कालेधन का पता लगाने के लिए मोदी सरकार ने ऐसा तरीका निकाला है जिससे आपकी करोड़ों की लौटरी लग सकती है। जी हां, आपने सही सुना। अगर आप किसी भी कालेधन रखने वाले की जानकारी सरकार को देते हैं तो आपको सरकार इनाम के रूप में पांच करोड़ रुपए देगी।
कर विभाग के विभिन्न जांच निदेशालयों में एक नई इकाई के रूप में एफएआईयू का गठन किया गया है। इसका मकसद विदेशों में भारतीयों द्वारा रखी गई अघोषित संपत्ति और काले धन से जुड़े मामलों पर ध्यान देना है।
लोकलसर्कल्स प्लेटफॉर्म पर नागरिकों ने विभिन्न क्षेत्रों की ओर इशारा किया, जहां अवैध आर्थिक गतिविधियां व्याप्त हैं। सर्वे में 15,492 मतदाताओं ने अपने विचार रखे हैं।
मोदी सरकार को काले धन के खिलाफ लड़ाई में एक और बड़ी सफलता हाथ लगी है। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच कालेधन की सूचना संधि के स्वत: आदान-प्रदान (एईओआई) की नई व्यवस्था के तहत अपने नागरिकों के स्विस बैंक खातों की दूसरी सूची स्विट्जरलैंड सरकार से हासिल हो गई है।
भारतीय नागरिकों तथा कंपनियों (भारत में स्थित शाखाओं के जरिये जमा सहित) का स्विस बैंकों में जमा धन 2019 में 5.8 प्रतिशत घटकर 89.9 करोड़ स्विस फ्रैंक (6,625 करोड़ रुपए) रह गया।
यदि वर्तमान कानून नहीं बदला गया तो डॉक्टरों पर हमला करने वाले और जमात के मुखिया को अधिकतम 2 साल की सजा होगी। क्या यह पर्याप्त है?
स्विस बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों की जांच के घेरे में एक शाही घराना भी आ चुका है।
आपको बता दें कि इनकम टैक्स विभाग ने देश में एक व्यक्ति के पास सोना रखने की सीमा निर्धारित की है। इस सीमा से अधिक सोने को कालाधन माना जाएगा।
स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारतीयों के करीब एक दर्जन निष्क्रिय खातों के लिए कोई दावेदार सामने नहीं आया है। ऐसे में यह आशंका बन रही है कि इन खातों में पड़े धन को स्विट्जरलैंड सरकार को स्थानांतरित किया जा सकता है।
इस प्रस्तावित योजना के तहत, बेहिसाबी संपत्ति धारकों को न्यूनतम टैक्स का भुगतान करने के जरिये अपनी संपत्ति का खुलासा करने का अवसर दिया जाएगा।
सरकार सोने के रूप में जमा अघोषित संपत्ति का पता लगाने के लिए स्वर्ण माफी योजना पेश करने पर विचार नहीं कर रही है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी।
स्विट्जरलैंड के कर विभाग के अधिकारियों ने कहा कि सितंबर 2020 में भारत के साथ फिर वित्तीय खातों की सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा।
बर्न में 24 सितंबर को स्विट्जरलैंड के संघीय राजपत्र में प्रकाशित नोटिस में मोटेक सॉफ्टवेयर को अपने अधिकार का प्रयोग करने के लिए एक व्यक्ति नामित करने के लिए कहा गया। इस व्यक्ति की जानकारी 10 दिन के भीतर देने होगी।
नियामकीय अधिकारियों का कहना है कि पहले चरण में जो आंकड़े साझा किए गए, वे खाते कार्रवाई की डर से पहले ही बंद किए जा चुके हैं।
भारतीयों के स्विस बैंक खातों की जानकारी रविवार से भारत के कर-विभाग के पास होगी। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच बैंकिंग सूचनाओं के स्वतः आदान-प्रदान के समझौते के प्रभावी होने के साथ भारतीयों के स्विस बैंक खातों पर से रहस्य का पर्दा उठने की संभावना है।
देश के भीतर और बाहर बेहिसाब धन का आकलन करना कठिन है, हालांकि कुछ अध्ययनों के अनुमान के मुताबिक अवैध वित्तीय प्रवाह के रूप में बेहिसाब आय का 10 फीसदी देश के बाहर चला जाता है।
समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कालेधन पर कोई विश्वसनीय आंकड़ा नहीं है और न ही इस तरह का अनुमान लगाने के लिए कोई सही तरीका है।
ये दिशानिर्देश सोमवार से लागू हो गए हैं। कर विभाग के नीति बनाने वाले निकाय ने प्रत्यक्ष कर कानून के तहत मामलों के निपटान-2019 को लेकर 32 पृष्ठों के संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं।
टैक्स चोरों, बेनामी संपत्ति और कालाधन रखने वालों पर शिकंजा कसने की पूरी तैयारी हो चुकी है। आयकर विभाग द्वारा संशोधित दिशा-निर्देश आज (17 जून, सोमवार) से लागू होना है, उसके तहत कालाधन और बेनामी संपत्ति के गंभीर अपराध को 'नॉन-कंपाउंडेबल' की श्रेणी में रख दिया गया है।
स्विट्जरलैंड ने उसके बैंकों में खाता रखने वाले भारतीयों के संबंध में सूचनाएं साझा करने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। अकेले पिछले सप्ताह ही करीब एक दर्जन भारतीयों को इस संबंध में नोटिस दिया गया है।
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