अगर दोस्ती निभाने का यही अंदाज है तो पाकिस्तान से दोस्ती करने के बजाय दुश्मनी अच्छी रहेगी।
अमेरिका चीन के मुद्दे को द्विपक्षीय वार्ता में इसलिए उठा रहा है क्योंकि वह भारत को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि रूस और चीन अब साथ-साथ है।
बाइक रैली हडवाड़ा बाजार में स्थित मस्जिद के पास पहुंची, तो अचानक इलाके के पार्षद मतलूब अहमद के घर की छत से पत्थर बरसने लगे।
झारखंड की राजधानी रांची के पास स्थि एक गांव चिरुडीह ऊपरटोला के लोग पहाड़ी नाले का पानी को पीने को मजबूर हैं।
अगस्त 2016 में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने साफ कहा था कि धार्मिक स्थलों द्वारा लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को मौलिक अधिकार नहीं कहा जा सकता।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है।
जरा सोचिए, बाबर की मां, उसकी विधवा और 2 छोटे-छोटे बच्चों का इस वक्त क्या हाल हो रहा होगा?
शपथ समारोह का आयोजन यह संदेश देने के लिए किया गया था कि ये तो सेमीफाइनल की जीत का जश्न है, फाइनल तो 2024 लोकसभा चुनाव में होगा।
कुछ चश्मदीदों ने बताया कि मौके पर पुलिस भी मौजूद थी, लेकिन उसने भीड़ को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
जो दस्तावेज सामने आ रहे हैं वे इस बात का सबूत हैं कि फारूक अब्दुल्ला को कश्मीर में पंडितों के खिलाफ हो रही साजिश का अंदेशा था।
उमर अब्दुल्ला ने अपने पिता फारूक अब्दुल्ला को क्लीन चिट दे दी, जो राज्यपाल शासन लागू होने से ठीक पहले मुख्यमंत्री थे।
चीन के साथ तनाव का एक मुख्य कारण भारत और अमेरिका के बीच रिश्तों में सुधार था।
सिद्धू का इस्तीफा तो फिर भी समझ आता है, लेकिन उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की क्या गलती थी?
‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने बताया कि दर्शकों ने कैसे उन्हें और अनुपम खेर को अपने बीच देखकर तालियां बजाईं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातिवाद, परिवारवाद और वंशवाद की राजनीति को ध्वस्त कर दिया है।
पुतिन को उम्मीद थी कि संयुक्त राष्ट्र में चीन उनका समर्थन करेगा, लेकिन चीन ने रूस का समर्थन करने की बजाय मतदान से दूर रहने का विकल्प चुना।
यूक्रेनी सेना भले ही दावा करे कि उसने रूसी सेना को भारी नुकसान पहुंचाया है, लेकिन हकीकत यही है कि उसके पास हथियारों, लड़ाकू विमानों और मिसाइलों की कमी है।
रूस बार-बार दावा कर रहा है कि उसकी सेना आम लोगों को निशाना नहीं बना रही है, लेकिन जमीन पर हालात बिल्कुल अलग हैं।
सबसे बड़ी बात ये है कि जब दुनिया में अस्थिरता होती है, जंग के हालत होते हैं तो भारत के दुश्मन इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं।
अब न तो न्यूयॉर्क टाइम्स कुछ लिख रहा है, न वॉशिंगटन पोस्ट का कैमरा प्रयागराज तक पहुंच रहा है और न ही वॉल स्ट्रीट जर्नल को प्रयागराज में लाशें दिखाई दे रही हैं।
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