म्यांमार की अपदस्थ नेता आंग सान सू की की सजा को सैन्य प्रशासन ने कम कर दी है। हालांकि इसे सिर्फ 5 वर्ष घटाया गया है। सेना ने तख्तापलट करने के बाद उन्हें 19 मामलों में दोषी ठहराकर 33 वर्षों के लिए जेल भेजा है। अब सजा को 5 साल कम किए जाने के बाद उन्हें 27 वर्ष जेल में रहना होगा। अभी वह 78 वर्ष की हैं।
म्यांमार में आंग सांग सू की का तख्तापलट कर उन्हें जेल में डालने वाली सेना की सरकार ने अब ऐसा राजनीतिक कानून बना दिया है कि शायद ही कोई राजनेता चुनाव लड़ पाए। सेना ने अपनी जरूरत के हिसाब से विपक्षी दलों को पस्त करने के लिए अजीबोगरीब कानून बनाया है, जिनकी शर्तें बहुत कठिन हैं।
Aung San Suu Kyi jailed For 33 Years: नोबल पुरस्कार विजेता और म्यांमार की नेता आंग सान सूकी को अब 33 वर्ष तक जेल में रहना होगा। म्यांमार की सैन्य अदालत जुंटा ने एक अन्य मामले में शुक्रवार को 7 वर्षों के जेल की अतिरक्त सजा सुनाई है। इससे उनकी जेल की कुल अवधि अब 33 वर्ष की हो चुकी है।
Myanmar Aung San Suu Kyi: म्यामांर में बीते साल फरवरी महीने में सेना ने तख्तापलट कर सरकार को गिरा दिया था। उसके बाद सू ची पर तमाम तरह के आरोप लगाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया।
रविवार को 77 साल की हो गईं सू ची ने पिछली सैन्य सरकार के तहत लगभग 15 साल हिरासत में बिताए थे।
स्थानीय मीडिया द्वारा शुक्रवार को दी गई खबर के मुताबिक, सैन्य सरकार ने कुल 4 लोगों को फांसी देने की बात कही है।
चीन के राजदूत ने कहा कि उनके देश का मानना है कि आसियान को ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ निभानी चाहिए।
इस बीच सैन्य शासित म्यांमा के सबसे बड़े शहर में सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों के शांतिपूर्ण मार्च के दौरान सेना का एक वाहन लोगों के ऊपर चढ़ा दिया गया, जिसमें कम से कम तीन लोगों की मौत होने की आशंका है।
म्यांमार की सैन्य सरकार अपदस्थ नेता आंग सान सू की के खिलाफ अगले सप्ताह सोमवार को अदालत में अपना मामला पेश करेगी। सू की के वकीलों ने इस बारे में बताया।
म्यांमार के सुरक्षा बलों ने पिछले महीने हुए सैन्य तख्तापलट के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर घातक बल प्रयोग रोकने की संयुक्त राष्ट्र की अपील को दरकिनार कर बृहस्पतिवार को कम से कम 10 प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई, जिनकी मौत हो गई।
म्यांमार में तख्तापलट के बाद सत्ता पर सेना के कब्जा करने के एक दिन बाद मंगलवार को संसद के सैकड़ों सदस्यों को उनके सरकारी आवास में नजरबंद कर दिया और उसके बाहर सैनिक तैनात कर दिये गये। वहीं, देश की लोकतंत्र समर्थक नेता आंग सान सू ची सहित वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में ले लिया गया है।
बांग्लादेश में रिफ्यूजी कैंप्स में रह रहे म्यांमार के रोहिंग्या शरणार्थियों ने अपने स्वदेश में सैन्य तख्तापलट की निंदा की है।
सेना ने अनेक बार तख्तापलट की आशंकाओं को खारिज किया था लेकिन देश की नई संसद का सत्र सोमवार को आरंभ होने से पहले ही उसने यह कदम उठा लिया।
म्यांमार की सेना ने घोषणा की है कि वह सोमवार को घोषित एक साल के आपातकाल के बाद देश में नए सिरे से चुनाव कराएगी।
म्यांमार से आ रही इन खबरों पर अमेरिका की तरफ से प्रतिक्रिया आई है। व्हॉइट हाउस की प्रवक्ता Jen Psaki ने कहा है कि बर्मा की सेना ने स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और बर्मा में अन्य नागरिक अधिकारियों की गिरफ्तारी सहित देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कम करने के लिए कदम उठाने वाली रिपोर्टों से चिंतित है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और म्यांमार की नेता आंग सान सू की के बीच देश में विशाल बुनियादी ढांचा निर्माण संबंधी समझौते को लेकर शनिवार को बैठक हुई।
नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित म्यामां की असैन्य नेता आंग सांग सू ची ने बुधवार को संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत में रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ अपने देश के सैन्य अभियान का बचाव करते हुए कहा कि इसके पीछे ‘‘नरसंहार की कोई मंशा’’ नहीं थी।
सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी दुनिया की सबसे बड़ी संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने सोमवार को आंग सान सू ची से अपना सर्वोच्च सम्मान रोहिंग्या मुस्लिमों के खिलाफ म्यामार की सेना द्वारा किये अत्याचारों पर उनकी ‘‘उदासीनता’’ को लेकर वापस ले लिया।
सू ची को एक समय विश्व भर में मानवाधिकार की मुखर आवाज के रूप में पहचाना जाता था
कनाडा की संसद ने आंग सान सू ची की कनाडा की मानद नागरिकता औपचारिक रूप से वापस ले ली
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