बिहार में एक लड़के के पास साइकिस खरीदने के पैसे नहीं थे तो उसने जुगाड़ से खुद ही घर पर बांस की साइकिल तैयार कर ली। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की अधिकतर जनता खेती-किसानी से अपना भरण-पोषण करती है। यह राज्य अकेले बांस की बुआई कर हजारों की संख्या में रोजगार पैदा कर रहा है। इसके लिए उसने ये रणनीति बनाई है।
नितिन गडकरी ने कहा कि वो जल्द ही दिल्ली में हाइड्रोजन से चलने वाली कार को पेश करने वाले हैं। अगले 15 दिनो मे वो दिल्ली मे इसकी ट्रायल करेंगे।
बांस में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। इसकी छाल से लेकर पत्तियां तक शरीर के लिए फायदेमंद हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि लाने के लिए बांस के पौधों को कारगर उपाय माना गया है।
मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने पेशेवर क्रिकेट में बांस से निर्मित बल्ले के इस्तेमाल करने के विचार को खारिज कर दिया है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बांस की खेती किसानों की आय दोगुना करने के लिए एक महत्वपूर्ण फसल हो सकती है।
पू्र्वोत्तर के राज्य त्रिपुरा में बांस के बने बिस्कुट लॉन्च हुए हैं और खुद राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब देव ने शुक्रवार को विश्व बांस दिवस के मौके पर यह बिस्कुट लॉन्च किए हैं।
मिनाक्षी का सपना आत्म निर्भर भारत के लिए वोकल टू लोकल पर अमल कर हैंडमेड इन इंडिया के तहत बांस से बने उत्पादों को घर-घर पहुंचाना है।
केवीआईसी को 10-15 वर्षों में तैयार होने वाले चंदन के पेड़ों से 50 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है, जबकि बांस के पेड़ों से तीन साल बाद हर साल चार से पांच लाख रुपए मिलने का अनुमान है।
घरेलू बांस के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए के लिए फैसला
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को गाय के गोबर और बांस की बनी पानी की बोतलें पेश की। इन उत्पादों को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग ने तैयार किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को कहा कि देश के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में रोजगार देने की व्यापक क्षमता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश के मंडला जिले के रामनगर में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस और तीन दिवसीय आदि उत्सव के उद्घाटन समारोह में कहा कि अब बांस को पेड़ नहीं, बल्कि घास माना जाएगा।
गुवाहाटी में दुर्गा की 100 फुट से भी ऊंची प्रतिमा, पूजा पंडालों में दूर-दूर से आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र है और आयोजकों ने बांस से बने सबसे ऊंचे ढांचे के तौर पर इसकी प्रविष्टि गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए कराने का दावा किया है।
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