जयशंकर ने कहा, ‘भारत का दृष्टिकोण और सार दोनों के संदर्भ में अंतरराष्ट्रीय कानून, नियम और मानदंडों के प्रति सम्मान के बारे में समान रूप से स्पष्ट रहा है, क्योंकि पिछले चार दशकों में (एक दूसरे के प्रति) झुकाव केवल बढ़ा है। यह एक ऐसा आधार है जिस पर हम उच्च महत्वाकांक्षाओं की आकांक्षा कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी 2 दिवसीय लाओस यात्रा का आज समापन कर दिया है। वह स्वदेश के लिए रवाना हो चुके हैं। यहां उन्होंने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत करने का काम किया।
आसियान शिखर वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओस के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को खास गिफ्ट उपहार में दिया है। ये उपहार भारत की सांस्कृतिक, पारंपरिक विरासत और अद्भुद वास्तु एवं शिल्पकला के प्रतीक हैं।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा है कि अमेरिका हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौवहन की स्वतंत्रता तथा उड़ान की स्वतंत्रता का समर्थन करना जारी रखेगा। उसने इस क्षेत्र में गश्त के लिए नौसेना के जहाज और लड़ाकू विमान तैनात कर दिए हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाओस में 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में 10 सूत्री योजना का जिक्र किया। 10 सूत्री योजना का उद्देश्य क्षेत्रीय भागीदारों के साथ संपर्क और सहयोग बढ़ाना है।
21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में दोनों पक्षों ने क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की भी बात कही।
19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में कुल 18 देश शामिल हो रहे हैं। इनमें आसियान के 10 देश और आठ साझेदार देश शामिल हैं।
लाओस में चल रहे आसियान शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष एंथनी अल्बनीज, जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा और न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री लक्सन से मुलाकात की। इस दौरान इन देशों के साथ प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और आसियान देश पड़ोसी हैं और ‘वैश्विक दक्षिण’ में साझेदार हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हम शांतिप्रेमी देश हैं और एक दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं तथा क्षेत्र के युवाओं के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्रतिबद्ध हैं।
आसियान शिखर वार्ता में जब दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने चीन पर दक्षिण चीन सागर में दादागिरी का आरोप लगाया और उसे अंतरराष्ट्रीय कानून के पालन की नसीहत दी तो वह भड़क गया। चीन ने इसके लिए बाहरी ताकतों को दोषी ठहरा दिया।
पीएम नरेंद्र मोदी लाओस के लिए रवाना हो गए हैं। इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी 21वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और 19वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे।
आसियान में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने तुर्की, समेत कई देशों के विदेश मंत्रियों के साथ वार्तालाप और द्विपक्षीय बैठक की। इस दौरान कई अहम क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।
लाओस में आज समुद्री सीमा विवाद और म्यांमार के संकट पर सबसे बड़ी बैठक होने जा रही है। इसमें भारत की भूमिका सबसे अहम मानी जा रही है। दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी से कई देश परेशान हैं। वहीं म्यांमार में गृहयुद्ध चल रहा है।
दूतावास ने भारतीयों को नौकरी दिलाने का झूठा झांसा देने वालों के खिलाफ आगाह करते हुए एक परामर्श जारी किया है। जयशंकर ने बैठक के दौरान आसियान और पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता के लिए लाओस को भारत की ओर से पूर्ण समर्थन भी दिया।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने आसियान शिखर सम्मेलन में चीन के समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की है। इस दौरान भारत-चीन संबंधों में स्थिरता लाने के लिए सीमा विवाद सुलझाने, पूर्व समझौतों का सम्मान करने और डिसइंगेजमेंट को लेकर सहमति बनाई गई।
विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कहा कि जयशंकर की लाओस यात्रा इसलिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि इस वर्ष भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का एक दशक पूरा हो रहा है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 में नौवें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में की थी।
भारत ने नई दिल्ली में आसियान समिट का आयोजन किया। इसके बाद आसियान समूह के देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने को मुख्य मुद्दा बनाया। साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भरोसा जताया कि आसियान समूह के देशों के साथ यह भागीदारी निश्चित ही बढ़ेगी।
भारत-10 देशों के समूह आसियान का व्यापार 2022-23 में बढ़कर 131.58 अरब डॉलर हो गया है। दोनों पक्षों का लक्ष्य 2025 में समीक्षा समाप्त करने का है।
सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बातचीत की है। वह सिंगापुर के राष्ट्रपति षणमुगारत्नम से भी मुलाकात करेंगे। उन्होंने आसियान देशों के क्षेत्रीय राजदूतों के सम्मेलन की इस दौरान अध्यक्षता भी की। भारत ने सिंगापुर के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की दिशा में अवसर तलाशा।
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