद्रों से संक्रमण के 616 नए मामले सामने आए और बाकी 442 मामलो की जानकारी संक्रमित मरीजों के संपर्क में आए लोगों की जांच के बाद हुई।
ऑनलाइन कक्षाओं से ऊब चुके 11 और 9 वर्ष की आयु के दो बच्चे घर से भाग गए क्योंकि वे माता-पिता द्वारा डांटे जाने से परेशान थे।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि प्रदेश के कुल 42 बच्चों को सिक्किम में मुक्त कराकर शुक्रवार को वापस राज्य में लाया गया।
उत्तर प्रदेश में आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की शुरुआत की। इस योजना के अंतर्गत कोरोना से अनाथ हुए हर बच्चे को 4 हजार रुपये उपलब्ध कराएगी।
कोविड-19 से पीड़ित होकर ठीक होने के बाद वयस्क ही नहीं बच्चे भी संक्रमण के बाद उपजी शारीरिक समस्याओं जैसे गैस बनना, सिर दर्द, दिमागी कमजोरी, सांस में तकलीफ आदि को लेकर शहर के अस्पताल पहुंच रहे हैं।
ब्रिटेन में सार्वजनिक स्वास्थ्य आंकड़ों के व्यापक विश्लेषण में यह बात सामने आई है कि बच्चों और किशोरों में कोविड-19 से गंभीर बीमार होने और मृत्यु होने का खतरा बहुत कम होता है।
अमेरिका ने बाल सैनिक सुरक्षा रोकथाम कानून की एक सूची में 14 अन्य देशों के साथ पाकिस्तान को शामिल किया है।
कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान स्क्रीन पर अधिक समय गुजारने, कोई सामाजिक मेल-जोल नहीं होने और माता-पिता के घर से काम करने के बावजूद बच्चों को पर्याप्त समय नहीं देने के कारण सभी उम्र वर्ग के बच्चों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ा है।
एक कड़वा सच ये है कि जब महामारी पीक पर थी उस दौरान लोगों ने इतना बुरा वक्त देखा कि उनके मन में आज भी कोरोना को लेकर खौफ़ है।
देश की राजधानी में स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के नेतृत्व में देश के 5 अस्पतालों द्वारा किए जा रहे सीरो सर्वे के अंतरिम रिपोर्ट आ गई है।
बच्चों में लूज मोशन, मुंह में छाले जैसी बीमारियों का होना आम बात है। इसके पीछे बहुत से अलग- अलग कारण हो सकते हैं।
कोरोना के दौर में बच्चों का खेलना-कूदना कम हो गया है। इसका असर उनके शारीरिक और मानिसक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। ऐसे में योग और आयुर्वेद के जरिए बच्चों को स्वस्थ रखा जा सकता है।
कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए स्वदेश में निर्मित कोवैक्सीन के टीके के बच्चों में परीक्षण के लिए, यहां के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में सोमवार से दो वर्ष के बच्चे से 18 साल तक के किशोर की जांच शुरू हो गई।
देश में कोरोना संकट के बीच बड़ी चुनौती बनकर उभरी ‘ब्लैक फंगस’ की बीमारी को लेकर अब चिंता बढ़ती जा रही हैl देश में ब्लैक फंगस के मामले अब तेज़ी से सामने आ रहे हैं और कई राज्यों में इसे ‘महामारी’ भी घोषित कर दिया गया हैl लेकिन अब इस बीमारी की चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं, ब्लैक फंगस से बच्चों को कैसे बचाएं? एक्सपर्ट्स से जानिएl
कोरोना संक्रमण के मामलों में बीते कुछ दिनों में कमी आई है। ऐसे में कई बार लोग कोविड गाइडलाइन्स को फॉलो करने के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। यही वजह है कि सरकार की ओर से लोगों को लागातार इसे लेकर सचेत किया जा रहा है।
कनाडा के एक स्कूल परिसर में 215 बच्चों के शव दफन पाए गए। इनमें कुछ 3 वर्ष तक के बच्चों के शव हैं।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर में पहले के मुकाबले ज्यादा बच्चे संक्रमित पाए जा रहे हैं लेकिन राहत की बात यह है कि अधिकतर मामलों में संक्रमण मामूली है और मृत्युदर काफी कम है।
दिल्ली में कोरोना की संभावित तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए विशेष टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।
डॉ. वीके पॉल ने बताया कि '2 से 18 साल के बच्चों पर कोवैक्सीन (COVAXIN) के क्लीनिकल ट्रायल के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की अनुमति मिल गई है।
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