Chandrayaan-3 का विक्रम लैंडर सोमवार को हा स्लीप मोड में चला गया था। अंधेरे में चांद पर अभी विक्रम लैंडर कैसा दिख रहा है। इसकी तस्वीर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने ली। जिसे ISRO ने सोशल मीडिया साइट X पर शेयर किया है।
23 अगस्त को चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी भाग की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग की। इसके साथ ही भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन गया था।
चंद्रमा पर मनुष्य की बनाई कोई वस्तु पहली बार आज से करीब 64 साल पहले 13 सितंबर 1959 को लूना 2 के रूप में पहुंची थी।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री व भारत रत्न स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई ने सबसे पहले मिशन मून की शुरुआत की थी। अगस्त 2003 में पूर्व पीएम ने मून मिशन का ऐलान किया और अब 20 वर्षों में तीसरा चंद्रयान चांद के सफर पर है। अगर लैंडर सफल रहा तो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला भारत दुनिया का पहला देश हो जाएगा।
Chandrayaan 3 Sand Art: भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 के लॉन्च होने से पहले रेत कलाकार सुदर्शन पटनायक ने 'Chandrayaan-3' की कलाकृति बनाकर ISRO को विजयी भव: का संदेश दिया।
लॉन्च के लिए तैयार चंद्रयान-3...PSLV-MK3 रॉकेट के साथ जोड़ा गया... इसरो ने जारी किया श्रीहरिकोटा में चंद्रयान-3 मिशन की तैयारियों का वीडियो...13 जुलाई को हो सकता है चंद्रयान-3 का लॉन्च
चंद्रयान-2 मिशन के लगभग 2 साल बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) इस साल अगस्त महीने में चंद्रयान -3 मिशन को लांच करेगा। इस बात बात की जानकारी भारतीय अंतरिक्ष विभाग ने लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में दी है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के. सिवन ने चंद्रमा के कक्ष में चंद्रयान-2 के दो वर्ष पूरा करने के उपलक्ष्य में सोमवार को चंद्र विज्ञान कार्यशाला 2021 का उद्घाटन किया।
इसरो के चंद्रयान-2 मिशन के ऑर्बिटर की मदद से चांद की नई जानकारियां लगातार सामने आ रही हैं। अब पता चला है कि चांद की सतह पर हाइड्रॉक्सिल और वाटर मॉलिक्यूल्स (पानी के अणु) मौजूद हैं।
भारत के दूसरे चंद्र अभियान चंद्रयान-2 के आज बुधवार (22 जुलाई) को अपने प्रक्षेपण के एक साल पूरा करने के अवसर पर इसरो ने कहा है कि इसके सभी आठ उपकरण बखूबी काम कर रहे हैं।
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी (इसरो) ने चंद्रयान मिशन 2 को लेकर एक और उपलब्धि अपने नाम कर ली है। इसरो को चांद जैसी मिट्टी बनाने की तकनीक का पेटेंट मिल गया है।
प्रधानमंत्री ने चंद्रयान कार्यक्रम का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने चंद्रयान मिशन की बात करते हुए कहा कि असफलता भी हमें सफलता की शिक्षा देती है।
आखिर ऐसी क्या तकनीकी खामी आई थी जिस वजह से लैंडर विक्रम इतिहास रचने से चूक गया था? बुधवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष के शिवन ने इसके बारे में जानकारी दी
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को कहा कि भारत 2020 में चंद्रयान-3 को लांच करेगा। उन्होंने कहा कि इस अभियान पर चंद्रयान-2 से भी कम लागत आएगी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के चेयरमैन के. सिवन ने कहा कि हमारे खुद के आर्बिटर ने चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त विक्रम लैंडर का पता लगा लिया था। हालांकि, उन्होंने कहा कि इसरो नासा द्वारा किए गए दावों का खंडन नहीं करेगा।
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने इसरो के चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग साइट की तस्वीर ट्वीट की है। तस्वीर में नासा ने उस स्पॉट को दिखाया है जहां पर लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई थी।
इसरो प्रमुख के सिवन ने भारत के उपग्रह ‘कार्टोसैट-3’ के प्रक्षेपण से पहले मंगलवार को तिरुपति स्थित तिरुमाला मंदिर में पूजा-अर्चना की।
देश के वैज्ञानिकों की उपलब्धियों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि ‘चंद्रयान 2’ एक सफल मिशन था और इससे युवाओं में विज्ञान को लेकर उत्सुकता पैदा हुयी।
इसरो ने शुक्रवार को चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर में लगे हाई रिजोल्यूशन कैमरे से ली गई तस्वीर को जारी किया है।
इसरो ने तीन सप्ताह से अधिक समय पहले चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के प्रयास के दौरान संपर्क से बाहर हुए ‘चंद्रयान-2’ के लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क कायम करने की कोशिशें अभी छोड़ी नहीं हैं।
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