विज्ञापन के पैसों के लिए जहां आज टीवी और प्रिंट मीडिया कुछ भी छापने को तत्पर रहते हैं, दिखाने को मजबूर हो जाते हैं, इसके उलट गीता प्रेस आज भी कम से कम कीमत में पुस्तकें छापता है, जिससे आम लोग आसानी से खरीद सकें।
जिस गीता प्रेस ने कहा कि वो इस सरकार का प्रशस्ति पत्र तो स्वीकार करेंगे लेकिन 1 करोड़ की राशि नहीं लेंगे, उनकी ऐसी आलोचना का अधिकार जयराम रमेश को किसने दिया?
भगवंत मान एक दिग्गज कॉमेडियन के रूप में पंजाब में सुर्खियों में आए और सक्रिय राजनीति में शामिल होने के बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई।
आज जो स्थिति है, उसे देखकर कहना पड़ेगा कि नरेन्द्र मोदी ने दिखा दिया कि डिजास्टर मैनेजमेंट के मामले में, बड़ी से बड़ी आपदा से निपटने के मामले में उनका कोई मुकाबला नहीं है।
मौसम विभाग का कहना है कि बिपरजॉय नाम का तूफान जब तट तक पहुंचेगा, तो 125 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी।
लकड़ी का काम शुरू होने से पहले काष्ठ पूजा इसी महीने के अन्त तक हो सकती है, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे मौजूद रहेंगे।
रैफरी जगबीर सिंह ने अपनी आंखों से इस घटना को देखा, लड़की बुरी तरह डर गई थी, वहां से भागी और बृजभूषण से दूर जाकर खड़ी हो गई।
47 मिनट का पूरा टेप सबूत है इस बात का कि नाबालिग हिंदू बच्चों को बहलाकर-फुसलाकर लालच देकर, जन्नत और हूरों का ख़्वाब दिखाकर इस्लाम क़बूल करने के लिए तैयार किया गया।
पिछले दिनों फेडरेशन की जितनी बदनामी हुई है, उसे ध्यान में रखते हुए अब फेडरेशन की कमान ऐसे व्यक्ति के हाथ में होनी चाहिए जिसके नैतिक बल की रौशनी में पिछले अध्यक्ष पर लगे आरोपों से पैदा हुआ अंधेरा दूर हो जाए।
जांच इस बात की होनी चाहिए कि क्या इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ने ट्रेन चालक को गुमराह किया? जिस ट्रेन को मेन लाइन पर जाना था उसे ऐन वक्त पर लूप लाइन पर कैसे डाल दिया?
अश्विनी वैष्णव अगर नेता होते तो शायद वो भी पुराने रेल मंत्रियों की तरह इस्तीफा दे देते, लेकिन वह IAS अफसर रहे है, वह समस्याओं से भागने वालों में नहीं हैं।
मुझे लगता है कि मुद्दा ये नहीं है कि नेहरू जी को सेंगोल किसने दिया था? मुद्दा ये है कि 1947 में आजादी के वक्त नेहरू जी को सेंगोल क्यों दिया गया था?
मुझे लगता है कि संसद ने नए भवन के उद्घाटन को मुद्दा बनाने की दो बड़ी वजहें हैं। पहली, मोदी विरोध। जो जो पार्टियां मोदी से परेशान हैं, अब 2024 तक हर छोटी बड़ी बात पर, मोदी विरोध के नाम पर, हम साथ साथ हैं का ऐलान करती रहेंगी।
नोट करने वाली बात यह है कि ऐसी गालियों से कांग्रेस को कभी फायदा नहीं हुआ, उल्टा बीजेपी ने इसका शोर मचा कर कांग्रेस को बार-बार नुकसान पहुंचाया।
अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के केस को असदुद्दीन ओवैसी ने हिन्दू-मुसलमान का रंग देने की कोशिश की।
तीनों शूटर्स की अतीक से कोई पुरानी दुश्मनी नहीं है, उनका कोई लंबा-चौड़ा आपराधिक इतिहास नहीं है जिसके जरिए पुलिस उनके बारे में कुछ पता लगा सके।
अतीक की मौत के बाद अब वे लोग जो पहले उसके गैंग के सदस्य थे और संपत्तियों पर कब्जा जमाने में उसकी मदद करते थे, खुद को ऐसे प्रोजेक्ट कर रहे हैं जैसे वो अतीक के सताए हुए हैं।
योगी आदत्यनाथ ने साफ कर दिया है कि वह राजनीतिक हमले झेल लेंगे लेकिन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में कोई कमी नहीं आएगी।
बहुत से लोग पूछ रहे हैं कि बात-बात पर गोली चलाने वाली उत्तर प्रदेश पुलिस ने अतीक पर फायरिंग कर रहे हत्यारों पर फायरिंग क्यों नहीं की?
रूस की शीर्ष सुरक्षा एजेंसी ने बृहस्पतिवार को यूक्रेन के एक व्यक्ति पर उस बमबारी में शामिल होने का आरोप लगाया, जिसमें सेंट पीटर्सबर्ग के एक कैफे में प्रसिद्ध रूसी सैन्य ब्लॉगर की मौत हो गई थी। यूक्रेन में रूस के हमले के समर्थक व्लादलेन तातार्स्की (40) अग्रिम मोर्चे से लड़ाई की नियमित खबरें देते थे।
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