लोग इस बात में कंफ्यूज रहते हैं कि अल्जाइमर और डिमेंशिया एक ही बीमारी हैं या फिर अलग-अलग (difference between dementia and Alzheimer's), आइए जानते हैं दोनों में क्या अंतर है।
अल्जाइमर एक ऐसी बीमारी है, जिसकी वजह से दिमाग की कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। याददाश्त और सोचने की शक्ति कम हो जाती है। जानिए किन चीजों का सेवन करने से ब्रेन को हेल्दी रख सकते हैं।
खराब लाइफस्टाइल, खानपान और अत्यधिक तनाव के कारण 40 साल से कम उम्र में भी लोग इस रोग का शिकार हो रहे हैं। स्वामी रामदेव से जानिए इस बीमारी से कैसे पाएं निजात।
उम्र बढ़ने के साथ ही तमाम तरह की बीमारियां हमारे शरीर को निशाना बनाना शुरू कर देती हैं। इन्हीं में से एक प्रमुख बीमारी बुढ़ापे में भूलने की आदतों (अल्जाइमर्स-डिमेंशिया) की है।
अमूमन 65 साल की उम्र के बाद लोगों में यह बीमारी देखने को मिलती है। वृद्घावस्था में मस्तिष्क के ऊतकों को नुकसान पहुंचने के कारण ये बीमारी होती है।
21 सितंबर को 'वर्ल्ड अल्माइजर डे' है। इस मौके पर हम आपको ऐसी 5 चीजें बताते हैं जिसे अपनाकर आप किसी अपने को इस बीमारी की चपेट में आने से बचा सकते हैं।
शरीर का स्ट्रक्चरल बैलेंस ठीक ढंग से काम न करने के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी कारण आप पार्किसन, अल्जाइमर, सर्वाइकल आदि रोगों का सामना करते हैं।
स्वामी रामदेव ने अल्माइजर और हाथों की कंपकंपाहट जैसी समस्याओं के अलावा सभी न्यूरो से जुड़ी बीमारियों के लिए कुछ औषधियां और एक्यूप्रेशर प्वाइंट्स बताए हैं।
स्वामी रामदेव से जानिए अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए कौन से योगासन कारगर साबित हो सकते हैं।
स्वामी रामदेव के अनुसार शीर्षासन, सर्वांगासन सहित ये योगासन अल्जाइमर के मरीजों के लिए कारगर साबित हो सकते हैं।
स्वामी रामदेव के अनुसार अगर आप पार्किंसन की समस्या से परेशान हैं तो अपनी डाइट में थोड़ा सा बदलाव करने के साथ इन योगासनों को नियमित रूप से करें।
स्वामी रामदेव के अनुसार जिन लोगों को क्रैंप्स की समस्या है वो लोग मीठा और नमक का सेवन कम कर दें। इसके साथ ही इन उपायों को अपनाएं।
स्वामी रामदेव के अनुसार योग के द्वारा अल्जाइमर और पार्किंसन की समस्या से आसानी से निजात पाया जा सकता हैं। जानिए इन योगासनों के बारे में।
आज के समय में भागदौड़ भरी लाइफ में हम इतना ज्यादा बिजी हो गए हैं कि हमारे पास इतना भी समय नहीं होता है कि हम 6 मिनट निकालकर मैगजीन या बुक पढ़ लें। फिर देखें इसके लाभ।
आज वर्ल्ड अल्जाइमर दिवस है। अक्सर यह बीमारी 70 साल के उम्र में होती है लेकिन आज कल की खराब जीवन शौली की वजह से 40 साल के उम्र में भी लोग इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं।
सुनने की क्षमता में गिरावट बड़ी उम्र के लोगों की याददाश्त में कमी और डिमेंशिया (मनोभ्रंश) और उसके फलस्वरूप अल्जाइमर रोग का खतरा बढ़ा सकती है। विशेषज्ञों का यह कहना है।
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में रक्षा मंत्री रहे फर्नांडिस ने सेना के लिए कई बेहतरीन कदम उठाए थे। फर्नांडिस की तबीयत काफी समय से खराब थी।
एक शोध के अनुसार, अधिक उम्र के जिन वयस्कों में अल्जाइमर के लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं वो अगर रोज व्यायाम या घर के दैनिक काम करें तो इससे याददशत को बनाए रखा जा सकता है।
एक नए शोध के मुताबिक, बुजुर्ग लोग जो कम गहरी नींद लेते हैं, जिनके मस्तिष्क में ताऊ प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। यह पहचान क्षमता में गिरावट और अल्जाइमर रोग का संकेत है।
वैज्ञानिकों ने ऐसा कृत्रिम बुद्धिमता (एआई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) एल्गोरिदम तैयार किया है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की सोचने-समझने की क्षमता में कमी के कारण अगले पांच साल में उसे अल्जाइमर होने का खतरा तो नहीं है।
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