आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। खराब खानपान की वजह से लोग स्ट्रेस, ओबेसिटी, डाइबिटीज, हाई बीपी जैसी कई बीमारियों का शिकार बन जाते हैं।
फलों का सेवन करना सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते है। आज हम आपको ऐसे फलों के बारे में बताएंगे जिन्हें खाने से ब्लड में ऑक्सीजन लेवल को मेंटेन रखने में मदद मिल सकती है।
14 साल की बच्ची सना फातिमा खान की महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के एक अस्पताल में ओपन हार्ट सर्जरी होनी थी, और ऑपरेशन के दौरान ब्लड की जरूरत थी।
घटना में जीवित बचे केरल के रहने वाले निधिन लाजी (29) के चेहरे पर मामूली चोट आयी थी। लाजी ने बताया, ‘‘चारों ओर खून ही खून था। बस की बायीं ओर बैठे अधिकतर लोगों की मौके पर ही मौत हो चुकी थी। वाहन में दायीं ओर बैठे लोग जीवित बच गये।’’
एक शोध में ये बात समने आई कि ब्लड ग्रप भी हार्ट अटैक आने का मुख्य कारण बन सकता है।
लखनऊ में लाल खून का काला करोबार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। ये लोग प्रोफेशनल ब्लड डोनर्स से और ड्रग एडिक्ट्स से ब्लड लेते थे और उसमें पानी और कैमिकल मिलाकर मरीजों को बेच देते थे।
रिसर्च के मुताबिकभारतीय बच्चों के खून में सीसे की अत्यधिक मात्रा से उनकी बौद्धिक क्षमता बुरी तरह प्रभावित हो सकती है और इससे अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ सकता है।
किसी जरूरतमंद को ब्लड देना बहुत अच्छा काम माना जाता है लेकिन ब्लड डोनेट करते वक्त कुछ महत्वपूर्ण बातें होती है जिसको हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।
इस रक्त समूह वालों को किलनी (टिक) द्वारा काटे जाने का जोखिम ज्यादा होता है। इसमें खटमल भी शामिल हैं, जो घातक लाइम बीमारी के कारक होते हैं। किलनी रक्त चूसने वाला परजीवी है, जो अक्सर लकड़ी में पाया जाता है और इसका परपोषी जीवाणु होता है।
कई लोग रक्तदान करने से हिचकिचाते हैं, मगर विशेषज्ञ का कहना है कि रक्तदान करने से दिल की सेहत में सुधार, वजन नियंत्रण और बेहतर सेहत जैसे कई लाभ मिलते हैं। रक्तदान रक्तदाता के शरीर और मन दोनों पर बहुत अच्छा प्रभाव डालता है।
शरीर में कॉफी के स्तर से पार्किंसन की बीमारी के निदान में सहायता मिलती है। एक अध्ययन में पाया गया कि न्यूरोडीजेनरेटिव बीमारी से पीड़ित लोगों के खून में कैफीन का निम्न स्तर रहता है।
हम सभी के ब्लड ग्रुप में वैरिएशंस होती है, इस बात को सभी जानते हैं। A, B और o यह ब्लड के टाइप होते हैं। इसमें O नेगेटिव ब्लड ग्रुप को दुनिया में सबसे दुर्लभ श्रेणी में रखा जाता है।
आपने डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहते सुना होगा, लेकिन किसी मरीज की जान बचाने के लिए खुद का खून दान करने की बानगी नहीं देखी होगी
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