उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा शुरू करने की तारीखों की घोषणा शनिवार को की थी लेकिन जोशीमठ के पास बद्रीनाथ राजमार्ग पर कई बड़ी दरारें फिर से दिखाई दी हैं। ऐसे में ये यात्रा कितनी सुरक्षित होगी, ये चिंता का विषय है।
केदारनाथ धाम के कपाट 25 अप्रैल से खुल जाएंगे और भक्त भगवान का दर्शन कर सकेंगे। आज विधिवत इसका ऐलान किया गया। बद्रीनाथ धाम मंदिर के कपाट 27 अप्रैल से खुल जाएंगे।
पुलिस प्रशासन की ओर से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) और लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर पुराने ट्रैफिक प्लान को ही यथावत रखने का फैसला लिया है।
गंगोत्री और यमुनोत्री धाम उत्तरकाशी जिले में स्थित हैं। गंगोत्री धाम के कपाट 22 अप्रैल को खुल रहे हैं। गंगोत्री प्रमुख हिन्दू तीर्थस्थल है। गंगोत्री नगर से 19 किमी दूर गोमुख है, जो गंगोत्री हिमानी का अन्तिम छोर है और गंगा नदी का उद्गम स्थान है।
मंदिर कमेटी की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक, बद्रीनाथ धाम के कपाट इस साल 27 अप्रैल को सुबह 7:10 बजे से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। वसंत पंचमी के अवसर पर नरेंद्रनगर में आयोजित समारोह में कपाट खुलने की तारीख की घोषणा हुई है।
जोशीमठ में नई दरारें पड़ने से इलाके में हड़कंप मच गया है। दरअसल ये नई दरारें बद्रीनाथ नेशनल हाईवे पर देखी गई हैं। इन्हें देखने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है और लोग डरे हुए नजर आ रहे हैं।
Joshimath: उत्तराखंड के बद्रीनाथ मंदिर को लेकर हिंदुओं की गहरी आस्था है। ऐसे में इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि लाखों सालों बाद बद्रीनाथ मंदिर जोशीमठ के करीब स्थापित हो जाएगा और फिर वही जगह भगवान विष्णु का स्थान होगा।
जोशीमठ में घरों, सड़कों और खेतों में दरारें लगातार बढ़ रही हैं। इतना ही नहीं यहां पर जमीन से अचानक पानी भी निकलने लगा है। इस बीच एक सदियों पुरानी भविष्यवाणी की चर्चा खूब हो रही है। आइए जानते हैं।
जोशीमठ में प्रवेश करने के बाद तीर्थयात्री बद्रीनाथ आने-जाने वाले वाहनों से यहां वन-वे रास्ते का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जोशीमठ में जारी भू-धंसाव संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। यहां सैंकड़ों घरों और सड़कों में दरारें आ गई हैं, जिसके चलते धाम बद्रीनाथ तक ले जाने के रास्ते पर सवाल उठ रहे हैं।
शीतकालीन के दौरान बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन तक सभी होटल, ढाबा व अन्य व्यवसायियों को बदरीनाथ धाम छोड़ने के लिए कहा जाता है। कपाट बंद होने के बाद आम लोगों को धाम तक जाने की अनुमति नहीं दी जाती है।
आज श्री केदारनाथ धाम के कपाट वैदिक मंत्रोच्चार एवं पौराणिक विधि-विधान के साथ शीतकाल हेतु बंद हो गए हैं। इस वर्ष कपाट खुलने के उपरांत लगभग 16 लाख श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए
3 मई को शुरू हुई चारधाम यात्रा अब अपने समापन की ओर है। आंकड़ों के मुताबिक, इस बार 42 लाख से भी ज्यादा श्रद्धालुओं ने यात्रा में हिस्सा लिया।
मोदी ने बताया कि किस तरह पिछली सरकारों ने 'गुलामी की मानसिकता' के कारण भारत के ऐतिहासिक मंदिरों की अनदेखी की।
PM Modi Kedarnath Badrinath Visit प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना उत्तराखंड दौरा समाप्त कर शनिवार को बद्रीनाथ से राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हो गए। प्रधानमंत्री पहले बद्रीनाथ से हेलीकॉप्टर के जरिये देहरादून के निकट जौलीग्रांट हवाईअडडे पहुंचे, जहां से वह विमान में सवार होकर दिल्ली के लिए रवाना हुए।
PM Modi Kedarnath Badrinath Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के दौरे पर हैं। उन्होंने केदारनाथ धाम और बद्रीनाथ धाम में पूजा अर्चना के बाद माणा गांव में एक जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा-माणा गांव को भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है। लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव है।
PM Modi Kedarnath Badrinath Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद गौरीकुंड से केदारनाथ के लिए रोपवे प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। इस दौरान पीएम मोदी ने हिमाचली परिधान पहन रखा था। पीएम मोदी हेलीपैड से सीधे मंदिर पहुंचे और भगवान शिव का रुद्राभिषेक किया।
PM Modi Kedarnath Badrinath Visit : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने 8 साल के कार्यकाल में छठी बार केदारनाथ का दौरा कर रहे हैं। यहां मंदिर में पूजा अर्चना के बाद उन्होंने रोपवे प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। केदारनाथ के बाद पीएम मोदी बद्रीनाथ पहुंचे।
PM Modi Kedarnath Visit: पवित्र धामों की यात्रा के दौरान पीएम मोदी केदारनाथ और बद्रीनाथ में पूजा-अर्चना भी करेंगे। इसके अलावा वो 34 सौ करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का शिलान्यास भी करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने गुरूवार को वर्चुअल माध्यम से बद्रीनाथ और केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सचिवालय से इस बैठक में वर्चुअली भाग लिया।
Uttarakhand Rains: कभी बद्रीनाथ हाईवे पर लामबगड़ भूस्खलन जोन परेशानी का सबब बना हुआ था। 2013 के आपदा में इसका और विस्तार हो गया था। आपदा के बाद से ही इसके स्थायी ट्रीटमेंट की कार्ययोजना बनाई गई और विदेशी इंजीनियरों से भी राय ली गई।
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