किसानों के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से संसद के पास जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने की अपील की थी।
एक तरफ तो हजारों लोग ट्रैफिक जाम में फंसकर दिक्कतें झेल रहे थे तो दूसरी तरफ भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत चाय की चुस्कियां लेते हुए ब्रेकफस्ट कर रहे थे।
135 करोड़ भारतीयों के नेता के रूप में मोदी की व्हाइट हाउस में बायडेन के साथ हुई मीटिंग ने दुनिया भर की बड़ी शक्तियों का ध्यान आकर्षित किया है।
आईएसआई ने ऐसे कई कॉल सेंटर बनाए हैं जहां से पाकिस्तानी लड़कियां हिन्दू बनकर सोशल मीडिया के जरिए भारतीय सेना के जवानों को लुभाने की कोशिश करती हैं।
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बयानों को आने वाले समय में विद्रोह का संकेत माना जा रहा है।
आनंद गिरि ने पहले भी महंत की आवाज का इस्तेमाल करते हुए एक मॉर्फ्ड ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर फैला दी थी, जिससे काफी बदनामी हुई थी।
अपने करियर में मैंने बहुत से मंत्रिमंडल बनते और मुख्यमंत्री बदलते देखे, लेकिन ये पहली बार देखा कि मुख्यमंत्री के साथ-साथ सारे मंत्रियों को भी बदल दिया गया।
अब सवाल यह उठता है कि अगर पंजाब की अकाली सरकार द्वारा बनाया गया कृषि कानून वाकई में किसानों के खिलाफ हैं, तो कांग्रेस की सरकार ने उन्हें रद्द क्यों नहीं किया?
बगराम जेल से रिहा हुए आतंकियों में केरल के वे 14 युवक भी थे जो इराक जाकर इस्लामिक स्टेट में शामिल होना चाहते थे।
पाकिस्तानी दुकानदारों ने कैमरे पर कबूल किया कि ये 'लूट का माल' है जिसे तालिबान ने अपने कब्जे में ले लिया था।
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में ऐसे भी नेता हैं जो उम्मीद कर रहे हैं कि तालिबान और पाकिस्तान मिलकर कश्मीर में हिंसा भड़काएंगे और मोदी सरकार को परेशान करेंगे।
तालिबान की 33 सदस्यीय अंतरिम सरकार में 12 लोग ऐसे हैं जिन्हें ग्वांतानामो बे स्थित अमेरिकी जेल में कैद करके रखा गया था।
अफगानिस्तान और तालिबान को जानने वाले लोग बताते हैं कि जो भी सरकार बनेगी वह ज्यादा दिन तक चल नहीं पाएगी।
राज्य सरकारों ने बच्चों की जिम्मेदारी स्कूलों पर डाल दी है, और स्कूलों के मैनेजमेंट ने ये जिम्मेदारी अभिभावकों पर डाल दी है।
अमेरिका को अफगानिस्तान से एक न एक दिन जाना था, लेकिन वे इस तरह से जाएंगे, इतने बेगैरत होकर जाएंगे, ये किसी ने नहीं सोचा था।
अफगानों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि अमेरिका उन्हें 20 साल तक इस्तेमाल करने के बाद यूं बेसहारा और बेबस छोड़कर भाग जाएगा।
काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी के लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद ने खुद मुल्ला बरादर से मुलाकात की थी।
नारायण राणे और उद्धव ठाकरे के परिवारों के बीच इस तरह की कड़वाहट कोई नई नहीं है।
ये वक्त उन लोगों की मदद करने का, उन्हें पनाह देने का है जो तालिबान के जुल्म से खुद को बचाने के लिए अफगानिस्तान से निकल आए हैं।
अब तक दुनिया ये मान रही थी कि चप्पल पहनकर आए तालिबान के 70 हजार लड़ाकों के सामने अफगानिस्तान की 3 लाख की फौज ने घुटने टेक दिए।
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