तपोवन में हुई तबाही के बीच एक और बड़ा खतरा दस्तक दे रहा है। जानकारी के मुताबिक सात फरवरी को हुई तबाही के बाद ऋषिगंगा नदी के मुहाने पर मलबा जमा होने से नदी का बहाव रूक गया है और यहां पर एक कृत्रिम झील बन गई है।
चमोली जिले के तपोवन में छठे दिन भी बचाव अभियान जारी है। राज्य सरकार के अनुसार 36 शव बरामद किए गए हैं, 204 लोग अभी भी लापता हैं।
ऋषि गंगा नदी में जलस्तर बढ़ने की वजह से चमोली के पास तपोवन टनल में रेस्क्यू ऑपरेशन फिलहाल रोक दिया गया था लेकिन अब ऑपरेशन को फिर से शुरू किया गया है
एजेंसियां तीन दिनों तक फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए ड्रोन, रिमोट सेंसिंग उपकरण और ड्रिलिंग मशीन का इस्तेमाल कर रही हैं | ऑपरेशन 24x7 जारी है।
अचानक आई तबाही के बाद से लापता घोषित किए गए श्रमिकों का एक समूह रैणी गांव में एक अस्थायी हेलीपैड पर फंसा पाया गया है। तपोवन के कुछ हिस्सों में बाढ़ आने के बाद से यह क्षेत्र शहर से कट गया है।
आईटीबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियां तीसरे दिन उत्तराखंड के तपोवन सुरंग के अंदर बचाव अभियान जारी रखी हुई हैं। सभी एजेंसियों की एक बैठक आईटीबीपी, एनडीआरएफ, सेना और स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया गया ताकि आज आगे की कार्रवाई तय की जा सके।
तपोवन प्रोजेक्ट की टनल में फंसे करीब 35 मजदूरों को जिंदा बचाने की जंग लगातार जारी है। आज रेस्क्यू ऑपरेशन का चौथा दिन है। सुरंग के अंदर से मलबा निकालने का काम लगातार जारी है।
उत्तराखंड के चमोली जिले में दो दिन पहले आई बाढ़ की वजह से एक लटकता ग्लेशियर गिर गया था। एक लटकता हुआ ग्लेशियर बर्फ का एक पिंड है जो एक अवक्षेप या खड़ी ढलान के किनारे पर अचानक टूट जाता है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी (Wadia Institute of Himalayan Geology) के वैज्ञानियों (Scientists) का प्रारंभिक आकलन (initial assessment) है कि दो दिन पहले उत्तराखंड (Uttrakhand) में आकस्मिक बाढ़ (Flash Flood) झूलते ग्लेशियर (Hanging Glaciers) के ढह जाने की वजह से आई।
तपोवन टनल में फंसे मजदूरों को निकालने का काम युद्धस्तर पर जारी है। आईटीबीपी ने एक बयान जारी कर रहा कि सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर टनल को साफ करने का काम जारी है जिससे अंदर फंसे मजदूरों को निकाला जा सके।
उत्तराखंड के चमोली जिले में आए जल प्रलय में मरने वालों का आंकड़ा 33 तक पहुंचा गया है। तपोवन में 93 श्रमिक अभी भी लापता हैं। इसी बीच मौसम विभाग ने चमोली में बारिश और बर्फबारी का अलर्ट दिया है जिससे स्थानीय लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्यसभा में उत्तराखंड ग्लेशियर आपदा पर बोलते हुए बताया की ITBP के 450 जवान, NDRF की 5 टीमें, भारतीय सेना की 8 टीमें, एक नेवी टीम और 5 IAF हेलीकॉप्टर खोज और बचाव अभियान में लगे हुए हैं |
उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य की सभी संबंधित एजेंसियां स्थिति की निगरानी कर रही हैं। ITBP के 450 जवान, NDRF की 5 टीमें, भारतीय सेना की 8 टीमें, एक नेवी टीम और 5 IAF हेलीकॉप्टर खोज और बचाव अभियान में लगे हुए हैं।
चमोली के रैणी गांव से 4 शव और बरामद किए गए हैं। एनडीआरएफ की टीम ने शवों को बरामद किया। इस शव के मिलने के बाद चमोली आपदा में मरने वालों का आंकड़ा 33 तक पहुंचा गया है।
यहां से लगभग 295 किलोमीटर दूर जोशीमठ के निकट प्रभावित क्षेत्रों में बचाव के प्रयासों ने सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की टीमों के साथ बचाव के लिए समन्वय किया। तपोवन-विष्णुगढ़ परियोजना में एक सुरंग में 30-35 लोगों के फंसे होने की आशंका है।
बड़ी टनल में चल रहे ऑपरेशन को लेकर उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि रणनीति बनी है कि वहां दो मशीनों से काम लिया जा सकता है ताकि जल्दी लोगों को रेस्क्यू किया जा सके।
इच्छानगर के स्थानीय लोगों ने कहा कि उनके गांव के 26 व्यक्ति तपोवन के लिए रवाना हुए थे और 18 लापता हो गए। भरमपुर में रहने वालों ने कहा कि 11 लोग न तो घर लौटे हैं और न ही उन्होंने अपने परिवार से संपर्क किया है। भोलनपुर के पांच लोगों के लापता होने की आशंका है।
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आए सैलाब से हुई भारी तबाही के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अब तक 26 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं जबिक 180 लोग अब भी लापता हैं।
सात फरवरी को आयी आपदा में यहां पर लखीमपुर खीरी के साथ ही सहारनपुर, अमरोहा, श्रावस्ती के साथ अन्य जिलों के सैकड़ों लोगों के फंसे होने की संभावना है। इस संबंध में राहत आयुक्त उत्तर प्रदेश लगातार उत्तराखंड सरकार के साथ समन्वय कर रहे हैं। किसी भी प्रकार की जानकारी मिलने पर पीड़ित से सम्पर्क किया जा रहा है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को इसरो के वैज्ञानिकों के हवाले से कहा कि रविवार को चमोली जिले में आपदा हिमखंड टूटने के कारण नहीं बल्कि लाखों मीट्रिक टन बर्फ के एक साथ फिसलकर नीचे आने की वजह से आई।
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