वैश्विक एवं घरेलू मोर्चे पर बाजारों में गिरावट के कारण अगस्त के पहले सात कारोबारी सत्रों में ही विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय पूंजी बाजार से 9,197 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की।
डिपॉजिटरी के पास मौजूद ताजा आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने 2-31 मई के दौरान शेयर बाजारों में शुद्ध रूप से 7,919.73 करोड़ रुपए का निवेश किया
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने देश के पूंजी बाजारों में अगस्त में 5,100 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश किया है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले आठ कारोबारी सत्रों में भारतीय पूंजी बाजार में 8,500 करोड़ रुपए का निवेश किया है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने जुलाई में भारतीय पूंजी बाजार में 2,300 करोड़ रुपए डाले। इससे पिछले तीन महीनों के दौरान उन्होंने भारतीय पूंजी बाजारों से निकासी की थी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले पांच कारोबारी सत्रों में भारतीय पूंजी बाजारों में 3,000 करोड़ रुपए का निवेश किया। इससे पहले अप्रैल-जून के दौरान उन्होंने पूंजी बाजारों से भारी निकासी की थी। ताजा निवेश से पहले पिछले तीन माह के दौरान एफपीआई ने पूंजी बाजारों से 61,000 करोड़ रुपए से अधिक निकाले हैं।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारतीय पूंजी बाजारों से 5,500 करोड़ रुपए की निकासी की है। वैश्विक व्यापार युद्ध को लेकर चिंता तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख के संकेतों से विदेशी निवेशक निकासी कर रहे हैं।
विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से इस महीने अब तक चार अरब डॉलर (26,700 करोड़ रुपए से अधिक) की भारी निकासी की है। इसका मुख्य कारण कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी है। इससे पहले विदेशी निवेशकों ने अप्रैल महीने में घरेलू पूंजी बाजार (इक्विटी और डेट) से 15,500 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की थी।
सरकारी बांड से कमाई बढ़ने और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी आने से विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से अप्रैल महीने के दौरान 15,500 करोड़ रुपए की निकासी की। यह पिछले 165 महीनों की सर्वाधिक निकासी है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने घरेलू शेयर और बॉन्ड बाजार से अब तक करीब 8,000 करोड़ रुपए की निकासी की है। इससे पहले मार्च में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 11,654 करोड़ रुपए निवेश किए थे जबकि ऋणपत्र बाजार से नौ हजार करोड़ रुपए की निकासी की थी।
Sebi के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजारों-शेयर, ऋण और डेरिवेटिव्स- में पी-नोट्स निवेश के जरिए निवेश दिसंबर 2017 के 1,24,810 करोड़ रुपए से घटकर इस साल जनवरी अंत में 1,19,556 करोड़ रुपए पर आ गया है।
निवेशकों के मजबूत रुख से 132 लघु और मझोले उद्यमों (SME) ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों (IPO) के माध्यम से 2017 में 1,785 करोड़ रुपए जुटाए। यह पिछले साल जुटाए गए धन से तीन गुना अधिक है।
पूंजी जुटाने संबंधित गतिविधियों में इस साल तेजी देखने को मिली और समाप्त हो रहे वर्ष 2017 के दौरान भारतीय कंपनियों ने पूंजी बाजार से अनुमानित 8.5 लाख करोड़ रुपए की विशाल पूंजी जुटाई।
ASSOCHAM के मुताबिक निवेशक अपनी बचत का बहुत बड़ा हिस्सा पूंजी बाजार में निवेश करने के बजाय बिटकॉइन में निवेश कर रहे हैं
सरकार द्वारा सार्वजनिक बैंकों में अतिरिक्त पूंजी डालने के फैसले से उत्साहित FPI ने अक्टूबर में शेयर बाजारों में 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया।
नवीतनम डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों (FPI) ने 3-27 अक्टूबर के दौरान डेट मार्केट में 15,132 करोड़ रुपए का अतिरिक्त निवेश किया।
सेबी नेनियमों का पालन किए बिना धन जुटाने पर ग्रास रूट फाइनेंस एंड इन्वेस्टमेंट कंपनी लिमिटेड और 13 अन्य को कारोबार करने से प्रतिबंधित कर दिया है।
मंगलवार को दो जनरल इंश्योरेंस कंपनियों को आईपीओ के लिए मंजूरी मिल गई है। ये कंपनियां हैं ICICI लोंबार्ड जनरल इंश्योरेंस कंपनी और रिलायंस जनरल इंश्योरेंस।
रिलायंस समूह के संस्थापक धीरूभाई अंबानी को अपने से कहीं ज्यादा अपने समूह के लोगों और जनता के लिए संपत्ति सृजित करने में अधिक खुशी मिलती थी।
शेयर बाजारों में तेजी का फायदा लेने के लिए धोखेबाज लोग निवेशकों को SMS भेजकर भारी रिटर्न का वादा कर चूना लगा रहे हैं।
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