अयोध्या मामले की सुनवाई कर रही पीठ के इस जज ने भगवान राम के जन्म पर एक अलग ही दृष्टिकोण दिया। हालांकि निर्णय में जज का नाम नहीं दिया गया, लेकिन निर्णय में उनके विचार को परिशिष्ट के तौर पर जोड़ दिया गया...
सीएम योगी ने कहा कि निश्चित ही यह फैसला बहुत कुछ संदेश दे रहा है। एक भारत और श्रेष्ठ भारत के संकल्प को आगे बढ़ाने, किसी परिवार या किसी वर्ग, समुदाय या धर्म से उठकर जो फैसला दिया गया है और जिस प्रकार से इसे लोगों ने स्वीकारा है वह प्रशंसनीय है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर लाये गये जनम साखी में गुरु नानक देवजी की अयोध्या की यात्रा का वर्णन है, जहां उन्होंने भगवान राम के जन्मस्थान का दर्शन किया था।
फैसले के बाद की स्थितियों को लेकर जतायी जा रही तमाम आशंकाओं और अटकलों के विपरीत उत्तर प्रदेश में हालात बिल्कुल सामान्य रहे। शुरू में सड़कों पर सन्नाटा जरूर दिखा, मगर बाद में लोगों और वाहनों का आवागमन सामान्य रहा।
शीर्ष अदालत के फैसले का हिन्दू नेताओं और समूहों ने व्यापक स्वागत किया, वहीं मुस्लिम नेतृत्व ने इसमें खामियां बताते हुए कहा कि वे निर्णय को स्वीकार करेंगे। उन्होंने भी शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की। इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने कहा कि यह अब आगे बढ़ने का समय है।
नया घाट पर कोई विशेष गतिविधि नहीं थी। इक्का-दुक्का श्रद्धालु डुबकी लगाते नजर आए। एक भी पुरोहित नहीं दिखा। केवल पुलिसकर्मी, मीडिया के लोग और कुछ साधु संत नजर आए।
अपर पुलिस महानिदेशक असीम अरूण ने पत्रकारों को बताया, ‘‘इमरजेंसी आपरेशन सेंटर पुलिस के 112 मुख्यालय में बनाया गया है। यहां जोन वार डेस्क बनाये गये हैं जो 112 की कॉल, सोशल मीडिया, मीडिया से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर नजर रख रहे हैं। अगर कहीं जरूरत पड़ी तो पीआरवी, क्यूआरटी, पीएएसी आदि बल भेजे जाने के निर्देश दिये जायेंगे।’’
न्यायालय में पराशरण को बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे।
फैसले के बाद कुछ भाजपा नेताओं के राम मंदिर में दर्शन करने के संबंध में पवार ने कहा कि यह किसी का व्यक्तिगत अधिकार और पसंद है कि वह मंदिर जाए या मस्जिद।
अयोध्या भूमि विवाद मामले पर सुप्रीम कोर्ट के शनिवार के फैसले के बाद मुस्लिम धर्मगुरुओं ने एक सुर से फैसले का स्वागत किया और इसके प्रति सम्मान जाहिर किया है।
नई दिल्ली। संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विवादित जमीन का बंटवारा नहीं होगा।
अयोध्या जमीन विवाद का फैसला आने वाला है इससे पहले बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आज से हिन्दू-मुस्लिम विवाद का अंत हो जाएगा।
वैसे तो अदालत किसी भी दिन बैठ सकती है, मामले को सुन सकती है और फैसला दे सकती है लेकिन फिर भी 17 नवंबर को रविवार है और सामान्यत: इतने बड़े मामलों में फैसला अवकाश के दिन नहीं आया करता।
सदियों पुराने अयोध्या विवाद की सुनवाई पूरी हो गई है और अब कुछ घंटों के बाद सुप्रीम कोर्ट ये फैसला सुना देगा कि विवादित जमीन का क्या होगा। 40 दिन की बहस के बाद सुनवाई पूरी हुई और अब पूरा देश फैसले पर नज़रें गड़ाए हुए है।
सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की संविधान पीठ आज सुबह 10:30 बजे अयोध्या मुकदमे में फ़ैसला सुनाएगी। देश के सबसे बड़े मुकदमे का फैसला बड़ा है इसलिए पूरे देश में पहरा भी बहुत कड़ा है। इस ऐतिहासिक फैसले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए हैं।
अयोध्या प्रकरण पर शनिवार को आने वाले फैसले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने नौ नवंबर से 11 नवंबर तक प्रदेश के सभी स्कूल कालेज और शैक्षणिक संस्थान बंद करने के निर्देश दिए हैं।
रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से पहले राम की नगरी अयोध्या छावनी में बदल गयी है। जमीन से आसमान तक पुलिस निगरानी की व्यवस्था की गयी है। शहर के हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं।
संविधान पीठ द्वारा किसी भी दिन फैसला सुनाये जाने की संभावना को देखते हुये केन्द्र ने देश भर में सुरक्षा बंदोबस्त कड़े कर दिये थे। अयोध्या में भी सुरक्षा बंदोबस्त चाक चौबंद किये गये हैं ताकि किसी प्रकार की कोई अप्रिय घटना नहीं हो सके।
प्रधान न्यायासधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ , न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पांच सदस्यीय संविधान पीठ शनिवार की साढ़े दस बजे यह फैसला सुनायेगी।
अयोध्या के राम जन्मभूमि -बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट शनिवार को अपना फैसला सुनाएगा। राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसले से पहले पूरे देश में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
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