असम एनआरसी को लेकर भारतीय सियासत में पिछले कुछ दिनों से तो उबाल आया ही हुआ है, सात समुंदर पार अमेरिका में भी यह मुद्दा उठाया जा रहा है।
असम में नेशनल सिटिजन रजिस्टर के मसौदे पर शिवसेना ने केंद्र का साथ दिया है, लेकिन साथ ही कश्मीरी पंडितों की वापसी पर सवाल भी दाग दिया।
मोरीगांव के उपायुक्त हेमन दास ने आज बताया कि जिले में मसौदे की प्रिंटिंग प्रक्रिया के दौरान इस मामले का पता चला।
रावत ने कहा, "चुनाव आयोग (ईसी) का मतदाता नामांकन कार्य एनआरसी से अलग है। अंतिम रूप से मतदाता सूची चार जनवरी, 2019 को प्रकाशित की जाएगी, जो आम चुनाव के लिए इस्तेमाल की जाएगी।"
जेटली ने फेसबुक पोस्ट में राहुल की आलोचना करते हुए कहा है कि असम के एनआरसी मामले में पूर्व प्रधानमंत्रियों इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने जो कहा था, कांग्रेस अध्यक्ष का रूख इसके विपरीत है।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख के साथ बैठक के बाद देवगौड़ा ने कहा कि बनर्जी ने देश की मौजूदा स्थिति के बारे में उनसे चर्चा की और सभी गैर-भाजपाई दलों को एकसाथ लाने की जरूरत पर बल दिया।
ममता बनर्जी ने आरोप लगाया, भाजपा वोट बैंक की राजनीति कर रही है। एनआरसी के कारण बांग्लादेश के साथ भारत के रिश्ते बिगड़ेंगे।
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दरअसल एनआरसी का सवाल संसद से सड़क तक सभी पार्टियों के लिए नाक का सवाल बन गया है। बीजेपी के इस फैसले ने सबको उलझा दिया है। बीजेपी बोल रही है, असम के बाद नंबर बंगाल का है और बीजेपी की सरकार आ गई तो वहां भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को खोला जाएगा।
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एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट में इसके अलावा दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के भतीजे का नाम भी गायब है जिसका नाम जियाउद्दीन है।
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