प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब बहस का जबाव देने का मौका मिला तो उन्होंने विपक्ष की कमियां गिनाई, अपनी सरकार के कामों का बखान किया और कांग्रेस का इतिहास याद दिलाया।
अमित शाह ने बिना किसी लाग लपेट के, साफ-साफ शब्दों में कहा कि मणिपुर में जो हुआ वो शर्मानक है, वह सभ्य समाज पर कलंक है, लेकिन सरकार खामोशी से नहीं बैठी।
उत्तर प्रदेश में पिछले 4 दशकों में जितनी भी सरकारें आईं, सभी ने इस रिपोर्ट को अब तक दबाए रखा, सिर्फ इसीलिए कि इन दंगों में मुस्लिम लीग के नेताओं का हाथ पाया गया था।
चीन भारत में यूट्यूब चैनल्स, वेबसाइट्स और पत्रकारों को फंड करके भारत की राजनीति को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है, ये चिंता में डालने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ये कहा है कि राहुल गांधी को इस तरह का कमेंट नहीं करना चाहिए था। उन्हें बोलने से पहले सोचना चाहिए था।
जहां तक पुलिस एक्शन पर उठे सवालों की बात है, उस दिन नूंह में ड्यूटी पर तैनात सेक्टर मजिस्ट्रेट आबिद हुसैन की तरफ से दर्ज FIR की कॉपी है जिसमें लिखा है कि दंगाइयों की भीड़ ने अचानक हमला किया।
पिछले कई दिनों से सोशल मीडिया पर नूंह में मोनू मानेसर का नाम लेकर विश्व हिन्दू परिषद की शोभायात्रा में शामिल लोगों को सबक सिखाने की बात हो रही थी।
कुछ मौलानाओं का मानना है कि अगर समान नागरिक संहिता सभी धर्मों के लोगों से बात करके, सबकी सहमति से लागू की जाती है, तो इसमें कोई हर्ज नहीं, लेकिन इसे जबरन नहीं थोपा जाना चाहिए।
ओवैसी की पार्टी, फारूक़ अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती की पार्टी को छोड़कर दूसरी विपक्षी पार्टियां न तो इसका विरोध कर सकती हैं, न खुलकर समर्थन कर पाएंगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जितने विस्तार से समान नागरिक संहिता की बात की, उससे ये साफ हो गया कि मोदी सरकार जल्द ही इसे लेकर कानून ला सकती है।
जिन तीन बड़े फौजी अफसरों को बरखास्त किया गया, उन पर आरोप है कि “उन्होने जिन्ना हाउस, जनरल हैडक्वार्टर्स, फोजी छावनियों और ठिकानों की सुरक्षा और सम्मान की हिफाजत नहीं की”।
आम आदमी पार्टी ने अपने बयान में कहा है कि वो इस गठबंधन का तब तक हिस्सा नहीं बनेगी जब तक कांग्रेस दिल्ली अध्यादेश का सार्वजनिक रूप से विरोध नहीं करती।
पाकिस्तान का नाम लिये बगैर मोदी ने कहा कि आतंकवाद मानव जाति का दुश्मन है और इस बुराई से निपटने में कोई किन्तु-परन्तु नहीं होना चाहिए।
भारत की सबसे बड़ी जरूरत है रोजगार के अवसर पैदा करना, इसके लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर में जिस तरीके के निवेश की जरूरत है, जैसे मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने की आवश्यकता है और विश्व व्यापार को बढाने की जरूरत है, इन सब मामलों में अमेरिका की एक बड़ी भूमिका होगी।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री विन्स्टन चर्चिल और दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला के बाद नरेंद्र मोदी अमेरिकी संसद को दूसरी बार संबोधित करने वाले पहले विश्व नेता बनेंगे।
विज्ञापन के पैसों के लिए जहां आज टीवी और प्रिंट मीडिया कुछ भी छापने को तत्पर रहते हैं, दिखाने को मजबूर हो जाते हैं, इसके उलट गीता प्रेस आज भी कम से कम कीमत में पुस्तकें छापता है, जिससे आम लोग आसानी से खरीद सकें।
जिस गीता प्रेस ने कहा कि वो इस सरकार का प्रशस्ति पत्र तो स्वीकार करेंगे लेकिन 1 करोड़ की राशि नहीं लेंगे, उनकी ऐसी आलोचना का अधिकार जयराम रमेश को किसने दिया?
भगवंत मान एक दिग्गज कॉमेडियन के रूप में पंजाब में सुर्खियों में आए और सक्रिय राजनीति में शामिल होने के बाद उनकी लोकप्रियता और बढ़ गई।
आज जो स्थिति है, उसे देखकर कहना पड़ेगा कि नरेन्द्र मोदी ने दिखा दिया कि डिजास्टर मैनेजमेंट के मामले में, बड़ी से बड़ी आपदा से निपटने के मामले में उनका कोई मुकाबला नहीं है।
मौसम विभाग का कहना है कि बिपरजॉय नाम का तूफान जब तट तक पहुंचेगा, तो 125 से 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलेंगी।
संपादक की पसंद