पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने नवाज शरीफ पर बड़ा निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अगला प्रधानमंत्री लाहौर से नहीं होगा। जानिए उन्होंने और क्या कहा? पाकिस्तान में अगले साल फरवरी में आम चुनाव होना है।
पाकिस्तान के साथ अमेरिका अब हर कदम फूंक-फूंक कर उठाना चाहता है। क्योंकि उसे भारत के साथ अपने संबंधों के बिगड़ने का खतरा भी सता रहा है। इस बीच पाकिस्तान की कैबिनेट ने नए सुरक्षा समझौतों पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी है। मगर अमेरिका इस पर आगे बढ़ने से पहले भारत के साथ संबंधों का आकलन कर रहा है।
भारत ने पड़ोसी पाकिस्तान को दर-दर भीख मांगने के लिए मजबूर कर दिया है। पीएम मोदी ने कई साल पहले कहा था कि वह पाकिस्तान को भीख मांगने के लिए मजबूर कर देंगे। इन दिनों पाकिस्तान की आर्थिक हालत वही हो चुकी है। वहां आटे और रोटी के लिए आपस में मारपीट तक की नौबत है। बिलावल भुट्टो इसमें सुधार लाने जापान जाने वाले हैं।
भारतीय समकक्ष एस जयशंकर ने रविवार को कहा कि यदि मेहमान अच्छा हो, तो वे अच्छे मेजबान हैं। इससे यह साफ हो गया है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री एक अच्छे मेजबान कहलाने लायक नहीं हैं।
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ‘पीटीआई‘ के प्रमुख इमरान खान ने तो बिलावल के इस दौरे को पाकिस्तान की बेइज्जती कराने से जोड़ दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने बिलावल के इन दौरों में आ रहे खर्च और आर्थिक संकट को लेकर भी पाकिस्तान की सरकार पर निशाना साधा है।
आतंक फैलाने वाले से बातचीत नहीं हो सकती। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ‘पाकिस्तान चीन कॉरिडोर पर भी भारत का रूख कड़ा है। पाकिस्तान को जयशंकर ने करारा जवाब दिया है। जयशंकर ने साफतौर पर कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की कोई विश्वस्नीयता नहीं है।
शंघाई सहयोग संघठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भी भारत के कड़े रुख के बाद अब आतंकवाद पर बोलने को मजबूर हुए हैं। भुट्टो ने सामूहिक रूप से आतंकवाद के खतरे को मिटाने का आग्रह किया।
करीब 12 वर्ष बाद पाकिस्तान का कोई विदेश मंत्री भारत की धरती पर आया। पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी गोवा में चल रहे शंघाई सहयोग संघठन (एससी) सम्मेलन में बृहस्पतिवार को ही हिस्सा लेने पहुंच गए थे। इस दौरान भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर से उनका आमना-सामना भी हुआ।
बिलावल की भारत यात्रा पर इमरान खान ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी है। लेकिन इमरान खान को ही बिलावल की यात्रा से झटका लग गया है। उनकी पार्टी में ही बिलावल की यात्रा को लेकर दो फाड़ हे गई है।
5 मई को एससीओ के विदेश मंत्रियों की मीटिंग में शामिल होने से पहले 4 मई को बिलावल का रूस और उज़्बेकिस्तान के विदेश मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता का कार्यक्रम है।
12 साल बाद ये पहला मौका है जब पड़ोसी देश पाकिस्तान को कोई विदेश मंत्री भारत की यात्रा पर है। इससे पहले 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार भारत के दौरे पर आईं थीं।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी भारत में हो रहे शंघाई सहयोग संघठन (एससीओ) में शामिल होने के लिए भारत पहुंच चुके हैं। पाकिस्तान से गोवा आने से पहले उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वह भारत के गोवा में एससीओ सम्मेलन में शामिल होने के लिए जा रहे हैं।
कंगाली के कगार पर खड़े पाकिस्तान को भी ये बात अब समझ में आ गई है कि जब तक पाकिस्तान सीमापार से दहशतगर्दी बंद नहीं करेगा तब तक भारत के सामने उसकी दाल गलनेवाली नहीं है। ऐसे में बिलावल किस एजेंडे के साथ भारत आ रहे हैं, इस पर लोगों की निगाहें टिकी है।
सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पहली बार पाकिस्तान का कोई नेता भारत आ रहा है।पाकिस्तान ने बृहस्पतिवार को घोषणा की कि विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी अगले महीने भारत में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में हिस्सा लेंगे।
भारत ने पाकिस्तान को एससीओ समिट में आमंत्रित किया था, जिसको लेकर ना-नुकर के बाद आखिरकार पाकिस्तान इस समिट में हिस्सा लेने को तैयार हो गया है। इस समिट में रूस और चीन भी शामिल होंगे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आना चाहते हैं, लेकिन पाकिस्तान के साथ एक परेशानी यह है कि यदि पाकिस्तान इस न्योते को स्वीकार करेगा तो चीन नाराज न हो जाए। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार भारत ने बिलावल और रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ को भारत आने का न्योता भेजा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी की फिसली जुबान या क्या हुआ कि उन्होंने कश्मीर के मुद्दे पर बात करते हुए अचानक भारत को दोस्त कहा फिर मुस्कुराते हुए पड़ोसी बताया। देखें वीडियो-
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो द्वारा कश्मीर मुद्दे पर की गई टिप्पणी का जवाब देते हुए भारत की संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कम्बोज ने मंगलवार को उनके बयान को ‘‘आधारहीन और राजनीति से प्रेरित’’ करार दिया।
पाकिस्तान में पहले ही अर्थव्यवस्था के तहस-नहस होने और कमरतोड़ महंगाई ने हाहाकार मचा रखा है। लोग भुखमरी और गरीबी से मरने को मजबूर हैं। अब इस देश के ऊपर राजनीतिक संकट भी छाने लगा है। पाकिस्तान के मौजूदा प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कुर्सी खतरे में पड़ गई है। मगर अचानक ऐसा क्या हुआ कि पाकिस्तान में सरकार गिरने की नौबत आ गई?
पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने दोहराया कि जब तक कश्मीरी संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत आत्म निर्णय के अधिकार को प्राप्त नहीं कर लेते, तब तक उनका देश उन्हें कूटनीतिक, राजनीतिक और नैतिक समर्थन देना जारी रखेगा।
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