अयोध्या में 06 दिसंबर 1992 की घटना के 30 साल पूरे हो चुके हैं। इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी आ चुका है। ऐसे में वहां का माहौल कैसा है ? क्या लोगों में अब भी किसी किस्म का डर है ? पढ़िए अयोध्या की ग्राउंड रिपोर्ट।
UP Ayodhya Temple Progress: अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसमें देश भर के नाम इंजीनियरों की एक बड़ी टीम काम कर रही है। मंदिर प्रशासन अभी से इस बात का दावा करता आ रहा है कि इसे बनाने में अत्याधुनिक तकनीकियों का इस्तेमाल किया जा रहा है।
Babri Demolition Case Verdict : 28 साल चले बाबरी ढांचे को गिराए जाने के मुकदमे में 351 गवाह पेश किए गए और क़रीब 600 दस्तावेज़ हुए। मामले में CBI ने कोर्ट में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट फाइल की थी जिसमें से 17 की मृत्यु हो चुकी है।
न्यायालय ने अपने फैसले में 2.77 एकड़ विवादित भूमि ‘राम लला’ को सौंपते हुये वहां राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था। इस मामले पर जमीयत उलेमा-हिंद की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख मौलाना सैयद अशहद रशिदी ने भी पुनर्विचार याचिका दायर की थी।
उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने नौ नवंबर को एकमत से अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करते हुए केंद्र को निर्देश दिया था कि वह सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिये पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करे।
26 नवंबर को सुन्नी वक्फ बोर्ड फैसला इस बात का करेगा कि वो 5 एकड़ की जमीन लेगा या नहीं और अगर लेगा तो उसका क्या करेगा। सबसे बड़ी बात तो ये है कि पुनर्विचार याचिका में वो नहीं जाएगा।
अयोध्या पर कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। रविवार को AIMPLB की बैठक के बाद ये ऐलान किया गया कि सुप्रीम कोर्ट में फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की जाएगी।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में प्रमुख मुद्दई रहे इकबाल अंसारी तथा कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने केंद्र सरकार से वर्ष 1991 में अधिग्रहीत की गई भूमि में से मस्जिद के लिए जमीन देन की मांग की है।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने के बारे में 17 नवंबर को बैठक कर रहा है।
पीठ ने कहा कि बहुस्तरीय खुदाई के दौरान एक गोलाकार संरचना सामने आयी जिसमें ‘मकर प्रणाला’ था, जिससे संकेत मिलता है कि आठवीं से दसवीं सदी के बीच हिन्दू वहां पूजा-पाठ करते थे।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने करतारपुर गलियारा खोले जाने के दिन अयोध्या मामले में फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह इस तरह के खुशी के मौके पर दिखाए गई ‘‘असंवेदनशीलता’’ से ‘‘बेहद दुखी’’ हैं।
शीर्ष अदालत के फैसले का हिन्दू नेताओं और समूहों ने व्यापक स्वागत किया, वहीं मुस्लिम नेतृत्व ने इसमें खामियां बताते हुए कहा कि वे निर्णय को स्वीकार करेंगे। उन्होंने भी शांति और सौहार्द बनाए रखने की अपील की। इसके साथ ही राजनीतिक दलों ने कहा कि यह अब आगे बढ़ने का समय है।
न्यायालय में पराशरण को बैठकर दलील पेश करने की सुविधा भी दी गई लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि वह भारतीय वकालत की परंपरा का पालन करेंगे।
फैसले के बाद कुछ भाजपा नेताओं के राम मंदिर में दर्शन करने के संबंध में पवार ने कहा कि यह किसी का व्यक्तिगत अधिकार और पसंद है कि वह मंदिर जाए या मस्जिद।
देश की न्यायपालिका के मान-सम्मान को सर्वोपरि रखते हुए समाज के सभी पक्षों ने, सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों ने, सभी पक्षकारों ने बीते दिनों सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक वातावरण बनाने के लिए जो प्रयास किए, वे स्वागत योग्य हैं।
अयोध्या प्रकरण पर शनिवार को आने वाले फैसले के मद्देनजर उत्तर प्रदेश सरकार ने नौ नवंबर से 11 नवंबर तक प्रदेश के सभी स्कूल कालेज और शैक्षणिक संस्थान बंद करने के निर्देश दिए हैं।
रामजन्म भूमि बाबरी मस्जिद मामले में उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से पहले राम की नगरी अयोध्या छावनी में बदल गयी है। जमीन से आसमान तक पुलिस निगरानी की व्यवस्था की गयी है। शहर के हर चौराहे पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं।
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में उच्चतम न्यायालय अपना बहुप्रतीक्षित फैसला शनिवार सुबह साढ़े 10 बजे सुनायेगा।
अयोध्या के राम जन्मभूमि -बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट शनिवार को अपना फैसला सुनाएगा। राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद पर फैसले से पहले पूरे देश में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
‘‘अयोध्या में चाहें हिंदू हों या मुसलमान, सभी शांति और शहर का विकास चाहते हैं। हिंदू और मुस्लिमों ने तय किया है कि यहां उनके बीच कोई टकराव नहीं होगा।’’
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