बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती दो फरवरी को आगरा में कोविड नियमों का पालन करते हुए जनसभा को सम्बोधित करेंगी।
बसपा द्वारा जारी सूची के अनुसार, बसपा की पंजाब इकाई के प्रमुख जसवीर सिंह गढ़ी फगवाड़ा सीट से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा नवांशहर सीट से नछत्तर पाल, पायल से जसप्रीत सिंह, भोआ से राकेश महाशा, पठानकोट से ज्योति भीम और दिनानगर से कमलजीत चावला चुनावी समर में उतरेंगे।
2017 के विधानसभा चुनाव में सदर विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार अतुल गर्ग ने बीएसपी के प्रत्याशी सुरेश बंसल को शिक्कत दी थी।
पूर्वांचल की ग्राउंड रिपोर्ट में मायावती काफी मुश्किल में नज़र आ रही हैं। मायावती का वोट शेयर गिरता हुआ नज़र आ रहा है और ये वोट शेयर बीजेपी और समाजवादी पार्टी दोनों की तरफ जाता हुआ नज़र आ रहा है लेकिन सीटों में सबसे ज्यादा इजाफा समाजवादी पार्टी को हो सकता है।
मायावती ने अपने 66वें जन्मदिन पर यह सूची जारी की है। साथ ही उन्होंने सत्ता में वापस आने का दावा भी किया है। बसपा सुप्रीमो ने अपने जन्मदिन के अवसर पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी मेरे जन्मदिन को कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए मनाया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में चुनाव से पहले BSP कार्यकर्ता अरशद राणा यह दावा करते हुए फूट-फूट कर रोने लगे कि आगामी चुनावों के लिए पार्टी की तरफ़ से उन्हें टिकट देने का वादा किया गया था। लेकिन उन्हें अंतिम समय में टिकट से वंचित कर दिया गया।
सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा, विधानसभा चुनाव के पहले और दूसरे चरण की 90 फीसदी से अधिक सीटों के लिए पार्टी के प्रत्याशी चुने जा चुके हैं।
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव इमरान मसूद के पार्टी छोड़ने के बाद एक और बड़े नेता ने इस्तीफा दिया है। इस तरह से कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में झटके लगते जा रहे हैं। पार्टी छोड़ने वाले नेता को मायावती ने अपनी पार्टी से टिकट भी दे दिया है।
यूपी विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी पुरजोर तरीके से रैली कर रही है। मगर अभी तक बहुजन समाज पार्टी चुनावी मैदान में नहीं उतरी है।
देश को जानना, समझना और परखना है, तो जनाब पहले य़ूपी को समझिये। इससे अच्छा जरिया यूपी की नब्ज टटोलने का और क्या हो सकता है जब खुद उत्तर प्रदेश की पारखी जनता आपको बताये–अपने दिल की बात–क्योंकि ये पब्लिक है, सब जानती है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस बार विधानसभा चुनाव मे सत्ता में वापसी के लिए सोची-समझी और सधी रणनीति के साथ चुनावी मैदान में कदम बढ़ा रहे हैं।
2014 में प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के सत्ता संभालने के बाद अमूमन सभी राज्यों में मोदी भरोसे ही बीजेपी की नैया पार हुई।
चन्नी ने आरोप लगाया कि बहुजन समाज पार्टी के नेतृत्व ने अकाली दल को पार्टी बेचकर अनुसूचित जाति समुदाय की पीठ में छुरा घोंप दिया।
विरोधियों द्वारा आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बसपा के सक्रिय नहीं होने के आरोपों को खारिज करते हुए मिश्रा ने कहा,‘‘बसपा के पोस्टर-बैनर पर दिखाई नहीं देने का मतलब यह नहीं है कि वह मतपत्र पर भी नहीं होगी।’’
राजेंद्र सिंह गुढ़ा उन छह विधायकों में से एक हैं जिन्होंने 2018 का विधानसभा चुनाव बसपा के चुनाव पर लड़ा और जीते। उसके बाद ये विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए।
आलम ने बताया, ''मैंने बसपा विधानमंडल दल और विधायकी से इस्तीफा दे दिया है क्योंकि हमारी पार्टी की नेता मायावती और मेरे बीच विश्वास की कमी हो गयी थी। जब हमारी नेता को ही हम पर विश्वास नहीं रहा तो फिर हम पार्टी में रह कर क्या करेंगे।''
योगी ने कहा, यह आपकी जिम्मेदारी है कि अपने समाज के लोगों को जाकर बताएं और सरकार के कारनामों को जन जन तक पहुंचाएं।
यात्रा शुरू होने से पहले अखिलेश ने पत्रकारों से कहा कि इस यात्रा का मकसद राज्य से भारतीय जनता पार्टी की सरकार का सफाया करना है और जिस तरह से लखीमपुर खीरी में कानून को कुचला गया है, किसानों को कुचला गया है, संविधान की धज्जियां उड़ाई गई हैं उससे जनता में भाजपा के प्रति बहुत आक्रोश हैं।
भाजपा के सहयोगी के रूप में आरपीआइ प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले उत्तर प्रदेश के हर जिले में अनुसूचित जाति के मतदाताओं को राजग की ओर मोड़ने में जुटेंगे।
पूर्व में विधायक और विधान परिषद सदस्य रह चुके कुशवाहा ने वर्ष 2009 में रायबरेली से कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
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