प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी 2 दिवसीय लाओस यात्रा का आज समापन कर दिया है। वह स्वदेश के लिए रवाना हो चुके हैं। यहां उन्होंने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत करने का काम किया।
आसियान शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को खास गिफ्ट उपहार में दिया है। ये उपहार भारत की सांस्कृतिक, पारंपरिक विरासत और अद्भुद वास्तु एवं शिल्पकला के प्रतीक हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता तथा उड़ान की स्वतंत्रता का समर्थन करना जारी रखेगा। उसने इस क्षेत्र में गश्त के लिए नौसेना के जहाज और लड़ाकू विमान तैनात कर दिए हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओस में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में 10 सूत्री योजना का जिक्र किया। 10 सूत्री योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय भागीदारों के साथ संपर्क और सहयोग बढ़ाना है।
21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की भी बात कही।
19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में कुल 18 देश शामिल हो रहे हैं। इनमें आसियान के 10 देश और आठ साझेदार देश शामिल हैं।
लाओस में चल रहे आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री लक्सन से मुलाकात की। इस दौरान इन देशों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और आसियान देश पड़ोसी हैं और ‘वैश्विक दक्षिण’ में साझेदार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम शांतिप्रेमी देश हैं और एक दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं तथा क्षेत्र के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आसियान शिखर वार्ता में जब दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने चीन पर दक्षिण चीन सागर में दादागिरी का आरोप लगाया और उसे अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन की नसीहत दी तो वह भड़क गया। चीन ने इसके लिए बाहरी ताकतों को दोषी ठहरा दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी लाओस के लिए रवाना हो गए हैं। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
लाओस में आज समुद्री सीमा विवाद और म्यांमार के संकट पर सबसे बड़ी बैठक होने जा रही है। इसमें भारत की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी से कई देश परेशान हैं। वहीं म्यांमार में गृहयुद्ध चल रहा है।
विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कहा कि जयशंकर की लाओस यात्रा इसलिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इस वर्ष भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक दशक पूरा हो रहा है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में नौवें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की थी।
भारत ने नई दिल्ली में आसियान समिट का आयोजन किया। इसके बाद आसियान समूह के देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने को मुख्य मुद्दा बनाया। साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भरोसा जताया कि आसियान समूह के देशों के साथ यह भागीदारी निश्चित ही बढ़ेगी।
सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बातचीत की है। वह सिंगापुर के राष्ट्रपति षणमुगारत्नम से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने आसियान देशों के क्षेत्रीय राजदूतों के सम्मेलन की इस दौरान अध्यक्षता भी की। भारत ने सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अवसर तलाशा।
आसियान सम्मेलन से पीएम मोदी ने चीन को सख्त संदेश दिया है। चीन द्वारा हाल में जारी विवादित नक्शे को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान के लिए सभी देशों को मिलकर संयुक्त प्रयास करना चाहिए। चीन ने हाल में जारी नक्शे में भारत समेत कई अन्य देशों के हिस्से को अपना दर्शाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंडोनेशिया के दौरे पर गए हुए हैं। इस दौरान जकार्ता पहुंचे प्रधानमंत्री का प्रवासी भारतीयों ने जमकर स्वागत किया। बता दें कि पीएम मोदी यहां 20वें आशियान-भारत समिट और 18वें ईस्ट एशिया समिट में भाग लेने के लिए पहुंचे हैं।
ASEAN सम्मेलन इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में मंगलवार से शुरू हो रहा है। इसमें दक्षिण चीन सागर में चीनी दबदबे और म्यांमार में हो रही हिंसा का मुद्दा छाया रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते इंडोनेशिया में होने वाले आशियान शिखर सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं। यह बैठक इंडोनेशिया में 6-7 सितंबर को होनी है। बता दें कि जी-20 की बैठक भी नई दिल्ली में 7 से 10 दिसंबर के बीच होनी है। भारत के लिए यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण है।
रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। इसी बीच आसियान सम्मेलन में यूक्रेन के विदेशमंत्री दिमित्री कलेवा ने भारत के विदेशमंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की। इस दौरान जंग कैसे खत्म की जाए, इस पर यूक्रेन ने अपनी चिंता भारत के साथ जताई। साथ ही अन्य मुद्दों पर भी विमर्श हुआ।
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