सरकार ने पिछले साल अक्टूबर की शुरुआत में बासमती चावल के निर्यात के लिए न्यूनतम कीमत को 1,200 डॉलर प्रति टन से घटाकर 950 डॉलर प्रति टन कर दिया था। अधिक कीमतों के कारण निर्यात प्रभावित होने की चिंताओं के चलते ऐसा किया गया था।
बीते साल भारत का निर्यात रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंचा था। उत्पादन में बढ़ोतरी के चलते पाकिस्तान भारत की तुलना में कम कीमतों में बासमती चावल की पेशकश कर रहा है।
भारत अपने पारंपरिक दोस्त के साथ कई वर्षों से कारोबार कर रहा है। लेकिन हाल के समय में इसमें कमी आई है। इजराइल हमास की जंग और मिडिल ईस्ट के देशों को रूस और चीन जैसे देशों द्वारा सपोर्ट करना भारत के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है।
बासमती चावल में प्राकृतिक सुगंध गुण होना चाहिए और कोई कृत्रिम रंग, पॉलिश करने वाले तत्व और कृत्रिम सुगंध नहीं होनी चाहिए।
यूरोपीय संघ ने धान की फसल को 'ब्लास्ट' नामक बीमारी से बचाने के लिए भारत में इस्तेमाल होने वाले कवकनाशी ट्राईसाइक्लाज़ोल के अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) में कटौती की है।
पाकिस्तान 27-सदस्यीय यूरोपीय संघ में बासमती चावल को अपने उत्पाद के रूप में पंजीकृत करने के भारत के कदम के खिलाफ मामला लड़ रहा है।
मध्य प्रदेश के सीएम ने सोनिया गांधी से कहा कि अमरिंदर सिंह का ये कथन किसान विरोधी है, मध्य प्रदेश विरोधी है और कांग्रेस के किसान विरोधी चरित्र को उजागर करता है।
बासमती चावल के इस GI टैग की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत बासमती का सबसे बड़ा निर्यातक है क्योंकि दुनिया में भारत और पाकिस्तान के अलावा अन्य किसी भी देश के बासमती का GI टैग नहीं है।
सीबीआई ने हाल में पश्चिम एशियाई देशों और यूरोपीय देशों को बासमती चावल का निर्यात करने वाली कंपनी और उसके निदेशकों नरेश कुमार, सुरेश कुमार और संगीता के खिलाफ एसबीआई की शिकायत पर मामला दर्ज किया था।
ईरान से भुगतान की समस्या के कारण भारत के बासमती चावल निर्यात पर इस साल असर पड़ा है।
धान का रकबा चालू फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के दौरान 83 जिलों में पिछले साल के मुकाबले 36 फीसदी बढ़ा है जबकि धान (बासमती छोड़कर अन्य धान की वेरायटीज) के रकबे में 6.5 फीसदी की वृद्धि हुई है।
2017-18 में देश से 40.56 लाख टन, 2016-17 में 38.85 लाख टन और 2015-16 में 40.45 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था।
वित्त वर्ष 2017-18 में रिकॉर्ड चावल निर्यात के बाद अब नए वित्त वर्ष 2018-19 में भी निर्यात में बढ़ोतरी देखी जा रही है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के पहले 2 महीने यानि अप्रैल और मई के दौरान देश से चावल निर्यात में 17 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, हालांकि इस दौरान सिर्फ गैर बासमती चावल का निर्यात बढ़ा है जबकि बासमती चावल के निर्यात में कमी देखने को मिली है
देश से चावल निर्यात का नया रिकॉर्ड बना है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक मार्च में खत्म हुए वित्तवर्ष 2017-18 के दौरान देश से कुल 126.85 लाख टन चावल का निर्यात हुआ है जो इतिहास में अबतक का सबसे अधिक निर्यात है और पूरी दुनिया में किसी देश की तरफ से एक साल में किया गया सबसे अधिक एक्सपोर्ट भी है
ऐसी संभावना जताई जा रही है कि मार्च के आंकड़ों के आने के बाद कुल चावल निर्यात 120 लाख टन के पार पहुंचेगा जो नया रिकॉर्ड होगा। दुनियाभर में भारत लगातार 3 साल से सबसे बड़ा चावल निर्यातक देश बना हुआ है
इससे पहले कभी भी इतनी कम अवधि में इतने ज्यादा चावल का निर्यात नहीं हुआ था, भारत के पड़ौसी देशों के साथ खाड़ी देशों और अफ्रीकी देशों ने यह चावल खरीदा है
2017-18 में अप्रैल से नवंबर में निर्यात हुए 81.91 लाख टन चावल में से 55.70 लाख टन चावल गैर बासमती है और 26.21 लाख टन चावल बासमती है।
अप्रैल से अक्टूबर में देश से कुल 72,52,737 टन चावल का निर्यात हो चुका है जबकि वित्तवर्ष 2016-17 में इस दौरान देश से 60,53,528 टन चावल का एक्सपोर्ट हुआ था
अप्रैल से सितंबर के दौरान देश से 62,73,674 टन चावल निर्यात हुआ है जो किसी भी वित्तवर्ष की पहली छमाही में अबतक का सबसे अधिक निर्यात है।
अप्रैल से जून के दौरान कुल 8,172.65 करोड़ रुपए का बासमती चावल निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल इस दौरान देश से 6,189.96 करोड़ रुपए का चावल एक्सपोर्ट हुआ था
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