नौ दिन के व्रत काफी कठोर होते हैं, इस दौरान अन्न का सेवन ने करने से शरीर में कमजोरी आती है और इसलिए व्रत में कुछ ऐसा भी खाना चाहिए जो शरीर को ताकत दे।
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली। मां के इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, सदाचार, संयम आदि की वृद्धि होती है |
नवरात्र के दौरान अधिकतर लोग अखंड ज्योति की स्थापना करते हैं और इसकी स्थापना के लिये वास्तु शास्त्र का खास ध्यान रखना पड़ता है | वास्तु शास्त्र के अनुसार अखंड ज्योति की स्थापना के लिये आग्नेय कोण, यानि दक्षिण-पूर्व दिशा का चुनाव करना सबसे अच्छा माना जाता है. इस दिशा में अखंड ज्योति की स्थापना करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है |
चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा की जायेगी| सफेद वस्त्र धारण किये हुए मां ब्रह्मचारिणी के दो हाथों में से दाहिने हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल है।
चैत्र शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि और बुधवार का दिन है। द्वितिया तिथि दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। उसके बाद तृतीया तिथि शुरू हो जाएगी। जानिए बुधवार का पंचांग।
नवरात्रि के पहले दिन देवी मां के निमित्त घट स्थापना या कलश स्थापना की जाती है। नवरात्रि के दिनों में कुछ नियमों का पालन करना बहुत ही जरूरी माना जाता है।
चैत्र और अश्विन माह के नवरात्रों को ही प्रमुखता से मनाया जाता है। बाकी दो नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना हेतु करने का विधान है।
चैत्र शुक्ल पक्ष की उदया तिथि प्रतिपदा और दिन मंगलवार है। प्रतिपदा तिथि सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। जानिए आचार्य इंदु प्रकाश से राशिनुसार कैसा बीतेगा आपका दिन।
चैत्र शुक्ल पक्ष की उदया तिथि प्रतिपदा और दिन मंगलवार है | प्रतिपदा तिथि सुबह 10 बजकर 17 मिनट तक रहेगी, उसके बाद द्वितीया तिथि लग जाएगी। आचार्य इंदु प्रकाश से जानिए मंगलवार का पंचांग
नवरात्र के पहले दिन माता दुर्गा के शैलपुत्री रूप की आराधना की जाती है। मार्केण्डय पुराण के अनुसार पर्वतराज, यानि शैलराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।
महाशक्ति की आराधना का पर्व नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा की संज्ञा दी गई है। जानिए कलश स्थापना, शुभ महूर्त और पूजा विधि।
चैत्र नवरात्रि का पर्व हर साल चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर नवमी तिथि तक चलता है। जानिए कब से कब तक है नवरात्र।
चैत्र नवरात्र के आखिरी दिन श्रीराम का जन्मदिन मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम की पूजा के साथ-साथ उनके भाई लक्ष्मण, मां सीता के साथ भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना की जाती हैं।
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी यानी नवरात्र के आखिरी दिन भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
मार्केण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, ईशित्व और वशित्व, कुल आठ सिद्धियां हैं, जो कि मां सिद्धिदात्री की पूजा से आसानी से प्राप्त की जा सकती हैं |
आइए हम कुछ उपाय आपको बताते हैं जिसके चलते आपकी नवमी की पूजा भी हो जाएगी और कंजक न बिठाने का अफसोस भी आपके मन में नहीं रहेगा।
आज राम नवमी के दिन राम यंत्र स्थापित करना बड़ा ही लाभकारी है । इस राम यंत्र को राम नवमी के दिन अपने घर में, ऑफिस में या अन्य किसी भी स्थान पर स्थापित कर सकते हैं ।
रामतरितमानस की चौपाईयों में जीवन की हर समस्या से पार पा लेने की क्षमता है | अतः आज राम नवमी के दिन अपनी विशेष इच्छाओं की पूर्ति के लिये किस राशि वालों को रामचरितमानस की किस चौपाई का पाठ करना चाहिए।
.चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी की पूजा की जाती हैं। इसके साथ ही कन्या पूजन का महत्व है।
नवरात्र का सातवां दिन है। नवरात्र के दौरान पड़ने वाली सप्तमी को महासप्तमी के नाम से भी जाना जाता है। आज के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप माँ कालरात्रि की पूजा करने का विधान है।
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