Mayawati Politics In UP: मायावती ने कहा कि हमें खर्चीली बैठकों की जगह छोटी-छोटी कैडर बैठकों के जरिए पार्टी को मजबूत बनाना होगा।
यूपी में मुस्लिम व यादव समाज का पूरा वोट लेकर तथा कई-कई पार्टियों से गठबन्धन करके भी जब अपना सीएम बनने का सपना पूरा नहीं कर सके हैं, तो फिर वो दूसरों का पीएम बनने का सपना कैसे पूरा कर सकते हैं?
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के राष्ट्रपति वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मैं फिर से उत्तर प्रदेश की सीएम या फिर प्रधानमंत्री बनने का सपना देख सकती हूं लेकिन देश का राष्ट्रपति बनने की नहीं।
रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मायावती ने राहुल गांधी पर हमला बोला। उन्होंने ये भी कहा कि राजीव गांधी ने भी बीएसपी को बदनाम करने के लिए कांशीराम को CIA एजेंट बता दिया था।
मायावती ने अखिलेश यादव पर अपनी विदेश यात्राओं को विकास से जोड़ने पर बुधवार को तंज करते हुए कहा कि समग्र विकास के लिए सही सोच और दृष्टिकोण जरूरी है, जो बिना विदेशी दौरे के भी संभव हैं।
मायावती के छोटे भाई आनंद कुमार के सबसे बड़े पुत्र आकाश अपनी बुआ के लोकसभा चुनाव प्रचार अभियान के दौरान सुर्खियों में आए। मायावती ने बाद में घोषणा की कि आकाश पार्टी से जुड़ेंगे और राजनीति की बारीकियों को मायावती को ट्विटर पर लाने का श्रेय भी आकाश को दिया जाता है।
यूपी चुनाव नतीजों की घोषणा के बाद मायावती ने माना कि चुनाव में उनकी पार्टी की हार एक 'सबक' है। उन्होंने कहा कि बसपा के खिलाफ नकारात्मक अभियान मतदाताओं को गुमराह करने में सफल रहा।
यूपी चुनाव में ओवैसी की पार्टी के सभी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी। गुड्डू जमाली ही एक मात्र ऐसे उम्मीदवार थे जो अपनी जमानत बचा पाए थे। गुड्डू जमाली चुनाव में 36419 वोट पाकर चौथे नंबर पर रहे थे।
मायावती ने मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से बसपा की मिलीभगत से इनकार करते हुए दावा किया कि समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव भाजपा से खुलकर मिले हुए हैं।
403 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में बसपा का केवल एक उम्मीदवार विजयी हुआ है। मायावती ने एक ट्वीट में आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान मीडिया द्वारा ‘‘जातिवादी द्वेषपूर्ण व घृणित रवैया अपनाकर अम्बेडकरवादी बसपा आंदोलन को नुकसान पहुंचाने का काम किया गया।’’
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहे। वहीं सपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही। लेकिन उत्तर प्रदेश की मुखिया रह चुकी बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती की पार्टी बसपा इस चुनाव में सिर्फ एक सीट पर ही कब्जा कर पाई। जबकि कांग्रेस के खाते में भी दो सीटें गईं। बसपा की इस हार पर अब मायावती ने बड़ा बयान दिया है। जानिए उन्होंने हार का क्या कारण बताया?
बसपा ने राज्य में चार बार अपनी सरकार बनाई है, जिसमें एक पूर्ण बहुमत की सरकार भी शामिल है। पार्टी 1993 में सपा के नेतृत्व वाली सरकार का भी हिस्सा थी। 2001 में बसपा अध्यक्ष बनने वाली मायावती चार बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं।
साल 2017 के नतीजों पर नज़र दौड़ाएं तो दिखाई पड़ता है कि इस सीट पर समाजवादी पार्टी की एक तरफा जीत हुई थी। क्योंकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नसीर अहमद खान को 87 हजार 400 वोट मिले थे।
2017 में बीजेपी के नंद गोपाल गुप्ता ने जीत दर्ज की थी। गुप्ता को 93 हजार 11 वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी के हाजी परवेज़ को 64 हजार 424 वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर पर रहे थे। बहुजन समाज पार्टी के मशूक खान को 12 हजार 162 वोट मिले थे और वह तीसरे स्थान पर थे।
यूपी में 7 चरणों में मतदान हुआ है, 10 फरवरी से आज 7 मार्च तक वोट डाले गए हैं। फिलहाल उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है। 10 मार्च के नतीजों से पहले यूपी के चुनाव का सटीक अनुमान जानने के लिए देखते रहिए इंडिया टीवी...।
मायावती ने कहा, मुसलमानों के विकास व उत्थान एवं उनकी सुरक्षा आदि की तरफ तो बीजेपी की सरकार ने ध्यान नहीं ही दिया।
जौनपुर के लोगों ने कहा- 'माफिया नहीं शिक्षा रही है जौनपुर की पहचान। नेता ईमानदार हो तो जनता के सामने नहीं टिक सकता कोई भी माफिया।'
डुमरियागंज विधानसभा सीट से 2017 में बीजेपी के राघवेंद्र प्रताप सिंह बसपा उम्मीदवार सैय्यदा खातून से मात्र 171 वोट से जीते थे। इस बार भी बीजेपी के टिकट पर राघवेंद्र प्रताप चुनाव लड़ रहे हैं। सांप्रदायिक टिप्पणी की वजह से राघवेंद्र प्रताप इस वक्त सुर्खियों में आ गये हैं।
प्रियंका गांधी ने कहा, सपा और बसपा ने भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ पिछले सालों में कुछ किया ही नहीं है।
जखनियाँ सीट से विधायक त्रिवेणी राम का दावा है कि उनके कार्यकाल में इस क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। अब विधायक के दावे में कितनी सच्चाई है? यहां की जनता से आप भी सुनिए।
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