स्वामी रामदेव के अनुसार योगासनों के नियमित अभ्यास से शरीर के हर दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
कर्ई लोगों को खाने में ज्यादा नमक खाना पसंद होता है। लेकिन एक तय सीमा से ज्यादा नमक के सेवन से कई बीमारियां हो सकती हैं।
30 साल की उम्र तक अस्थि द्रव्यमान घनत्व अपने चरम पर पहुंच जाता है, जिसके बाद एकत्रित होने की तुलना में इस द्रव्यमान की मात्रा हड्डियों में धीरे-धीरे कम होने लगती है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस की स्थिति उत्पन्न होने लगती है, जिसका विकास उम्र बढ़ने के साथ होता जाता है।
कर्नाटक में टिकटॉक के लिए वीडियो बनाने के दौरान कलाबाजी करते समय रीढ़ की हड्डी टूटने से बुरी तरह से जख्मी हुए 23 साल के युवक ने रविवार को दमतोड़ दिया।
ये लेख रीढ़ की हड्डी में दर्द की बीमारी के बारे में है। इस लेख में आप रीढ़ की हड्डी में दर्द का इलाज एवं लक्षण के साथ रीढ़ की हड्डी में दर्द की दवा, उपचार और निदान के बारे में जान सकते हैं
हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए कुछ पोषक तत्वों का सेवन फायदेमंद होता है। यह शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।
कैंसर कहीं भी हो सकता है लेकिन कान में होने वाले कैंसर के शुरुआती लक्षण काफी मामूली है जिसे देखकर अक्सर लोग इग्नोर ही कर देते हैं। कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसके शुरुआती लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन धीरे-धीरे यह भयंकर रूप ले लेती है।
जरूरत से ज्यादा वजन कम होने को स्वस्थ माना जा सकता है, जिस पर शोधकर्ताओं ने दावा किया कि इससे बुजुर्गो की हड्डियों की सघनता, बनावट और मजबूती में कमी हो सकती है।
भारत में आमतौर पर लोग कैल्शियम की उतनी खुराक नहीं लेते हैं जितनी शरीर की हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है। कैल्शियम की खुराक को लेकर शुक्रवार को जारी एक वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वयस्कों की खुराक में कैल्शियम तकरीबन जरूरत की आधी मात्रा होती है।
ब्रिटेन की मैनचेस्टर मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी और द यूनिवर्सिटी ऑफ मैनचेस्टर के साथ ही कनाडा के यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के अनुसंधानकर्ताओं ने मांसपेशी उत्तक के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने के लिए एमआरआई का इस्तेमाल किया।
नया कैल्शियम, विटामिन डी या दोनों की दवाओं द्वारा बुजुर्गों के कूल्हे के या अन्य किसी फ्रेक्चर से बचने की संभावना कम है।
नमक ना केवल खाने में स्वाद के लिए बल्कि हमारे शरीर की बहुत सी जरूरतों को भी पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
जो कोई भी भारतीय सड़कों पर ड्राइविंग करता है, वह यह अच्छी तरह जानता है कि स्पीड ब्रेकर नुकसान पहुंचा सकते हैं। आपके शरीर की हड्डियों को हिलासकते हैं।
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