मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 7 साल पहले यानि 2016 के अप्रैल में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लगा दी थी। तब से बिहार में शराब के बेचने और पीने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाती है।
सोशल मीडिया पर आजकल एक वीडियो खूब वायरल हो रहा जो बिहार में लागू शराबबंदी की पोल खोल रहा है। दरअसल एक कार का एक्सीडेंट हो गया, उसके बाद वहां नजारा देखने लायक बना। लोग मदद छोड़कर शराब लूटने में लग गए।
ताजा मामला वैशाली जिले का है, जहां शराब तस्करों ने एक तालाब में शराब छिपा रखी थी। पुलिस के मुताबिक शराब की ये खेप होली के मौके पर बेचने के लिए मंगाई गई थी।
कड़वा सच यह है कि नीतीश कुमार अपनी सरकार की नाकामी छिपाने की जी तोड़ कोशिश कर रहे हैं। मरने वाले 75 लोगों की लिस्ट में उनके नाम और विवरण हैं लेकिन उनकी सरकार 38 मौतों के आंकड़े पर ही अटकी हुई है। परिजनों पर बिना पोस्टमार्टम कराए शवों का अंतिम संस्कार करने का दबाव बनाया जा रहा है।
Bihar liquor ban: जीतन राम मांझी ने कहा, डॉक्टर भी थोड़ी सी शराब दवा के रूप में लेने के लिए बोलते हैं। मांझी ने कहा कि हमारे वर्ग के भी लोग शुरू से ही शराब बनाने के काम में रहे हैं लेकिन मैंने कभी भी शराब को हाथ नहीं लगाया।
सूत्रों का कहना है कि जेलों में कैदियों की संख्या में हो रही वृद्धि के कारण सरकार को ऐसा निर्णय लेना पड़ा है। इसका उद्देश्य शराब के अवैध कारोबार की जड़ तक पहुंचना है। शराब के विरुद्ध अभियान में जेल जाने वालों में शराब पीने वालों की संख्या अधिक थी। नए निर्देश का मकसद शराब बेचने वालों को जेल भेजना है।
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा, 'शराबबंदी कागज पर है, खुलेआम बिक रही है (शराब)। लेकिन, सीएम जिद्द बनाए हुए हैं और ईमानदारी के साथ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। जांच हुई, पुलिस अधिकारियों और मंत्री का नाम सामने आया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।'
उल्लेखनीय है कि बिहार में किसी प्रकार के शराब के सेवन और इसके व्यापार पर पूरी तरह प्रतिबंध है। एसपी के इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में हडकंप मच गया है।
बिहार में जब शराबबंदी की गई थी को लोगों ने इसका भरपूर समर्थन किया था, और अब इसके अच्छे नतीजे भी दिखने लगे हैं...
संपादक की पसंद
लेटेस्ट न्यूज़